भारत में बाढ़ के लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेवार: अध्ययन

जर्नल वेदर एंड क्लाइमेट एक्स्ट्रीम में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि भविष्य में अधिक दिनों तक बाढ़ की घटनाओं में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है

By Dayanidhi

On: Wednesday 14 August 2019
 
केरल में बाढ़ का दृश्य। Photo: Rejimon K

आईआईटी-गांधीनगर के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में भारी बारिश और बाढ़ सामान्य घटना बनती जा रही है। जर्नल वेदर एंड क्लाइमेट एक्स्ट्रीम में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि भविष्य में अधिक दिनों तक बाढ़ की घटनाओं में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है।

लगातार हो रही बारिश ने नौ राज्यों में मानसूनी कहर बरपाया है, जिससे कई लोग मारे गए और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। एनडीआरएफ ने अब तक केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात में 42,000 से अधिक लोगों को बचाया है। वैज्ञानिकों हैदर अली, पार्थ मोदी और विमल मिश्रा के अध्ययन के अनुसार, पिछले कुछ दशकों में बाढ़ में वृद्धि हुई है और दुनिया भर में जलवायु प्रणाली के गर्म होने के कारण यह स्थिति और भी खराब होने की संभावना है। अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने 1901 से 2015 के बीच की अवधि का भारत के मौसम विभाग से जलवायु और वर्षा के आंकड़ों का इस्तेमाल किया है।

अध्ययनकर्ताओं ने विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में बारिश और बाढ़ की भविष्यवाणी का अध्ययन किया और पाया कि अधिक दिनों तक बाढ़ की घटनाओं की आवृत्ति पहले की तुलना में तेज गति से बढ़ रही है। अध्ययन में कहा गया है कि बाढ़ की आवृत्ति में परिवर्तन और जलवायु के गर्म होने के प्रभाव से संबंधित जोखिमों से भारतीय उप-महाद्वीप काफी हद तक अपरिचित थे, अथवा इस प्रकार की घटनाएं पहले नहीं होती थी। 

आईआईटी-गांधीनगर के प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि बढ़ते तापमान से वातावरण की धारण करने की क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे तेज बारिश की संभावना बनती है। इसलिए पिछले कुछ सालों में भारी बारिश की घटनाओं में वृदि्ध का कारण जलवायु परिवर्तन है, जिससे बाढ़ की घटनाएं बढ़ी हैं। शोध में यह भी बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन का मानव जीवन पर अभूतपूर्व प्रभाव पड़ सकता है।

अध्ययन देखने के क्लिक करें https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S2212094718301932?via%3Dihub
पूरा अध्ययन देखने के लिए यहां क्लिक करें - https://reader.elsevier.com/reader/sd/pii/S2212094718301932?token=6B70183EBE388EAC67D7EEABB153AF6D36B19BAA776899F19BFCB6E4FB1ED10159A3BFC443200F83AB3A79561452AC00

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