असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में दो नई स्तनधारी प्रजातियों की हुई खोज

अनोखे बिंटूरोंग और छोटे पंजे वाले ऊदबिलाव के साथ ही गैंडों के आवास में अब स्तनधारियों की संख्या 37 हो गई है।

By Dayanidhi

On: Monday 29 January 2024
 
फोटो साभार: काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान

असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व में जीवों की सूची में दो नई स्तनधारी प्रजातियां जोड़ी गई हैं । यह पृथ्वी पर रहने वाले एक सींग वाले गैंडे का घर है।

दो स्तनधारियों में मायावी बिंटुरोंग (आर्कटिक्टिस बिंटुरोंग), भारत में सबसे बड़ा सिवेट जिसे बेयरकैट के नाम से भी जाना जाता है और छोटे पंजे वाला ऊदबिलाव (एओनिक्स सिनेरियस) शामिल है। दोनों वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची के तहत सूचीबद्ध हैं

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, हाल में हुई गणना के दौरान दो प्रजातियों को दर्ज किया गया, जिससे 1,302 वर्ग किमी वाले बाघ अभयारण्य में स्तनधारी की संख्या अब 37 हो गई है।

काजीरंगा में स्तनधारियों की सूची को 1985 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यहां शीर्ष पर पांच बड़े जानवर रहते हैं, जिसमें भारतीय एक सींग वाला विशाल गैंडा (राइनोसेरोस यूनिकॉर्निस), भारतीय हाथी (एलिफस मैक्सिमस), बंगाल टाइगर (पैंथेरा टाइग्रिस), जंगली पानी में रहने वाली भैंस (बुबलस बुबालिस) और पूर्वी दलदल में रहने वाले हिरण (सर्वस डुवाउसेली) शामिल हैं।

दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया का मूल निवासी एक वृक्षीय स्तनपायी, बिंटुरोंग अपनी रात्रिचर और पेड़ों में रहने की आदतों के कारण आसानी से नहीं देखा जा सकता है। काजीरंगा की निदेशक ने बताया कि, यह अपनी रेंज में भी असामान्य है और भारत में पूर्वोत्तर तक ये फैले हुए हैं।

गणना रिपोर्ट में बताया गया है कि बिंटुरोंग की तस्वीर 10 जनवरी को टाइगर रिजर्व में पांचवें प्रवासी पक्षी गणना के दौरान ली गई थी। रिपोर्ट में आगे कहा  गया कि छोटे पंजे वाले ऊदबिलाव को असम वन विभाग के सहयोग से भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा आयोजित एक संक्षिप्त प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद देखा गया था।

इसे एशियाई छोटे पंजे वाले ऊदबिलाव के रूप में भी जाना जाता है, इस स्तनपायी की वितरण सीमा भारत से पूर्व की ओर दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण चीन तक फैली हुई है। भारत में, यह ज्यादातर पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु के संरक्षित क्षेत्रों और पश्चिमी घाट क्षेत्र में केरल के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।

छोटे पंजे वाले ऊदबिलाव के पैर आंशिक रूप से जाल वाले होते हैं और पंजे छोटे होते हैं, जो उन्हें जलीय वातावरण में कुशल शिकारी बनाते हैं। वे मुख्य रूप से मीठे पानी के आवासों में पाए जाते हैं जहां वे मछली, क्रस्टेशियंस और मोलस्क का आहार खाते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटे पंजे वाले ऊदबिलाव की जानकारी पहले पश्चिमी हिमालय और ओडिशा के कुछ हिस्सों से मिली थी। इन दोनों क्षेत्रों में इसकी उपस्थिति का कोई हालिया रिकॉर्ड नहीं है।

रिपोर्ट के मुताबिक, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व में पाए जाने वाले अन्य स्तनधारियों में भारतीय जंगली सूअर (सस स्क्रोफा), भारतीय गौर (बोस गौरस), सांभर (सर्वस यूनिक्लोर), हूलॉक या सफेद-भूरे गिब्बन (हायलोबेट्स हूलॉक), गंगा डॉल्फिन (प्लैटनिस्टा गैंगेटिका), कैप्ड लंगूर या लीफ मंकी (प्रेस्बिटिस पाइलटस), स्लॉथ बियर (मेलर्सस उर्सिनस), तेंदुआ (पेंथेरा पार्डस), और सियार (कैनिस ऑरियस) आदि शामिल हैं।

ऊदबिलाव मुख्य रूप से नदियों, झरनों और आर्द्रभूमि जैसे मीठे पानी के आवासों में पाए जाते हैं, जहां वे मछली, क्रस्टेशियंस और मोलस्क का आहार खाते हैं। छोटे पंजे वाले ऊदबिलाव अत्यधिक सामाजिक प्राणी हैं, जो पारिवारिक समूहों में रहते हैं और विभिन्न स्वरों के माध्यम से आपस में संवाद करते हैं।

रिपोर्ट में चिंता जाहिर करते हुए कहा गया है कि दुर्भाग्य से, अन्य ऊदबिलाव प्रजातियों की तरह, छोटे पंजे वाले ऊदबिलाव को निवास स्थान की हानि, प्रदूषण और अवैध शिकार जैसे खतरों का सामना करना पड़ रहा है।

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