जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए किसानों को सतत मूल्‍य श्रृंखलाओं की जरूरत

उभरते हुए सामाजिक उद्यमी, महत्‍वपूर्ण और उपयोगी जानकारी के अभाव से जूझ रहे लघु किसानों का सहयोग करके वन एवं कृषि भूमि की पारस्थितिकी तंत्रों को बहाल करने में मदद कर रहे हैं

By Hari Krishna DV, Kavita Sharma, Mei Xu

On: Monday 23 January 2023
 

स्‍थानीय स्‍तर पर किया गया पारितान्त्रिक बहाली कार्य अनुकूलन को सम्‍भव बनाने और जलवायु के प्रति लोगों की सहनशीलता को बढ़ाने के लिए महत्‍वपूर्ण है, जो कि हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्‍वेंशन द्वारा आयोजित 27वीं कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी27) के दौरान विचार-विमर्श का एक प्रमुख केन्‍द्र भी रहा।

जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव, फसल का घटता रकबा, जैव-विविधता को नुकसान, अपर्याप्‍त भोजन एवं पोषण, बढ़ती गरीबी और संसाधनों तक असमान पहुंच और महामारियों के प्रभाव में आने का बढ़ा हुआ जोखिम, और साथ ही बाजार से जुड़ाव के अभाव अनेक चुनौतियों में से हैं जिनसे छोटे किसान जूझ रहे हैं।

कृषि और भोजन की मजबूत मूल्‍य श्रंखलाएं नियमित व्यापारिक संबंध और अच्‍छी कृषि आय सुनिश्चित करने में अतिमहत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

मूल्‍य श्रंखलाओं का विकास

सतत कृषि पद्धतियां, जैसे कि कृषि-वानिकी, फूड फॉरेस्‍ट और पुनरुत्‍पादक खेती को समर्थन देने वाली कृषि मूल्‍य श्रंखलाएं कम रकबे में खेती करने वाले किसानों के लिये आजीविका और आमदनी के बेहतर अवसर उपलब्‍ध कराती हैं। इससे किसान अपने प्राकृतिक संसाधनों का दक्षतापूर्ण इस्‍तेमाल सुनिश्चित कर सकते हैं, वहीं वे मिट्टी की सेहत को बहाल करने, कार्बन पृथक्‍करण और कीटों तथा बीमारियों के प्रति फसलों की सहनशीलता भी सुनिश्चित कर सकते हैं, जिससे खेती की पद्धतियां जलवायु के प्रति अधिक सतत बनती हैं। पर्यावरण, आर्थिक, सामाजिक, भू-राजनीतिक, महामारी और जलवायु से संबंधित झटकों के लिए ऐसी मूल्य श्रृंखलाओं का लचीलापन खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

हालांकि कुशल एवं जलवायु-अनुकूल मूल्‍य श्रंखलाओं को स्‍थापित करना मुश्किल है- विशेषकर छोटे किसानों के लिये, क्‍योंकि उनके पास बाजार तक पहुंच वजरूरी सूचनाओं और संसाधनों का अभाव होता है। इस तरह की रुकावटें ही खेती को एक बाधाग्रस्‍त आजीविका बनाये हुए हैं, नतीजतन गरीबी और विस्‍थापन में बढ़ोत्तरी। इस समस्‍या के समाधान के लिये बुनियादी चुनौतियों की बारीक समझ होना जरूरी है जैसे कि ऊर्ध्वाधर एकीकरण, ज्ञान साझा करना और बढ़ते जलवायु प्रभाव। चरणों को लंबवत रूप से एकीकृत करने से, विशेषकर श्रृंखला के निचले भाग में, स्रोत और सूचना के आदान-प्रदान में मूल्य-संवर्धन में मदद मिलती है जिससे बेहतर आय उत्पादन के साथ-साथ सतत समुदायों का निर्माण भी होता है।

सौभाग्‍यवश, उभरते हुए सामाजिक उद्यमियों को लैंड एक्‍सीलरेटर साउथ एशिया जैसे अनोखे कार्यक्रमों के माध्‍यम से मागर्दशन और प्रोत्साहन मिल रहा है। ये कार्यक्रम इन उद्यमियों को बहाली-आधारित व्यापार मॉडल तैयार करने और ऐसी सतत मूल्य श्रृंखलाओं पर काम करने में सहायता करते हैं। 

