12 दिनों के ठहराव के बाद आखिरकार आगे बढ़ा मॉनसून, क्यों आया था यह ठहराव?

डाउन टू अर्थ ने इस बारे में जलवायु विशेषज्ञों से बात की है, उनके अनुसार इसके लिए कहीं न कहीं प्रशांत महासागर में तेजी से बढ़ता टाइफून 'मारवा' जिम्मेवार है

By Pulaha Roy, Lalit Maurya

On: Wednesday 31 May 2023
 

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने घोषणा कर दी है कि आखिरकार 12 दिनों की देरी बाद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून बंगाल की खाड़ी में उत्तर की ओर आगे बढ़ गया है। मॉनसून पूरे अंडमान और निकोबार द्वीप को कवर करते हुए म्यांमार की ओर आगे बढ़ रहा है।

हालांकि उसका यह बढ़ना काफी ठहराव के बाद शुरू हुआ है। गौरतलब है कि 19 मई, 2023 को आईएमडी ने शुरूआत में इस बात की घोषणा की थी कि दक्षिण पश्चिम मॉनसून को अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सबसे उत्तरी छोर से होकर गुजरना था। जैसा कि ग्राफिक में दिखाया गया है उसे आगे 22 मई, 2023 तक म्यांमार की ओर बढ़ना था। लेकिन उसकी वास्तविक शुरूआत में कम से कम आठ दिनों की देरी हुई है।

इससे पहले आईएमडी ने केरल में चार दिनों की त्रुटि के साथ 4 जून, 2023 तक मॉनसून के आगाज की भविष्यवाणी की थी, लेकिन उसमें आया यह 12 दिनों का ठहराव महत्वपूर्ण है। लेकिन यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि आखिर इसमें यह देरी क्यों हुई?

इस बारे में डाउन टू अर्थ ने जलवायु विशेषज्ञों से चर्चा की और उनके अनुसार इसके लिए कहीं न कहीं प्रशांत महासागर में तेजी से बढ़ता टाइफून 'मारवा' जिम्मेवार है। इस बारे में विशेषज्ञों ने खुलासा किया है यह तूफान तेजी से प्रबल हो रहा है और मौजूदा समय में दक्षिण चीन सागर में संभावित खतरा पैदा करते हुए ताइवान और चीन की ओर बढ़ रहा है।

हालांकि अब सवाल यह है कि टाइफून मारवा जिसने 20 मई, 2022 के आसपास बनना शुरू किया था वो भारतीय उपमहाद्वीप में दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून की रफ्तार को कैसे प्रभावित कर सकता है? जलवायु विशेषज्ञ इस बात से तो सहमत हैं कि इस तूफान ने मॉनसून की प्रगति में आए ठहराव में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन इसकी सटीक भूमिका विवाद का विषय बनी हुई है।

जानिए कौन है इन सबके लिए जिम्मेवार?

इस बारे में मैरीलैंड विश्वविद्यालय के वायुमंडलीय और महासागरीय विज्ञान के प्रोफेसर रघु मुर्तुगुड्डे ने बताया कि, "मॉनसून में आई रूकावट के दो कारण हैं: "एक चक्रवात जो भूमध्य रेखा के ठीक दक्षिण में घूम रहा था और एक सप्ताह पहले क्रॉस-भूमध्यरेखीय हवाओं को बाधित कर रहा था।“

“वहीं अब प्रशांत क्षेत्र में प्रचंड तूफान बंगाल की खाड़ी और दक्षिण चीन सागर के पार प्रशांत में हवाओं को खींच रहा है। इसने गर्त (ट्रफ) को उत्तर-पश्चिम की ओर खाड़ी के साथ-साथ भारत की ओर बढ़ने से रोक दिया है। वास्तव में यह ट्रफ मई के मध्य में अंडमान निकोबार पर पहुंचा था और फिर वहीं फंस गया था।”

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के मुताबिक ट्रफ या गर्त, कम वायुदाब वाला लंबा, संकरा क्षेत्र होता है। इस बारे में मुर्तुगुड्डे का कहना है कि, "एक बार जब तूफान दस्तक देने के बाद, धीमा हो जाएगा, तो उत्तरी हिंद महासागरीय हवाएं" वापस अपने मार्ग पर आने के लिए स्वतंत्र हो जाएंगी।"

वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग, यूके के जलवायु वैज्ञानिक अक्षय देवरस का कहना है कि, "इसमें ठहराव एक सामान्य घटना है।" उन्होंने बताया कि, "बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात मोचा के आने के बाद यह एक सामान्य पैटर्न है।"

दोनों विशेषज्ञों का विचार है कि तूफान ने हिंद महासागर से हवाओं को खींच लिया है और उन्हें प्रशांत महासागर की ओर धकेल दिया है। इसके बाद दोनों विशेषज्ञों के विचार अलग हो जाते हैं। मुर्तुगुड्डे के अनुसार इसने एक बाधा या अवरोध उत्पन्न कर दिया है जो ट्रफ को उत्तर-पश्चिम में बंगाल की खाड़ी और भारत की ओर बढ़ने से रोक रहा है।

वहीं देवरस का कहना है कि, "तूफान ने बंगाल की खाड़ी के ऊपर हवा को अपनी ओर खींचकर, मॉनसूनी हवाओं को मजबूत करने में भूमिका निभाई है।"

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