फायदेमंद हो सकती है समुद्री सिवार की खेती, कृषि भूमि उपयोग में 11 करोड़ हेक्टेयर की होगी बचत

वैज्ञानिकों के मुताबिक सीवीड फार्मिंग, हर वर्ष भूमि उपयोग पर बढ़ते दबाव को कम करने के साथ-साथ कृषि उत्सर्जन में 260 करोड़ टन की कटौती कर सकती है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 31 January 2023
 
सूखा समुद्री सिवार (सीवीड); फोटो: पिक्साबे

जैसे-जैसे इंसानी जरूरतें बढ़ रही हैं उनके साथ-साथ कृषि उत्पादन के लिए भूमि पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में क्या सीवीड फार्मिंग इस कृषि भूमि की बढ़ती मांग को कम करने में मददगार हो सकती है। इसे समझने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड द्वारा एक नया अध्ययन किया गया है। इस रिसर्च से पता चला है कि समुद्री सिवार यानी सीवीड की खेती न केवल खाद्य सुरक्षा की समस्या को हल कर सकती है, साथ ही यह जैव विविधता को होते नुकसान और जलवायु में आते बदलावों से निपटने में भी मददगार हो सकती है।

रिसर्च से पता चला है कि यदि 2050 तक इंसान अपनी खाद्य संबंधी जरूरत के करीब 10 फीसदी हिस्से को समुद्री सिवार की मदद से पूरा कर लेता है, तो इससे कृषि भूमि उपयोग को 11 करोड़ हेक्टेयर तक कम किया जा सकता है। मतलब स्पष्ट है कि सीवीड की खेती कृषि भूमि उपयोग पर बढ़ते दबाव को कम करने में मददगार हो सकती है।

इस बारे में शोध और यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के स्कूल ऑफ अर्थ एंड एनवायरनमेंटल साइंस से जुड़े शोधकर्ता स्कॉट स्पिलियास का कहना है कि सीवीड को भोजन, पशुओं के चारे, प्लास्टिक, फाइबर, डीजल और इथेनॉल सहित वाणिज्यिक उत्पादों के एक बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में उपयोग करने की काफी संभावनाएं मौजूद हैं।

उनके अनुसार रिसर्च से पता चला है कि समुद्री सिवार, कृषि के लिए बढ़ते भूमि उपयोग की मांग को कम करने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर हर वर्ष कृषि क्षेत्र से होते करीब 260 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) के बराबर ग्रीनहॉउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में मददगार हो सकती है।

गौरतलब है कि समुद्री सिवार (सीवीड), समुद्री पौधों और शैवाल की विभिन्न प्रजातियों का सामान्य नाम है जो समुद्र, नदियों, झीलों और अन्य जल स्रोतों में उगते हैं। इनमें कुछ समुद्री सिवार बहुत छोटे तो कुछ बहुत बड़े होते हैं जैसे विशाल केल्प। हालांकि इनमें से ज्यादातर मध्यम आकार के होते हैं जो लाल, हरे, भूरे और काले आदि विभिन्न रंगों के होते हैं। यह सीवीड समुद्र तटों और तटरेखाओं के आसपास लगभग पूरी दुनिया में पाए जाते हैं।

इतना ही नहीं अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ग्लोबल बायोस्फीयर मैनेजमेंट मॉडल का उपयोग करते हुए व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण समुद्री सिवार की 34 से अधिक प्रजातियों का अध्ययन किया है और यह देखा है कि दुनिया के किन क्षेत्रों में इन सीवीड प्रजातियां के बढ़ने की सम्भावना है। जहां इनकी खेती की जा सकती है।

वैश्विक स्तर पर सीवीड की खेती के लिए अनुकूल है समुद्र का 65 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र

इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने भूमि उपयोग में बदलावों, ग्रीनहॉउस गैसों के उत्सर्जन, पानी और उर्वरकों के उपयोग के साथ 2050 तक प्रजातियों पर पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखते हुए कई परिदृश्यों में इसके पर्यावरण को होने वाले फायदों का अनुमान लगाया है।

रिसर्च के जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनके अनुसार वैश्विक स्तर पर समुद्र का करीब 65 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र समुद्री सिवार की खेती के लिए अनुकूल है। इसका ज्यादातर हिस्सा इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया में है, क्योंकि इन दोनों देशों के आर्थिक नियंत्रण में समुद्र का एक बहुत बड़ा हिस्सा आता है।

जानकारी मिली है कि इंडोनेशियाई ईईजेड में करीब 11.4 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र इस शैवाल की खेती के लिए उपयुक्त है। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में भी समुद्र का करीब 7.5 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र इसके अनुकूल है। ऑस्ट्रेलिया में समुद्री सिवार की 22 से भी ज्यादा प्रजातियां हैं जिनकी व्यावसायिक रूप कृषि की जा सकती है।

भोजन और कृषि के रूप में इनके उपयोग के बारे में स्पिलियास का कहना है कि सीवीड की कुछ देशज प्रजातियां ऐसी ही हैं जैसी रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली फसलें गेहूं और मक्का कभी थी, जिन्हें पहले जंगली घास (वीड) समझा जाता था। लेकिन हजारों वर्षों की ब्रीडिंग के बाद आज हमने ऐसी फसलें विकसित की हैं जो आधुनिक समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनके अनुसार सीवीड में भी भविष्य के लिए कुछ ऐसी ही संभावनाएं मौजूद हैं।

इस रिसर्च के नतीजे जर्नल नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित हुए हैं।

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