किसान परेड के बाद तीन कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन अब भी जारी

संयुक्त किसान मोर्चा ने कल शाम छह बजे किसान परेड के पूर्ण होने का ऐलान किया। वहीं, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा।  

By Vivek Mishra

On: Wednesday 27 January 2021
 

देश की राजधानी दिल्ली में 72वां गणतंत्र दिवस काफी उथल-पुथल वाला रहा। एक तरफ बड़ी संख्या में किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बहाल करने को लेकर दिनभर शांतिपूर्ण किसान ट्रैक्टर परेड हुई लेकिन दोपहर होते-होते राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में संदिग्ध लोगों के जरिए कुछ उपद्रव भी किया गया। किसान यूनियनों ने इस उपद्रव और हिंसा की निंदा की है। साथ ही कहा है कि किसान परेड से इनका कोई लेना-देना नहीं था।

26 जनवरी, 2021 की देर शाम को संयुक्त किसान मोर्चा ने गणतंत्र दिवस परेड को तत्काल प्रभाव से बंद करने और सभी किसानों को धरना स्थल पर वापस लौटने का ऐलान किया। वहीं, किसान संगठनों ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहेगा। साथ ही भविष्य के कदमों पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। 

किसान रैली के दौरान डाउन टू अर्थ के रिपोर्टर्स ग्राउंड पर थे। ज्यादातर किसानों ने सरकार के डेढ़ साल तक कानून स्थगन के मामले पर कहा कि दरअसल सरकार इस अवधि में उनके खरीददारों को खत्म कर देना चाहती है। ऐसे में जब सरकारी व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी और प्राइवेट मंडियां या खरीददार होंगे तो किसान अपने अनाज का वाजिब दाम भी नहीं हासिल कर पाएंगे। 

एमएसपी के मुद्दे पर किसानों ने कहा कि जब खरीददार ही नहीं होंगे तो एमएसपी का कोई अर्थ भी नहीं रह जाएगा। ज्यादातर  किसानों ने पुरानी मंडी व्यवस्था बहाल करने और ताजा कृषि कानूनों को खत्म करने की बात कही।  

किसान नेताओं ने रैली के दौरान उपद्रव को लेकर पुलिस पर आरोप लगाया। राकेश सिंह टिकैत ने कहा कि उन्हें देर रात तक पुलिस की ओर से रूट स्पष्ट नहीं किया गया था। इसके बाद जह किसान सड़कों पर पहुंचे तो रूट पर ही बैरिकेडिंग थी। ऐसे में विवाद का होना तय था। यह प्रशासन की विफलता थी जो किसानों के मत्थे जड़ी जा रही है।

वहीं, दिल्ली में गाजीपुर, सिंघु और टिकड़ी बॉर्डर से स्थानीय लोगों ने गणतंत्र दिवस के दिन आधिकारिक परेड के बजाए किसानों के परेड को समर्थन दिया। बहरहाल सड़कों पर पैरामिलेट्री फोर्स तैनात हैं। और एक फरवरी को बजट के दिन किसानों ने पूर्व में संसद घेराव की चेतावनी दी थी। लेकिन अभी इस पर स्पष्टता आनी बाकी है। 

किसान संगठन आगे के कदमों को लेकर आपसी बातचीत कर रहे हैं।  

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