दुनिया के आधे से ज्यादा गरुड़ भारत के इस इलाके में रहते हैं, जानते हैं क्यों

भारत के इस इलाके में विलुप्तप्राय प्राणी गरुड़ की आठ में से छह प्रजातियों की आबादी सफलतापूर्वक प्रजनन और वंश वृद्धि कर रही है 

On: Friday 28 June 2019
 
Photo: Creative commons

विन्नी चंद्रा , भागलपुर

विश्व में लुप्त होती जा रही गरुड़ पक्षी की आबादी भारत के भागलपुर में बहुतायत पाई जाती है। पक्षियों पर काम करने वाली एक संस्था के अनुसार भागलपुर में गरुड़ का 100वां घोसला तैयार कर लिया गया है। विलुप्तप्राय पक्षी बड़े गरुड़ के लिए यह जिला विश्व की तीसरी आश्रय-स्थली है।  विश्व में गरुड़ों की कुल आबादी में से आधे से अधिक भागलपुर में रहते हैं।

गरुड़ों ने यहां कदवा दियारा में अपना बसेरा बना रखा है। भागलपुर जिला के अंतर्गत मधेपुरा सीमा से सटे कोसी व गंगा का दियारा क्षेत्र है कदवा। यहां के ऊंचे-ऊंचे बरगद, पीपल, सेमल, कदंब, पाकड़ आदि के पेड़ों पर गरुड़ों ने घोंसला बना रखा है। पक्षी वैज्ञानिक मानते हैं कि अपेक्षित वातावरण,  भोजन और पानी की सुलभता की वजह से गरुड़ यहां रहना पसंद करते हैं। 

बढ़ रही हैं गरुड़ों के घोेंसलों की संख्या  

वर्ष..................घोंसले

2006-07..........16

2007-08..........17

2008-09..........17

2009-10...........19

2010-11............21

2011-12............23

2012-13............49

2013-14............75

2014-15............80

2015-16.............100

वर्ष 2006-07 में 16 घोंसलों में 75 से 80 की संख्या में रहते थे बड़े गरुड़

वर्ष 2015-16 में बना लिये 100 घोंसले और आबादी बढ़ कर हुई 700 के पार

 

विश्व में तीन स्थानों पर रहते हैं बड़े गरुड़

विश्व में सिर्फ तीन ही स्थानों पर बड़े गरुड़ रहते हैं। कंबोडिया, असम और भागलपुर। वर्ष 2013 में एक आकलन के अनुसार 1300 गरुड़ थे। इनमें कंबोडिया में 100 से 150, असम में 500 से 550 और शेष भागलपुर में थे। वर्तमान में इनकी विश्व में आबादी 1400 से 1500 आंकी गयी है और इनमें आधे से अधिक गरुड़ भागलपुर में रह रहे हैं। 

इन टोलों में है गरुड़ का बसेरा

कोसी के कदवा दियारा और खैरपुर पंचायत के कसीमपुर, लखमिनिया, आश्रम टोला, गोला टोला, खैरपुर मध्य विद्यालय, गुरु स्थान, ठाकुरजी कचहरी टोला, बगरी टोला, प्रतापनगर, खलीफा टोला, बिंद टोली, पंचगछिया आदि में गरुड़ों का बसेरा है। 

ऐसे हुआ खुलासा

टीएनबी कॉलेज के जंतु विज्ञान विभाग के शिक्षक व मंदार नेचर क्लब के वरिष्ठ सदस्य डॉ डीएन चौधरी ने वर्ष 2006 से ही गरुड़ पर सर्वे करते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2016 में गरुड़ों ने 100वां घोंसला तैयार किया था। उन्होंने बताया कि अब तक इस पर तैयार किये गये उनके कई शोध पत्र इंडियन बर्ड्स व रिवर्स फॉर लाइफ (आइयूसीएन) जैसे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। 

यहां आते हैं विदेशी सैलानी

कदवा दियारा में गरुड़ों की शरण-प्रजनन स्थली को देखने देश-विदेश से सैलानी पहुंचने लगे हैं। यहां बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी, मुंबई के पूर्व निदेशक डॉ एआर रहमानी वर्ष 2010 में आये थे। रॉयल सोसाइटी फॉर दी प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड्स, इंग्लैंड के इयान बार्वर वर्ष 2013 में आये थे। पॉल डोनाल्ड जैसे मशहूर पक्षी वैज्ञानिक यहां 2014 में आये थे। दुनिया के और भी कई अन्य विश्वविद्यालय व कॉलेजों के शोधार्थियों को यहां अक्सर आना-जाना होता है। 

Subscribe to our daily hindi newsletter