पर्यावरण को बचाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में अहम हैं पुरातन पेड़

सैकड़ों-हजारों वर्षों से समय का गवाह रहे यह पुरातन पेड़ जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के साथ-साथ जलवायु में आते बदलावों का सामना करने में भी इंसानों के लिए मददगार हैं 

By Lalit Maurya

On: Friday 21 October 2022
 

एक पेड़ अपने अस्तित्व को बचाए रखने के साथ-साथ न जाने कितने दूसरे जीवों और पर्यावरण को भी बचाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। देखा जाए तो यह पुरातन पेड़ सैकड़ों हजारों वर्षों से समय के गवाह रहे हैं। वो जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण में तो महत्वपूर्ण भूमिका निभाते ही हैं, साथ ही जलवायु में आते बदलावों का सामना करने में भी इंसानों के लिए मददगार होते हैं।

इस बारे में 19 अक्टूबर 2022 को जर्नल ट्रेन्ड्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित एक रिसर्च में शोधकर्ताओं ने इन चिरस्मरणीय जीवों और उनके संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला है। इनके बारे में रिसर्च से जुड़े शोधकर्ताओं का कहना है कि यह प्राचीन पेड़ संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए अद्वितीय आवास हैं, क्योंकि यह बढ़ते तापमान को रोक उन्हें अपने अंदर समेट सकते हैं।

किसी धरोहर से कम नहीं ये पेड़

इनमें से कुछ पेड़ जैसे अमेरिका के व्हाइट माउंटेन में मौजूद ब्रिसलकोन पाइन तो 5 हजार वर्षों तक जीवित रह सकते हैं और इस बीच यह बड़े पैमाने पर कार्बन को अपने भीतर सोख सकते हैं। इसी तरह यह प्राचीन पेड़ मायकोरिजल कनेक्टिविटी के लिए हॉटस्पॉट हैं। मतलब की न केवल जमीन के ऊपर बल्कि उसके अंदर मौजूद अनगिनत जीवों के साथ भी इनका अनूठा रिश्ता होता है।

यह पेड़ भूमिगत कवक के साथ सहजीवी संबंध रखते हैं, जिसमें कवक इन पेड़ों को जीवित रहने के लिए जरूरी पोषक तत्व प्रदान करते हैं। बदले में यह पेड़ उन्हें जीवित रखने के लिए शुष्क वातावरण में सूखे की मार से बचाने में मदद करते हैं। देखा जाए तो यह पुरातन पेड़ संरक्षण योजनाओं में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं इसके बावजूद दुनिया भरे में इन्हें बड़ी तेजी से काटा जा रहा है।     

आपकी जानकारी के लिए बता दें की दुनिया में पेड़ों की 58,497 प्रजातियों में से करीब एक तिहाई यानी 17,510 प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। वहीं 142 प्रजातियां ऐसी हैं जो पहले ही विलुप्त हो चुकी हैं। `

भारत में वर्षों से पेड़ों और इंसानों के बीच एक अनोखा रिश्ता रहा है, जो इस धारणा पर आधारित है यदि हम पेड़ों की रक्षा करेंगें तो यह पेड़ भी हमारी रक्षा करेंगें। लेकिन समय के साथ बढ़ती इंसानी महत्वाकांक्षा इन सैकड़ों साल पुराने पेड़ों को काटने से भी गुरेज नहीं कर रही है। इसी का नतीजा है कि देश में पेड़ों की 2,603 प्रजातियों में से 18 फीसदी (469) पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है।

अपनी इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने इन पेड़ों की रक्षा के लिए द्वि-आयामी दृष्टिकोण को प्रस्तावित किया है। इसमें पहला इन पेड़ों की सुरक्षा करना और उनकी बहाली के लिए काम करना जबकि साथ ही जर्मप्लाज्म और मेरिस्टेमेटिक की मदद से इन पेड़ों के उत्तकों को संरक्षित करना शामिल है। साथ ही प्राचीन पेड़ों और जंगलों का मानचित्रण इनकी निगरानी और संरक्षण में मददगार हो सकती है।

देखा जाए तो वर्तमान में इन पेड़ों की रक्षा केवल राष्ट्रीय नीतियों तक में ही सीमित है। साथ ही प्राचीन पेड़ों और जंगलों का मानचित्रण और निगरानी इनकी बहाली और संरक्षण में मददगार हो सकती है। ऐसे में शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे पहले यह पुरातन पेड़ गायब हो जाएं उन्हें खोजने और उनकी रक्षा करने की जरूरत है। इसके लिए उन्नत तकनीकों के साथ-साथ स्थानीय वैज्ञानिकों को साथ लेकर एक वैश्विक गठबंधन की जरूरत है।

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