वन एवं कृषि भूमि पारिस्थितिकी तंत्रों को बहाल करके हम लघु किसानों, वनवासी समुदायों तथा अन्‍य सीमांत समूहों की सततता को बनाने में मदद कर सकते हैं। 

कारोबार के नवीनतम रास्‍तों के साथ उभरते हुए समाधान

थापसू सी बकथॉर्न जैसे देशी कृषि उत्पादों की मनाली स्थित आपूर्ति-श्रृंखला इंटीग्रेटर है, जिसका नेतृत्व दो महिला उद्यमी अमशु सीआर और मीना एचएन कर रही हैं। 

यह कंपनी देसी हिमालयी फसलों के लिए खाद्य सततता तथा पारदर्शिता को बढ़ावा देने और उन्हें संभावित बाजारों से जोड़ने के लिए स्थानीय आदिवासी किसानों और स्वयं सहायता समूह के साथ साझीदारी करती है। 

यह व्यवसाय स्थानीय स्तर पर उगाई गई पोषक फसलों तक पहुंच को बेहतर बना रही है, रोजगार के वैकल्पिक अवसर उत्पन्न कर रही है और लघु किसानों के लिए अपनी बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने में सक्षम करने के साथ-साथ बाजार तक उनकी पहुंच को भी मजबूत बना रही है। 

कोणकुवन हर्ब्स एक और परिवर्तनकारी कंपनी है जिसकी स्थापना रूपाली डी. मोहपात्रा और राजेश्वर धवल ने वर्ष 2019 में की थी। यह कंपनी लघु किसानों और बाजार के बीच के दूरी को भरने की दिशा में काम कर रही है। यह कंपनी कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने की दिशा में काम करने के साथ-साथ हर्बल उद्योग में गुणवत्तापूर्ण कच्चे माल की उपलब्धता में सुधार के लिए भी काम कर रही है। यह कंपनी किसान समुदायों को उनकी फसलों और भौगोलिकताओं के आधार पर क्लस्टर के रूप में संगठित कर रही है, खासतौर पर आदिवासी समुदाय की महिलाओं और छोटे किसानों को।

कोणकुवन हर्ब्स बीज के साथ-साथ तकनीकी मार्गदर्शन भी देती है ताकि किसान देसी औषधीय फसलें उगा सकें, जिनका उच्च औद्योगिक इस्तेमाल हो और उन्हें बाजार में ऊंचे दाम भी मिलें। यह कंपनी किसानों को अपनी कृषि भूमि का प्रबंधन करने में भी मदद करती है। साथ ही उनसे उनकी ताजा उपज भी खरीदती है। इससे किसानों को रोजी-रोटी के  सतत विकल्प उपलब्ध होते हैं। इसके अलावा किसानों के सामने आने वाली जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों की अत्यधिक निकासी, कुपोषण और विस्थापन जैसी समस्याओं का समाधान भी मिलता है। यह कंपनी अब तक झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में 1100 एकड़ क्षेत्र में 2200 से ज्यादा किसानों के साथ काम कर चुकी है।

आईऔरा ब्रांड के तहत काम करने वाली उत्तराखंड की कंपनी 'किमालया नेचुरल्स' स्वास्थ्य और आरोग्य से जुड़े ऑर्गेनिक उत्पादों की एक अनोखी श्रृंखला तैयार कर रही है। इसके संस्थापक भूपेंद्र सिंह अधिकारी, कविता नेगी और कंचन सिंह कुआर्बी प्रीमियम हिमालयन चाय का उत्पादन करके स्थानीय किसानों के लिए आजीविका के सतत विकल्प पेश करने की दिशा में काम कर रहे हैं। यह उपक्रम उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का निर्माण कर रोजगार के सतत अवसर भी पैदा कर रहा है। यह रसायन मुक्त कृषि पद्धतियों के लिए स्थानीय किसानों की क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें बेहतर आमदनी भी उपलब्ध करा रहा है। इसके परिणामस्वरूप उस अल्मोड़ा जिले से विस्थापन रुका है जो अपने निर्जन होते गांवों के लिए कुख्यात है। बंजर और कीचड़ वाली जमीन पर खेती करने से इन पर्वतीय क्षेत्रों में मिट्टी का अपरदन भी रुकता है।

