संसद में आज: ओडिशा में 2020-21 में हाथियों के हमले से 93 लोगों की गई जान

अध्ययन के मुताबिक भारत के पूर्वी और पश्चिमी तट के साथ विभिन्न समुद्र तटों पर प्लास्टिक का अलग-अलग तरह का कचरा 40 फीसदी से 96 फीसदी तक पंहुचा

By Madhumita Paul, Dayanidhi

On: Monday 08 August 2022
 

भारत में मानव-वन्यजीव संघर्ष

आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि, देश के विभिन्न हिस्सों से मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं की जानकारी मंत्रालय को उपलब्ध कराई गई है।

लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 2021 में बाघों के हमले के कारण लोगों की मृत्यु उत्तर प्रदेश में (13), महाराष्ट्र (10), बिहार और तमिलनाडु (प्रत्येक राज्य में 3 मौतें), कर्नाटक और उत्तराखंड प्रत्येक में 1 मौत हुई थी।

आंकड़ों से यह भी पता चला है कि ओडिशा में हाथियों के हमले के कारण सबसे अधिक लोगों की मृत्यु हुई, इसके बाद 2020-21 में असम, झारखंड और पश्चिम बंगाल का स्थान रहा। ओडिशा में 2020-21 में हाथी के हमले से 93 लोगों की मौत हुई थी।

असम में गैंडों और हाथियों का अवैध शिकार

असम सरकार से प्राप्त जानकारी के मुताबिक 2019 से असम में सभी गैंडों वाले संरक्षित इलाकों में गैंडों के अवैध शिकार को काफी हद तक नियंत्रित किया गया है। 2019 से राज्य में हाथियों के अवैध शिकार के मामलों की संख्या भी न के बराबर रही है, यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में बताया।

समुद्र तटों में प्रदूषण

भारत के पूर्वी और पश्चिमी तट के साथ विभिन्न समुद्र तटों में कूड़े के गुणात्मक विश्लेषण पर नेशनल सेंटर फॉर कोस्टल रिसर्च (एनसीसीआर), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि पर्यटन से प्लास्टिक का अलग-अलग तरह का कचरा 40 फीसदी से 96 फीसदी तक होता है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया है कि अधिकांश बंदरगाहों और समुद्र तटों में भारी मात्रा में कूड़ा फैला है, इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में दी।

नीलगाय के संबंध में सर्वेक्षण

आज अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने नीलगाय को लेकर कोई सर्वेक्षण नहीं किया है। हालांकि नीलगाय और अन्य जंगली जानवरों के कारण फसलों को नुकसान सहित मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं की जानकारी कई राज्यों ने दी है। यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में बताया।

ई-अपशिष्ट के लिए रीसाइक्लिंग इकाइयां

वर्तमान में बाईस राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में 472 ई-कचरे को नष्ट करने वाले या रीसाइक्लिंग इकाइयां काम कर रहे हैं। इन अधिकृत नष्ट करने वाले या रीसाइक्लिंग इकाइयों की वार्षिक प्रसंस्करण क्षमता 14,26,685.22 टन है। इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में दी।

प्लास्टिक अपशिष्ट

अप्रबंधित और कूड़े से भरे प्लास्टिक कचरे का स्थलीय और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वर्ष 2019-20 की सीपीसीबी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019-20 के दौरान देश में प्लास्टिक कचरे का उत्पादन 34.69 लाख टन प्रति वर्ष (टीपीए) हुआ, जिसमें से लगभग 15.8 लाख टीपीए प्लास्टिक कचरे की रीसाइक्लिंग की गई जान गई और 1.67 लाख टीपीए सीमेंट भट्टों में सह-संसाधित किया गया था। यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में बताया।

हाथी परियोजना के लिए धन राशि

भारत में 2021-22 में केंद्र प्रायोजित योजना-परियोजना हाथी (सीएसएस-पीई) के तहत स्वीकृत कुल 2784.38 करोड़ रुपये और वर्ष 2021-22 में 1851.78 करोड़ रुपये उपयोग किए गए, इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में दी।

आदिवासी लोगों को आवंटित वन भूमि

राज्य सरकारों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक कुल 44,29,065 दावे (जिसमें से 42,60,247 व्यक्तिगत और 1,68,818 सामुदायिक दावे) दायर किए गए हैं और 22,34,292 (21,32,217 व्यक्तिगत और 1,02,075 सामुदायिक दावे) वितरित किए गए हैं। 31.03.2022 तक 1,59,12,693 एकड़ वन भूमि में से (45,47,165 एकड़ व्यक्तिगत और 1,13,65,528 एकड़ समुदाय) की सीमा में है। यह आज जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने लोकसभा में बताया। 

तिनसुकिया शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) क्षेत्र, असम में अपशिष्ट जल उपचार

सीएसई के अध्ययन से पता चला है कि तिनसुकिया यूएलबी के 97 प्रतिशत अपशिष्ट जल को अनुपचारित किया जाता है। तिनसुकिया शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) क्षेत्र में अपशिष्ट जल के उपचार को सुनिश्चित करने के लिए, असम सरकार ने एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) सीवरेज उपचार संयंत्र (एफएसटीपी) की क्षमता 3.0 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) प्रस्तावित की है। स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 (एसबीएम-यू 2.0) के तहत शहर, इसमें मलिन बस्तियों सहित शहरी क्षेत्रों में अपशिष्ट जल के उपचार को सुनिश्चित करने के उपाय शामिल हैं, इस बात की जानकारी आज आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री कौशल किशोर ने राज्यसभा में दी।

भूजल की स्थिति

2020 के आकलन के अनुसार, सभी उपयोगों के लिए वार्षिक निकासी योग्य भूजल संसाधन और वार्षिक भूजल निकासी क्रमशः लगभग 398 बिलियन क्यूबिक मीटर और लगभग 245 बीसीएम है। इसके अलावा, 2017 के आकलन के अनुसार, वार्षिक निकालने योग्य भूजल संसाधन और सभी उपयोगों के लिए वार्षिक भूजल निकासी क्रमशः लगभग 393 बीसीएम और लगभग 249 बीसीएम है। इसके अलावा, 2020 के दौरान देश में समग्र भूजल निकासी का चरण 2017 की तुलना में 63.33 फीसदी से घटकर 61.60 फीसदी हो गया है, यह आज जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने राज्यसभा में बताया।

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