'नेताओं की निष्क्रियता ने विरोध के लिए किया मजबूर', कॉप28 में विरोध के बाद 12 वर्षीय मणिपुरी कार्यकर्ता ने साझा की कहानी

मणिपुर की इस 12 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता का कहना है कि चरम मौसमी घटनाओं के व्यक्तिगत अनुभवों और शिक्षकों ने उन्हें कार्रवाई के लिए प्रेरित किया है

By Jayanta Basu, Lalit Maurya

On: Thursday 14 December 2023
 
Photo: @LicypriyaK / X (Twitter)

मणिपुर की 12 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम, जो हाल ही में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन कॉप28 के दौरान हंगामा मचाने को लेकर सुर्खियों में छा गई थी। उनका कहना है कि वो जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक नेताओं की निष्क्रियता से "पूरी तरह से निराश" थीं और उन्होंने अनायास ही यह कदम उठा लिया था।

गौरतलब है कि 11 दिसंबर, 2023 को कंगुजम, जीवाश्म ईंधन के निरंतर होते उपयोग के विरोध में एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान मंच पर कूद गई थी। इस दौरान उन्होंने अपने हाथ में एक पोस्टर भी ले रखा था, जिसमें लिखा था कि "जीवाश्म ईंधन का उपयोग बंद करें। हमारे ग्रह और भविष्य को बचाएं।"

नेता झूठ बोलते हैं, लोग मरते हैं; कार्यकर्ता ने लगाया नारा

मंच पर युवा मणिपुरी कार्यकर्ता बार-बार चिल्लाती रही, "नेता झूठ बोलते हैं, लोग मरते हैं...अभी कार्रवाई करें।" वह करीब एक मिनट तक मंच पर एक छोर से दूसरे छोर तक घूमती रही। कंगुजम ने मंच पर चढ़ने के बाद जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल का विरोध करते हुए एक छोटा सा भाषण भी दिया।

उनके भाषण इतना प्रभावी था कि कॉप-28 के महानिदेशक माजिद अल सुवेदी सहित सम्मेलन में शामिल लोगों ने उनकी खूब तारीफ की थी, हालांकि इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने कंगुजम को वहां से बाहर निकाल दिया।

बता दें कि कॉप28 में 'जीवाश्म ईंधन बंद करो' एक युद्ध घोष बन गया था। जिसपर देर रात तक लंबी और कई बार तनावपूर्ण बातचीत हुई। इसके बाद जो अंतिम निर्णय सामने आया उसमें जीवाश्म ईंधन पर काफी जोर दिया गया है।

इसके बाद, युवा कार्यकर्ता और उनकी मां का पंजीकरण बैच जब्त कर लिया गया और उन्हें कॉप28 में आगे प्रवेश से वंचित कर दिया गया। हालांकि उनके इस कृत्य की सम्मेलन कक्ष में मौजूद कई लोगों ने सराहना भी की। बता दें कि एशियाई देश तिमोर-लेस्ते के विशेष दूत के रूप में दुबई कॉप28 में शामिल हुई कंगुजम इससे पहले भी मैड्रिड और शर्म अल शेख में होने वाले कॉप सम्मेलनों में भाग ले चुकी हैं।

युवा कार्यकर्ता ने कॉप के प्रवेश बिंदु के बाहर खड़े इस रिपोर्टर से कहा कि, “मैं उच्च-स्तरीय मंच पर चढ़ गई, क्योंकि मैं इस बात से पूरी तरह निराश था कि हमारे नेता वास्तव में जीवाश्म ईंधन में कटौती करने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। यह सब सिर्फ दिखावा है,...केवल ब्ला ब्ला ब्ला।“उनका कहना है कि उन्होंने यह सब आवेश में किया। उनका आगे कहा कि, "जीवाश्म ईंधन की वृद्धि को रोकने में नेताओं की विफलता दुनिया को 1.5 डिग्री सेल्सियस से आगे धकेल देगी। इससे अनिश्चितता पैदा होगी, जिसका खामियाजा खासकर कमजोर आबादी को भुगतना होगा।“ 

छोटी उम्र में ही बन गई थी आन्दोलनों का हिस्सा

लिसिप्रिया ने बताया कि वो छोटी उम्र में ही जलवायु आंदोलन में शामिल हो गई। यह तब हुआ जब उनके शिक्षकों ने उन्हें पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की उपेक्षा के खतरों के बारे में सिखाया।

युवा कार्यकर्ता ने बताया कि, "मैं ओडिशा में थी जब मैंने लोगों पर चक्रवात तितली और फानी का प्रभाव देखा। अब मैं दिल्ली में गर्मी का असर देख रही हूं।" तितली ने 2018 में तटीय राज्य पर हमला किया था, उसके एक साल बाद फानी ने आघात किया। बता दें कि कंगुजम को कॉप में विरोध के बाद सोशल मीडिया पर दुनिया भर के साथी युवा कार्यकर्ताओं से बहुत समर्थन मिला है।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों द्वारा उनका बैज जब्त करने और उन्हें कॉप परिसर से बाहर फेंकने को अपने अधिकारों का उल्लंघन बताया है। मणिपुरी  कार्यकर्तां ने बताया कि, "उन्होंने यहां तक चेतावनी दी है कि मुझे भविष्य में किसी भी कॉप का बैज नहीं मिलेगा।" लेकिन उन्होंने अपने इरादे की पुष्टि की है आने वाले वर्षों में फिर से इसमें भाग लेंगी।

इस युवा कार्यकर्ता का कहना है कि हालांकि उन्हें "भारत के जलवायु प्रदर्शन पर गर्व है, लेकिन उन्हें लगता है कि देश इससे और ज्यादा बेहतर कर सकता है।"

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