जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ जाएगी उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की तीव्रता: अध्ययन

2100 तक दुनिया का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है तो चक्रवाती हवा की अधिकतम गति में 5 फीसदी की वृद्धि हो सकती है।

By Akshit Sangomla, Dayanidhi

On: Friday 02 April 2021
 
Photo: Wikimedia Commons, Post Cyclone Amphan situation of Deshbandhu park in Kolkata, West Bengal, India.

अमेरिका और यूके के वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक नए अध्ययन में कहा गया है कि आने वाली सदी में चक्रवात, तूफान और आंधी की तीव्रता के बढ़ने के आसार हैं।

अमेरिका के नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए), प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और यूके में यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया के वैज्ञानिकों ने उष्णकटिबंधीय चक्रवातों पर बदलती जलवायु के प्रभाव को समझने के लिए इससे संबंधित 90 लेखों की समीक्षा की। इसमें तीन चक्रवाती तूफानों को शामिल किया गया था।

उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि अगर 2100 तक दुनिया का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है तो चक्रवाती हवा की अधिकतम गति में 5 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। चक्रवाती हवा की गति 300 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक हो सकती है, जो बिजली के खंभे, मकान और वनस्पति जैसे सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा सकती है।

चक्रवात, तूफान और टाइफून सब एक ही हैं, लेकिन इनके नाम अलग-अलग हैं, इनके नाम इस बात पर निर्भर करते हैं कि वे किस महासागर में बनते हैं। यहां ये जानना जरूरी है कि ये सभी समुद्र के गर्म पानी से बनते हैं।

समुद्र के बढ़ते जल स्तर के कारण तूफान भी बढ़ते हैं, जिससे चक्रवाती तूफानों के विनाशकारी प्रभाव की आशंका बढ़ जाएगी। तूफान के चलते तटीय क्षेत्रों से सटे जगहों पर समुद्र का पानी भर जाता है, जिसकी वजह से वहां मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है। तूफानों द्वारा की जाने वाली वर्षा की मात्रा में औसतन 14 फीसदी की वृद्धि हो सकती है, जिससे वातावरण में नमी बढ़ने के साथ-साथ अधिक भयंकर बाढ़ आने के आसार बढ़ जाते हैं।

तूफान डोरियन जो कि श्रेणी 5 का तूफान था, सितंबर 2019 में गति कम होने की वजह से बहमास द्वीप में डूब गया था। आमतौर पर धीमे चलने वाले तूफान अधिक बारिश करने के लिए जाने जाते हैं। लगभग 8 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाला चक्रवात 760 मिलीमीटर तक बारिश करवा सकता है।

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों पर तापमान के अन्य प्रभाव भी पड़ते हैं जैसे कि प्रचंड तीव्रता जिससे इनकी निगरानी करना मुश्किल हो जाता है। प्रचंड तीव्रता तब होती है जब 24 घंटे के अंदर कम से कम 55 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चक्रवाती हवाओं में निरंतर वृद्धि होती है।

2020 में चक्रवात अम्फान में प्रचंड तीव्रता देखी गई, जब यह चक्रवात बना तब हवा की गति 70-80 किमी प्रति घंटे से महाचक्रवात (सुपर साइक्लोन) में बदल गया तब चक्रवाती हवा की गति 220 किमी प्रति घंटे से अधिक थी, यह सब लगभग 40 घंटों में हुआ।

उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के करीब के इलाकों में तेज तूफान आ सकते हैं, जिसका मतलब है कि इन क्षेत्रों में समुद्र गर्म हो रहे हैं। जिन देशों में कभी भी चक्रवातों के प्रभावों को महसूस नहीं किया था, अब वे देश भी इससे प्रभावित होंगे।

वैज्ञानिकों ने कहा कि खुले तौर पर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और प्राकृतिक तरीके से होने वाले बदलावों में अंतर कर पाना कठिन है। लेकिन एक ऐसी तस्वीर उभर कर सामने आ रही है जो यह बताती है कि मानव गतिविधिया शायद इन चरम मौसम की घटनाओं के कुछ पहलुओं को प्रभावित कर रही हैं। हालांकि मानव प्रभाव की सटीक सीमा अभी भी निर्धारित करना मुश्किल है।

तूफान पर तापमान का प्रभाव पहले से ही देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, शोधकर्ताओं ने 1979 के आंकड़ों के माध्यम से पता लगाया और पाया कि सैफिर-सिम्पसन तूफान और हवा के पैमाने के आधार पर 3-5 श्रेणी के गंभीर चक्रवातों के अनुपात में हर दशक में 5 फीसदी तक की वृद्धि देखी गई।

इसका प्रभाव उत्तरी अटलांटिक महासागर में विशेष रूप से दिखाई दे रहा था। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के भू-विज्ञान के प्रोफेसर और सह-अध्ययनकर्ता गेब्रियल वेची ने कहा कि उत्तरी अटलांटिक में 2020 के तूफान के मौसम में उच्च श्रेणी (श्रेणी 3 से 5) और तीव्र तूफान दोनों की संख्या छह थी।

उत्तरी प्रशांत महासागर में 1977-2014 तक पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशिया के तटों पर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के कारण भूस्खलन की तीव्रता में 12 से 15 फीसदी की वृद्धि हुई थी।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के वैज्ञानिकों द्वारा 2015 में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार, हिंद महासागर क्षेत्र में, समुद्र की सतह पर चक्रवाती गड़बड़ी की वजह से, जिसे निम्न दबाव के क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, अरब सागर में चक्रवात में तब्दील होना बताया गया।

2019 में भारत को प्रभावित करने वाले आठ चक्रवातों में से पांच अरब सागर में बने थे। हर साल अरब सागर में बनने वाले चक्रवातों की औसत संख्या 1 है।

पेपर में कहा गया है कि बंगाल की खाड़ी में गंभीर चक्रवात बनने के लिए चक्रवातों की संख्या लगातार बढ़ गई थी। यह छोटे स्तर के चक्रवाती वेग की वजह से हुआ था, जिसने चक्रवातों को अत्यधिक तीव्र कर दिया था।

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