सूखा ‘लू’ को बढ़ाता है, नमी की कमी से ‘लू’ घातक नहीं होती है: शोध

सूखी जमीन से वाष्पीकरण कम होता है और हवा में नमी कम हो जाती है, नमी में गर्मी के प्रभाव को बढ़ाने वाला असर खत्म हो जाता है जिससे यह हीटवेव को कम घातक बना देता है।

By Dayanidhi

On: Tuesday 11 January 2022
 

दुनिया भर में हाल के दशकों में अधिक तीव्र और लगातार लू या हीटवेव से मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 1970 से 2012 के बीच यूरोप में जलवायु संबंधी आपदाओं के कारण होने वाली सभी मौतों का 85 फीसदी हिस्सा था। हीटवेव की संख्या और गंभीरता को बढ़ाने में ग्लोबल वार्मिंग काफी हद तक जिम्मेवार है।

लू या हीटवेव के दौरान जमीन सूख जाती है। सूखा, लू के तापमान को और बढ़ा देता है। हालांकि, हवा की नमी में कमी के कारण, सूखी मिट्टी लू को घातक बनाने के बजाय इसके असर को कम करती है।

दुनिया भर में हीटवेव और सूखे से मृत्यु दर बढ़ रही है और लोगों को नुकसान हो रहा है। उदाहरण के तौर पर देखे तो 2003 में यूरोपीय हीटवेव से संबंधित मौतों की संख्या 70,000 से अधिक तक पहुंच गई थी, लेकिन हाल ही में हीटवेव के कारण मृत्यु दर काफी बढ़ गई है।

अब तक यह माना जाता था कि सूखी हुई मिट्टी हीटवेव को और भी घातक बना देती है क्योंकि यह हीटवेव तापमान को और भी अधिक बढ़ा देती है। आखिरकार, सूखी हुई जमीन की वजह से वाष्पीकरण कम होता है। नतीजतन बाहरी हवा को और गर्म करने के लिए पृथ्वी की सतह पर अधिक ऊर्जा बच जाती है।

लेकिन सूखे के तापमान का असर धोखा दे रहा है, उच्च वायु आर्द्रता भी मानव शरीर को वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से ठंडा करने में रुकावट डालती है, इसलिए गरम होने के आसार अधिक होते हैं। कम वाष्पीकरण समवर्ती रूप से हवा की नमी को कम करता है। गर्मी के प्रभाव को बढ़ाने वाला असर खत्म हो जाता है जिससे यह हीटवेव को कम घातक बना देता है।

वैज्ञानिकों की एक टीम ने 35 साल की अवधि तक दुनिया भर के हवाई अड्डों और मौसम संस्थानों से जारी किए गए आंकड़ों के आधार पर हीटवेव का विश्लेषण किया। साथ ही इन मापों को उपग्रह इमेजरी के साथ जोड़ा गया और बदले में घातक हीटवेव के दौरान मिट्टी के सूखने के प्रभाव का आकलन करने के लिए मौसम सिमुलेशन का उपयोग किया गया। वैज्ञानिकों की टीम में गेंट यूनिवर्सिटी, वैगनिंगन यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च, वीटो, लोयोला मैरीमाउंट यूनिवर्सिटी, और यूरो-मेडिटेरेनियन सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंज के शोधकर्ता शामिल थे।   

क्या हो सकते हैं सूखे और गर्मी से निजात पाने के बेहतर उपाय?

शोध के परिणामों से पता चलता है कि सूखे की अवधि और घातक गर्मी के खिलाफ कौन से उपाय सबसे कारगर हैं। गर्म जलवायु में इस तरह की अवधि लंबी, अधिक लगातार और अधिक तीव्र होती जा रही है। कई उपाय पहले से ही हो रहे हैं, जैसे वनीकरण और फसल भूमि की सिंचाई और ये प्रकृति संरक्षण, जैव विविधता, कृषि और खाद्य उत्पादन के लिए भी आवश्यक हैं।

हालांकि, वर्तमान अध्ययन से पता चलता है कि ये सूखा प्रतिरोधी उपाय घातक गर्मी के खिलाफ अप्रभावी हैं और यहां तक ​​कि हानिकारक भी हो सकते हैं, इस तथ्य के बावजूद कि वे अत्यधिक उच्च तापमान को बढ़ाते हैं। कम तापमान के कारण अनुकूल प्रभाव उच्च आर्द्रता से समाप्त हो जाता है, जिससे गर्मी उमस भरी हो जाती है। इसलिए उपाय घातक हीटवेव के दौरान सूखे के लाभकारी प्रभाव को दूर करते हैं।

अध्ययन एक बार फिर इस बात पर जोर देता है कि तेजी से बढ़ती गर्मी और सूखे का मुकाबला करना कितनी बड़ी चुनौती है और गर्मी के खिलाफ प्रभावी उपाय अभी भी विपरीत असर दिखा सकते हैं। इसलिए सबसे पहले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भारी कमी करके ग्लोबल वार्मिंग पर लगाम लगाना आवश्यक है।

इसके अलावा मौजूदा सूखे और गर्मी के उपायों पर पुनर्विचार करना चाहिए और कृषि, खाद्य और जल विज्ञान क्षेत्रों के भीतर वैकल्पिक सूखा और गर्मी प्रतिरोधी उपायों का पता लगाना चाहिए। उन पौधों की प्रजातियों पर और अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए जो एक शुष्क और गर्म जलवायु से बेहतर तरीके से निपट सकते हैं।

फसलों के विकल्प (जैसे, गेहूं या मक्का) और कृषि उपायों (जैसे, बिना जुताई वाली खेती या फसलों के आनुवंशिक संशोधन) को कम पानी के उपयोग और सौर ऊर्जा के उच्च प्रतिबिंब के लिए विचार करने की आवश्यकता है। इस तरह के उपाय कितने प्रभावी और वांछनीय हैं, यह जानने के लिए और अधिक शोध करने की आवश्यकता है। यह शोध साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है। 

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