कॉप 27 का प्रमुख प्रायोजक कोका-कोला, प्लास्टिक प्रदूषण के मामले में भी है अव्वल

2022 के दौरान वैश्विक स्तर पर इकठ्ठा किए सभी प्लास्टिक कचरे में कोका-कोला ब्रांड से जुड़े कचरे की हिस्सेदारी 7.32 फीसदी थी, जो 2018 में 3.6 फीसदी दर्ज की गई थी

By Preetha Banerjee, Lalit Maurya

On: Thursday 17 November 2022
 

एक नई रिपोर्ट में दावा किया है कि कोका-कोला कंपनी 2018 से 2022 के बीच दुनिया की सबसे बड़ी प्लास्टिक प्रदूषक थी। वहीं दूसरी तरफ आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह कंपनी शर्म अल-शेख में जलवायु परिवर्तन पर चल रहे शिखर सम्मेलन (कॉप 27) के सबसे प्रमुख प्रायोजकों में से एक है।

2018 के बाद से 87 देशों में करीब 2 लाख स्वयंसेवकों द्वारा कचरे को साफ करने के लिए चलाए अभियानों में प्लास्टिक कचरे में कोका-कोला के 85,035 उत्पादों का पता चला है। यह जानकारी 11,000 से ज्यादा संगठनों और समर्थकों के एक वैश्विक समूह ब्रेक फ्री फ्रॉम प्लास्टिक (बीएफएफपी) द्वारा जारी रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार यह आंकड़ा दो अन्य शीर्ष प्रदूषकों - पेप्सिको और नेस्ले दोनों की तुलना में भी ज्यादा था।

15 नवंबर, 2022 को प्रकाशित 'ब्रांड ऑडिट रिपोर्ट 2018-2022' के अनुसार 2018 से 2022 के बीच ब्रांड ऑडिट में पेप्सिको ब्रांडे के उत्पादों के 50,558 और नेस्ले ब्रांडे के 27,008 उत्पादों को एकत्र किया है।

इस बारे में बीएफएफपी ने अपनी वेबसाइट में लिखा है कि, “ब्रांड ऑडिट एक वैज्ञानिक भागीदारी पहल है जिसमें प्लास्टिक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कंपनियों की पहचान करने के लिए प्लास्टिक कचरे में पाए जाने वाले ब्रांडों की गिनती और उनका दस्तावेजीकरण करना शामिल है।“

इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि कोका कोला लेबल वाले प्लास्टिक वेस्ट उत्पादों की हिस्सेदारी भी पिछले पांच वर्षों में काफी बढ़ गई है। जैसा कि निष्कर्षों से पता चला है कि 2018 में, वैश्विक स्तर पर एकत्र किए गए करीब 255,429 प्लास्टिक में से 9,300 वस्तुओं को कोका-कोला उत्पादों के रूप में पहचाना गया। वहीं 2022 में एकत्र किए कुल 429,994 प्लास्टिक में से यह मात्रा बढ़कर 31,457 पर पहुंच गई है।

इस बारे में पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय संगठनों के नेटवर्क ने अपने प्रेस को दिए बयान में कहा है कि, “यह देखते हुए कि इसमें से 99 फीसदी प्लास्टिक जीवाश्म ईंधन से बना है, कॉप 27 में कोका-कोला की भूमिका पर्यावरण कार्यकर्ताओं को हैरान करती है।“

वहीं ब्रेक फ्री फ्रॉम प्लास्टिक के ग्लोबल कोऑर्डिनेटर  वॉन हर्नांडेज का कहना है कि, "सरकारों को कोका कोला जैसी कंपनियों को अपनी छवि सुधारने का मौका देने के बजाय इन प्रदूषकों को पुन: उपयोग और वैकल्पिक उत्पाद वितरण प्रणालियों में निवेश करने के लिए मजबूर करने की जरूरत है, जिसे इस समस्या को पहले पड़ाव पर ही दूर किया जा सके।"

उनका कहना है कि यह जलवायु परिवर्तन और प्लास्टिक प्रदूषण के होने वाले दुष्परिणामों को रोकने के लिए यह एक बेहद जरूरी प्रणालीगत परिवर्तनों में से एक है। 

रिपोर्ट के अनुसार एलेन मैकआर्थर फाउंडेशन और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा 2018 में  शुरू की गई 'न्यू प्लास्टिक इकोनॉमी ग्लोबल कमिटमेंट' में शामिल कंपनियां वास्तव में प्लास्टिक पैकेजिंग के उपयोग में वृद्धि कर रही हैं। ऐसे में यह यह कंपनियां निश्चित रूप से 2025 तक 100 फीसदी दोबारा उपयोग और कंपोस्टेबल पैकेजिंग के लक्ष्य को प्राप्त करने से चूक जाएंगी।

बीएफएफपी के विश्लेषकों का कहना है कि, "2019 में कोका-कोला कंपनी ने कुल 30 लाख टन प्लास्टिक पैकेजिंग का इस्तेमाल किया था जो 2022 में बढ़कर 32.2 लाख टन से ज्यादा हो गया है।" इसी तरह पेप्सिको का वार्षिक उपयोग 2019 में 23 लाख टन से बढ़कर 2022 में 25 लाख टन पर पहुंच गया है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कोका-कोला की भारतीय सहायक कंपनी ने अभी तक केरल के प्लाचीमाडा में भूजल के दोहन और दूषित करने का मुआवजा ग्रामीणों को नहीं दिया है। इससे प्रभावित लोग पिछले दो दशकों से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।

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