 भूले जा चुके देसी और अत्यधिक पोषक तत्वों से भरपूर 'मोटे अनाज' को फिर से चलन में लाते हुए 'न्यूट्रास्यूटिकल रिच ऑर्गेनिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड' यह छत्तीसगढ़ के दूरदराज के क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों के साथ काम कर रही है। 

अपने ब्रांड 'ग्रैंडमां मिलेट्स' के अंतर्गत यह कंपनी स्थानीय मोटे अनाज को तत्स्थान पर उत्पादित करने उसका एकत्रण करने और प्रसंस्करण करने के लिए 'ट्राईबल मिलेट कोऑपरेटिव्ज' के गठन के लिए काम कर रही है। इससे मूल्यवर्द्धन होने के साथ-साथ सीमांत किसानों को अपनी उपज का बेहतर पारिश्रमिक हासिल करने में भी मदद मिल रही है। यह स्थानीय लघु किसानों को जलवायु के प्रति सतत मोटे अनाज की देसी किस्में उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। साथ ही साथ पोषण सुरक्षा और भू-बहाली में भी मदद कर रहा है। 

लघु किसानों के लिए सतत भविष्य का निर्माण

संयुक्त राष्ट्र की इकाई 'इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज' की वर्ष 2022 की रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चरम घटनाओं की आवृत्ति और उनकी तीव्रता में वृद्धि का प्रमुख रूप से वर्णन किया गया है। जलवायु परिवर्तन और सूचनाओं की विषमता जैसे बाहरी झटकों से पैदा होने वाले उत्पाद और बाजार संबंधी जोखिमों को समझना लघु किसानों की सहनशीलता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है। कोनकुवान हर्ब्स, थापसू, आईऔरा और ग्रैंडमा मिलेट्स जैसे पुनरुद्धार आधारित उद्यमों के जरिए सततता निर्माण की सभी तीन रणनीतियों का संचालन करने के साथ-साथ वैकल्पिक और स्थाई आजीविका विकल्प प्रदान करके और संवेदनशीलता को कम करके जोखिम में कमी लायी जा रही है। ये कंपनियां काम को औपचारिक रूप देकर, जोखिम हस्तांतरण तंत्र से जुड़कर और लचीली कृषि पद्धतियों, ज्ञान साझा करने और विस्तार की गतिविधियों को बढ़ावा देकर अनुकूलन क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ स्थाई और बेहतर आमदनी भी प्रदान कर रही हैं।  

सतत मूल्य संख्याओं के निर्माण के दौरान जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न जोखिमों के प्रभाव को कम करने के प्रयास और आमदनी तथा आजीविका के अवसरों में सुधार होने से कारोबारियों को रूपांतरण में सक्षम बनाया जा रहा है। 

लेखक हरि कृष्णा डी वी वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट (डब्ल्यू आर आई) इंडिया में सस्टेनेबल लैंडस्केप एंड रीस्टोरेशन शाखा के लैंड एक्सीलरेटर प्रोग्राम में प्रोग्राम एसोसिएट हैं। कविता शर्मा डब्ल्यू आर आई इंडिया में सस्टेनेबल लैंडस्केप एंड रीस्टोरेशन टीम के लैंड एक्सीलरेटर प्रोग्राम में सीनियर प्रोग्राम मैनेजर हैं। मेई सू ने डब्ल्यू आर आई इंडिया में सस्टेनेबल लैंडस्केप एंड रीस्टोरेशन टीम के लैंड एक्सीलरेटर प्रोग्राम में प्रशिक्षु के तौर पर काम किया है। 

लेखकों द्वारा व्यक्त किए गए विचार उनके निजी हैं और जरूरी नहीं है कि वे 'डाउन टू अर्थ' के विचारों से समानता रखते हों।

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