पृथ्वी के अन्य हिस्सों की तुलना में चार गुना तेजी से गर्म हो रहा है आर्कटिक: अध्ययन

आंकड़ों से पता चलता है कि आर्कटिक प्रति दशक 0.75 डिग्री सेल्सियस गर्म हो रहा है, बाकी ग्रह की तुलना में यह लगभग चार गुना तेज है

By Dayanidhi

On: Friday 12 August 2022
 

एक नए शोध के मुताबिक आर्कटिक पिछले 40 वर्षों में शेष पृथ्वी की तुलना में लगभग चार गुना तेजी से गर्म हुआ है, जो बताता है कि जलवायु मॉडल ध्रुवीय ताप की दर को कम करके आंक रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र के जलवायु विज्ञान पैनल ने 2019 में एक विशेष रिपोर्ट में कहा था कि आर्कटिक प्रवर्धन के रूप में जानी जाने वाली प्रक्रिया के कारण आर्कटिक वैश्विक औसत से दोगुने से अधिक दर से गर्म हो रहा था।

यह तब होता है जब समुद्री बर्फ और बर्फ, जो स्वाभाविक रूप से सूर्य की गर्मी को प्रतिबिंबित करते हैं, जो इसे अवशोषित कर लेते हैं और बर्फ पिघल कर समुद्र के पानी में मिल जाती हैं।

जबकि वैज्ञानिकों के बीच एक लंबे समय से इस बात की सर्वसम्मति है कि आर्कटिक तेजी से गर्म हो रहा है। अनुमान अध्ययन की गई समय सीमा और आर्कटिक के भौगोलिक क्षेत्र के गठन करने वाली परिभाषा के अनुसार अलग-अलग होते हैं।

नॉर्वे और फिनलैंड में स्थित शोधकर्ताओं की एक टीम ने 1979 से उपग्रह अध्ययनों द्वारा एकत्र किए गए तापमान के आंकड़ों के चार सेटों का विश्लेषण किया, यह वह साल था जब पूरे आर्कटिक सर्कल के उपग्रह के आंकड़े उपलब्ध हुए।

उन्होंने पाया कि औसतन आंकड़ों से पता चलता है कि आर्कटिक प्रति दशक 0.75 डिग्री सेल्सियस गर्म हो गया था, बाकी ग्रह की तुलना में यह लगभग चार गुना तेज है।

फिनिश मौसम विज्ञान के सह-अध्ययनकर्ता एंट्टी लिपोनेन ने कहा आर्कटिक दुनिया की तुलना में लगभग दोगुना तेजी से गर्म हो रहा है, इसलिए मेरे लिए यह थोड़ा आश्चर्य की बात थी कि हमारी संख्या सामान्य संख्या से बहुत अधिक थी।

अध्ययन में आर्कटिक सर्कल के भीतर बढ़ते तापमान की दर में महत्वपूर्ण क्षेत्रीय भिन्नताएं पाई गईं। उदाहरण के लिए, स्वालबार्ड और नोवाया ज़ेमल्या द्वीपसमूह के पास आर्कटिक महासागर का यूरेशियन क्षेत्र, प्रति दशक 1.25 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो गया, यह बाकी दुनिया की तुलना में सात गुना अधिक है।

टीम ने पाया कि अत्याधुनिक जलवायु मॉडल ने भी आर्कटिक में बढ़ते तापमान का पूर्वानुमान लगाया था, जो देखे गए आंकड़ों से लगभग एक तिहाई कम था।

उन्होंने कहा कि यह विसंगति पिछले मॉडल के अनुमानों के कारण हो सकती है जो आर्कटिक मॉडलिंग में पुराने हो गए हैं।

लिपोनेन ने कहा शायद अगला कदम मॉडलों पर एक नजर डालनी होगी और मुझे वास्तव में यह देखने में दिलचस्पी होगी कि मॉडल हम अवलोकनों में जो देखते हैं उसे पुन: पेश नहीं करते हैं और भविष्य के जलवायु अनुमानों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

साथ ही शिकार के लिए समुद्री बर्फ पर निर्भर रहने वाले स्थानीय समुदायों और वन्यजीवों को खतरनाक तरीके से प्रभावित करने के साथ-साथ आर्कटिक में तीव्र गर्मी का दुनिया भर में असर पड़ेगा।

ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर, जो हाल के अध्ययनों ने चेतावनी दी है कि एक पिघलने वाले "टिपिंग पॉइंट" के करीब पहुंच सकती है, यह महासागरों को लगभग छह मीटर ऊपर उठाने के लिए काफी है।

लिपोनेन ने कहा जलवायु परिवर्तन मनुष्यों के कारण होता है। जैसे ही आर्कटिक गर्म होगा, इसके ग्लेशियर पिघल जाएंगे और यह विश्व स्तर पर समुद्र के स्तर को प्रभावित करेगा। आर्कटिक में जो कुछ हो रहा है यह हम सभी को प्रभावित करेगा। यह अध्ययन कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

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