अतीत के जंगल को समझने और जानने की अहम कड़ी हैं हिममानव

60 वर्षों से हिममानव यानी येति की खोज करने वाले एक घुमंतू लेखक डेनियल सी टेलर का डाउन टू अर्थ को दिया गया साक्षात्कार।

By Akshit Sangomla, Vivek Mishra

On: Tuesday 30 April 2019
 

भारतीय सेना की ओर से पौराणिक हिममानव येति के पदचिन्ह देखे जाने के दावे के बाद एक बार फिर येति को लेकर चर्चा तेज हो गई है। 60 वर्षों से हिममानव की खोज करने वाले एक घुमंतू लेखक डेनियल सी टेलर ने डाउन टू अर्थ को दिए गए एक साक्षात्कार में येति से जुड़ी कुछ अहम बातें साझा की हैं।

डेनियल सी टेलर हिमालय की घाटियों में की अपनी की गई यात्रा को येति के घर की यात्रा से जोड़ते हैं। हिमालय की खाक छानने वाले डेनियल को अभी तक येति के दर्शन नहीं हुए हैं अलबत्ता उन्हें एक भालू जरूर मिला। डेनियल का कहना है कि नेपाल के लिए येति एक पौराणिक पात्र हैं जो सदियों से हिमालय की बर्फीली घाटियों में घूम रहे हैं। डेनियल सी टेलर ने अपनी पुस्तक येति : द इकोलॉजी ऑफ ए मिस्ट्री में हिममानव से जुड़े कई अहम पहलूओं को सामने रखा है। 11 वर्ष की उम्र में डेनियल का येति के प्रति प्रेम जगा और जिज्ञासा पैदा हुई। उन्होंने 1956 में मसूरी में अपने घर पर खाने की मेज पर स्टेट्समैन में छपी एक तस्वीर को देखा था। इस छवि में हिममानव के पदचिन्हों को दिखाया गया था। यह फोटो इरिक शिप्टन और माइकल वार्ड के जरिए 1951 में हिमालय अभियान के दौरान खीची गई थी। लंबे समय बाद यह छवि येति यानी हिममानवों के होने की संभावना का एक अहम सबूत बन गया। बहरहाल येति को लेकर डेनियल सी टेलर से डाउन टू अर्थ की बातचीत को पढ़िए -

 

येति आपके लिए क्या महत्व रखता है?

डेनियल सी टेलर : हमारे अतीत के जंगल को समझने के लिए येति एक प्रतीक का काम करता है। मुझे अपनी खोज में भले ही अभी तक जानवर ही मिले हैं लेकिन जंगल को समझने और जानने की मेरी खोज जारी है। जब मैं घूमता हूं तो बारिश का आनंद लेता हूं।  रात में अपने टॉर्च को बंद रखता हूं ताकि रात के दौरान जंगल में उठने वाली आवाजों को सुन पाऊं। अभी जंगल को लेकर बहुत कुछ ऐसा है जिसे समझा जाना है। मेरे लिए येति इसे समझने का एक वाहन है।

 

क्या अब नेपाली संस्कृति में पहले से ज्यादा येति का बोलबाला है?

डेनियल सी टेलर : येति इस वक्त पूरी नेपाली संस्कृति का हिस्सा बन चुका है। इससे पहले सिर्फ शेरपा ही येति पर यकीन करते थे। उन्हें येति के बारे में ख्याल व सोच पहाड़ों पर रहने वाले लोगों से हासिल हुई थी। रॉयल जियोग्राफिकल सोसाइटी के सर एडमंड हिलेरी, वर्ल्ड बुक एनसाइक्लोपीडिया और अन्य ने येति की वैज्ञानिक खोजयात्रा शुरु की थी। अब नेपाली येति के बारे में पूछते हैं। मौजूदा दौर में कई येति हैं। यह लोगों के दिमाग में, बच्चों की कहानियों में और यहां तक कि बीयर, व्हिस्की व टी-शर्ट में भी उपस्थित हैं। इतना ही नहीं येति एयरलाइन भी मौजूद है।

 

स्थानीय लोग मकालू-बारून घाटी में शुरु हुई चर्चा में शामिल होकर खुश हैं?

डेनियल सी टेलर : मैं करीब दो दशक के बाद मकालू-बारून राष्ट्रीय पार्क गया था। वहां के लोग काफी गर्व करते हैं। वे ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को ज्यादा सुविधाएं भी मुहैया करा रहे हैं। येति के बारे में जानने के इच्छुक लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। बारून घाटी में मौजूद ट्रैकिंग रूट बीच जंगल में ही खत्म हो जाता है। इसे येति का निशान माना जाता है। यह बारून बाजार से शुरु होकर मकालू बेस कैंप पर खत्म होता है।

 

हम नए जंगल से बेहतर तरीके से कैसे निपट सकते हैं?

डेनिय सी टेलर : लोगों के पास अपनी पसंद है। हम क्या चाहते हैं घर के भीतर रहना या फिर जंगल में जाना? मेरा यकीन है कि बाहर जाना और प्रकृति का लुत्फ लेकर हम आज के जंगल से पूरी तरह जुड़ सकते हैं। जंगल से जुड़ाव के कई रास्ते हैं। जंगल में जाना, किसी पेड़ के नीचे बैठना या फिर ठहरने का आनंद लेना। ऐसे रास्ते की ओर चल पड़ना जिस तरफ कभी न गए हों। ऐसे कई कदम हैं जो लोग उठा सकते हैं। बुद्ध ने ऐसा किया था। कई हिंदू देवताओं ने भी किया। ईसा मसीह खुद जंगल में गए। अमेरिका के निवासी इसे एक कारगर दवाई के तौर पर लेते हैं। हमने एक झूठा जंगल बना लिया है। हम इस झूठे जंगल को यू-ट्यूब पर फिल्मों में देखते हैं। यह फिल्में जानवरों के एक से एक क्रियाकलापों को दिखाते हैं। यह सबकुछ असली जंगल के बारे में जानना या खोजना नहीं है।

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