बिहार में ग्राम पंचायत की सीमा के अंदर गैर वन इलाकों में नीलगाय (घोड़परास) और जंगली सुअर को देखते ही गोली मारने के लिए शूटरों की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए हैं। इस कार्रवाई के लिए सभी ग्राम पंचायतों के मुखिया को इसका पदाधिकारी बनाया गया है।
बिहार के गैर वन क्षेत्रों में यह कदम वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम. 1972 और मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक बिहार की उपधाराओं का इस्तेमाल करते हुए उठाया जा रहा है, जिसका मकसद खेतों में फसलों और बागवानी को घोड़परास और जंगली सुअरों से बचाना बताया जा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने भी अपने यहां नीलगाय और जंगली सुअरों को मारने के लिए पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति मांगी है, जिस पर अभी विचार जारी है।
24 अप्रैल, 2022 को बिहार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से आदेश जारी किया गया है। इस कार्यालयी आदेश की प्रति के मुताबिक एक छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया है जो खेत की फसलों व बागवानी को नुकसान पहुंचााने वाले घोड़परास और जंगली सुअरों को मारने के लिए शूटरों की नियुक्ति करेगा।
आदेश में कहा गया है कि जिन शूटरों की नियुक्ति की जाएगी उनके पास बंदूक का लाइंसेस होना अनिवार्य होगा।
शूटरों की नियुक्ति करने वाली समिति में पटना में पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण के निदेशक, पटना के वन्य प्राणी अंजल के वन संरक्षक, संजय गांधी जैविक उद्यान के निदेशक, सीआरपीएफ कमांडेंट के अधिकारी, वैशाली वन प्रमंडल के वन प्रमंडल पदाधिकारी, वन प्रमंडल आरा के पदाधिकारी को शामिल किया गया है।
इस समिति को 21 मई तक दक्ष शूटरों के चयन का काम पूरा कर लेना है।
बिहार में बहुत से किसान नीलगाय और जंगली सुअरों के कारण परेशान हैं। 2016 से लेकर 2019 तक करीब 5000 नीलगायों को बिहार में मारा गया। इस बीच नसबंदी भी की गई। हालांकि कोविड के बाद अब एक बार फिर से इन्हें मारने के आदेश जारी किए गए हैं।