अवैध तरीके से ऑनलाइन बेचे जा रहे हैं दुर्लभ कीड़े और मकड़ियां

अपनी खोज में टीम को तीन सूचियों में सूचीबद्ध 79 प्रजातियां मिलीं, जिनमें से आईयूसीएन की लाल सूची वाली 7 प्रजातियां शामिल हैं, जो लुप्तप्राय के रूप में दर्ज हैं।

By Dayanidhi

On: Thursday 28 April 2022
 

एक नए अध्ययन के मुताबिक एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि लुप्तप्राय और खतरे वाले कीड़े और मकड़ियां इंटरनेट पर धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। साथ ही साथ अहम पारिस्थितिक सेवाएं प्रदान करने वाली सामान्य प्रजातियों को भी बड़ी आसानी से खरीदा जा सकता है।

उदाहरण के लिए, लुज़ोन मोर स्वॉल्वेटेल, दुर्लभ तितलियों में से एक, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर  पर और अमेरिका दोनों ने लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, इसका व्यापार करना अवैध है। इस दुर्लभ तितली को ऐमज़ॉन.कॉम पर बिक्री के लिए  लगभग 110 डॉलर की कीमत के साथ डिस्प्ले बॉक्स में लगाया गया है।

जीवित टारेंटयुला की कई प्रजातियां, जिन्हें विलुप्त होने का खतरा नहीं है, लेकिन उनके व्यापार पर सख्ती से रोक लगाई गई है। उन्हें भी बिना किसी निरीक्षण या प्रवर्तन के पालतू जानवरों के रूप में बिक्री के लिए आसानी से खोजा जा सकता है।

ये परिणाम इस बात से संबंधित हैं कि निवास स्थान के नुकसान, कीटनाशकों, आक्रामक प्रजातियों, शहरीकरण, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व स्तर पर कीड़ों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है।

कुछ कीट विज्ञानियों ने अनुमान लगाया है कि पृथ्वी हर दशक में सभी कीट प्रजातियों में से लगभग 10 से 20 फीसदी को खो रही है। शोधकर्ताओं ने कहा कि एक कीट या मकड़ी की प्रजाति के अस्तित्व पर तब बहुत प्रभाव पड़ सकता है जब इसे एकत्र किया जाता है और बेचा जाता है।

एंटोमोलॉजी के प्रोफेसर और मुख्य अध्ययनकर्ता जॉन लोसी ने कहा कि अध्ययन की शुरुआत उनके कीट संरक्षण जीव विज्ञान पाठ्यक्रम के एक परियोजना से हुई। इसमें 18 छात्र और सह अध्ययनकर्ता शामिल थे जो 2019 में शोध के समय स्नातक में थे।

उन्होंने कहा हमने यह निर्धारित करने के लिए वेब का सर्वेक्षण किया कि क्या बिक्री के लिए ऐसी प्रजातियां उपलब्ध हैं जो दुर्लभ, खतरे में हैं या जिनका व्यापार करने के लिए किसी तरह के नियम हैं।

लोसी ने कहा जैसा कि हम देख रहे हैं दुर्लभ और दुर्लभ होते जा रहे हैं, वे एकत्र करनेवालों के लिए अधिक मूल्यवान हो जाते हैं और फिर संग्रह और बिक्री की मात्रा, यदि स्थायी रूप से नहीं की जाती है, तो उन प्रजातियों पर अधिक प्रभाव पड़ता है।

अध्ययन में छात्र जांचकर्ताओं ने स्वतंत्र तरीके से यह देखने के लिए खोज शुरू की कि वहां क्या-क्या था। जानकारी इकट्ठा करने के बाद, टीम ने अपनी प्रक्रिया को औपचारिक रूप दिया और सभी प्लेटफ़ॉर्म पर खोजों को विभाजित किया- जिसमें ऐमज़ॉन, ईबे, एतस्य और अलीबाबा अन्य शामिल हैं। उन्होंने कुछ प्रमुख सूचियों में पाए जाने वाले कमजोर कीट और मकड़ी प्रजातियों पर गौर किया।

इनमें वनस्पतियों और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (सीआईटीईएस) सूची, प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) खतरे वाली प्रजातियों की लाल सूची और अमेरिका में लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची शामिल हैं। उदाहरण के लिए, लुज़ोन मोर स्वॉल्वेटेल, अमेरिका में लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची और सीआईटीईएस में दर्ज है जो सबसे अधिक लुप्तप्राय प्रजातियों को दर्शाता है, ऐसी सीआईटीईएस परिशिष्ट 1 प्रजातियों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आम तौर पर प्रतिबंधित है।

अपनी खोज में टीम को तीन सूचियों में सूचीबद्ध 79 प्रजातियां मिलीं, जिनमें से आईयूसीएन की लाल सूची वाली सात प्रजातियां शामिल हैं, जो गंभीर रूप से लुप्तप्राय में दर्ज हैं। उनमें से दो कीट प्रजातियां थीं, एक गूटी नीलम टारेंटयुला (पोसीलोथेरिया मेटालिका) जिसको बेचने के लिए 232.50 डॉलर कीमत रखी गई है और एक साइप्रस बीटल (प्रोपोमैक्रस साइप्रिएकस), जिसकी कीमत ईबे पर 1,100 डॉलर देखी गई थी।

बिक्री के लिए उन्हें जो सबसे महंगा कीट मिला, वह आर्निथॉप्टर अलॉटी नाम की एक तितली की प्रजाति थी, जिसे सीआईटीईएस परिशिष्ट 2 में सूचीबद्ध किया गया था। खोज के समय इस तितली की ईबे पर कीमत 3,850 डॉलर रखी गई थी।

सह-अध्ययनकर्ता  जुआन पाब्लो जॉर्डन ने कहा यह वास्तव में आश्चर्यजनक था कि कितनी आसानी से लुप्तप्राय प्रजातियों को खुले तौर पर ऑनलाइन बेचा जा रहा है। यह भी आश्चर्यजनक था कि लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची को खोजना कितना आसान है और बिक्री करने वाले प्लेटफार्मों पर अनिवार्य रूप से कानून द्वारा संरक्षित खतरे वाली प्रजातियों के व्यापार को बढ़ावा दे रही हैं।

छात्रों को बिक्री के लिए रखी गई ऐसी प्रजातियां भी मिलीं जो पारिस्थितिकी सेवाएं प्रदान करती हैं, जैसे कि कीट नियंत्रण और परागण करने वाले जीव। इस तरह के कीड़ों को वैध या नियमित स्रोतों के माध्यम से खरीदा जाना चाहिए। क्योंकि रोगग्रस्त कीड़ों को छोड़ना, तनाव, या ये उन क्षेत्रों में पनपने के लिए अनुकूल नहीं है जहां उन्हें छोड़ा जाता है। इस तरह के कीट बड़ी जंगली आबादी को प्रभावित कर सकते हैं और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं।

अध्ययनकर्ता कर्टिस ने कहा ने कहा हमें उम्मीद है, हमारे निष्कर्षों से दुर्लभ कीड़ों की अवैध ऑनलाइन बिक्री को बेहतर ढंग से लागू किया जा सकेगा और जंगल में उन प्रजातियों की रक्षा की जा सकेगी। यह शोध ग्लोबल इकोलॉजी एंड कंज़र्वेशन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

Subscribe to our daily hindi newsletter