जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: लंबे हीटवेव के कारण फीका पड़ रहा लीची और आम का स्वाद

मुजफ्फरपुर में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (एनआरसीएल) ने बढ़ते तापमान को देखते हुए किसानों को नमी प्रदान करने के लिए बागों में सिंचाई करने की सलाह दी है। 

By Mohd Imran Khan

On: Friday 09 June 2023
 
Litchi’s peel is scorching and cracking due to rising temperatures and heatwave conditions in Bihar. Photo for representation: iStock

जून महीने में बिहार में अप्रत्याशित रूप से लंबी गर्मी की लहर ने न सिर्फ गर्मी के फलों जैसे- लीची और आम की आमद पर असर डाला है, बल्कि उनके स्वाद को भी प्रभावित कर दिया है।  

लीची और आम उगाने वाले किसानों ने कहा कि कटाई के मौसम में बढ़ते तापमान के कारण फलों की गुणवत्ता और उपज प्रभावित हो रही है।

राज्य के कम से कम 10 स्टेशनों में 8 जून, 2023 को 44 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान देखा गया। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने राज्य के नौ जिलों के लिए 9-10 जून के लिए हीटवेव अलर्ट जारी किया है।

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चिलचिलाती धूप और गर्म हवाओं के प्रभाव को कम करने के लिए राज्य के हजारों किसान रोजाना अपने बागों की सिंचाई करने और लीची से लदे पेड़ों पर दिन में दो बार पानी का छिड़काव करने को मजबूर हैं। लेकिन छोटे किसानों को अपनी उपज को बचाने के लिए पानी की टंकी किराए पर लेने में मुश्किल हो रही है।

चिलचिलाती धूप और लू की स्थिति लीची की फसल को बुरी तरह नुकसान पहुंचा रही है, जो किसानों के साथ-साथ व्यापारियों के लिए भी अच्छा नहीं है। लीची किसान भोला नाथ झा ने डाउन टू अर्थ (डीटीई) रिपोर्टर को बताया कि किसान सिंचाई और पानी के छिड़काव को बढ़ाकर लीची की फसल को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, जो हमारे लिए एकमात्र विकल्प है।

झा ने कहा कि हीटवेव की स्थिति ने सबसे पहले मई के आखिरी सप्ताह और जून की शुरुआत में मुजफ्फरपुर की एक अनूठी किस्म शाही लीची को भी प्रभावित किया। लेकिन बढ़ता तापमान लीची की एक और लोकप्रिय किस्म चीन को भी नुकसान पहुंचा रहा है।

"कई किसानों ने अपनी फसलों की जल्दी कटाई का विकल्प चुना है क्योंकि उन्हें प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के कारण बड़े नुकसान का डर था।"

मुजफ्फरपुर में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (एनआरसीएल) ने बढ़ते तापमान को देखते हुए किसानों को नमी प्रदान करने के लिए बागों में सिंचाई करने की सलाह दी है। एनआरसीएल के निदेशक बिकाश दास ने कहा “गर्म हवाओं के साथ उच्च तापमान लीची के लिए खराब हैं। यह न केवल लीची की गुणवत्ता को प्रभावित करता है बल्कि पैदावार को भी कम करता है।”

एनआरसीएल के पूर्व निदेशक एसडी पांडे ने कहा कि अच्छी गुणवत्ता वाली लीची के उत्पादन में एक अनुकूल जलवायु प्रमुख भूमिका निभाती है। “बढ़ते तापमान और हीटवेव की स्थिति के कारण, लीची की त्वचा या उसका छिलका झुलस रहा है और टूट रहा है। इससे उत्पादकों को नुकसान होता है क्योंकि फलों का आकार, स्वाद और गुणवत्ता प्रभावित होना तय है।

पांडे ने कहा कि पानी का छिड़काव सबसे अच्छा विकल्प है, लेकिन लीची को कटाई से पहले बचाना एक कठिन और चुनौतीपूर्ण काम है। बगीचों में अक्सर सैकड़ों एकड़ में फैले हजारों पेड़ होते हैं।

उन्होंने कहा “हीटवेव की स्थिति, गर्म हवाएं और बढ़ता तापमान जलवायु परिवर्तन के परिणाम हैं। मुजफ्फरपुर और पड़ोसी जिलों में इससे पहले कभी भी तापमान 41 से 42 डिग्री सेल्सियस के करीब दर्ज नहीं किया गया था। स्वस्थ लीची की कटाई के लिए कार्रवाई के तरीकों को बदलना एक जरूरी स्थिति की ओर इशारा करता है।" 

लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष और लीची किसान बच्चा सिंह ने कहा कि किसानों ने इस साल बंपर फसल की उम्मीद की थी। हालांकि अब किसान लीची को अत्यधिक गर्मी से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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