इतिहास का छठा सबसे गर्म जुलाई इस साल किया गया दर्ज, सामान्य से 0.87 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा तापमान

मानव इतिहास में यह लगातार 451वां महीना है जब तापमान सामान्य से ज्यादा दर्ज किया है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 16 August 2022
 

यूरोप, अमेरिका, एशिया और अफ्रीका में पड़ती गर्मी और सूखे से यह तो पूरी तरह स्पष्ट है कि अब जलवायु में आते बदलावों के निशान दुनिया भर में खुलकर सामने आने लगे हैं। जो तापमान से जुड़े आंकड़ों में भी स्पष्ट तौर पर दिखता है। ऐसा ही कुछ जुलाई 2022 यानी पिछले महीने में भी देखने को मिला, जब तापमान सामान्य से 0.87 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था, जोकि उसे मानव इतिहास की छठी सबसे गर्म जुलाई बनाता है।

नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) द्वारा जारी आंकड़ों की मानें तो यह लगातार 46वां जुलाई का महीना है जब तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान से ज्यादा है। इसी तरह मानव इतिहास में यह लगातार 451 वां महीना है जब तापमान सामान्य से ज्यादा दर्ज किया है। इतना ही नहीं अब तक की पांच सबसे गर्म जुलाई भी 2016 के बाद ही दर्ज की गई हैं।

गौरतलब है कि रिकॉर्ड की सबसे गर्म जुलाई वर्ष 2016, 2019, 2020 और 2021 में दर्ज की गई थी। जब तापमान सामान्य से 0.92 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। इसके बाद जुलाई 2017 में तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान से 0.9 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था।

यदि क्षेत्रीय पैमाने पर देखें तो इस साल कई महाद्वीपों के लिए जुलाई का महीना इतिहास के 10 सबसे गर्म जुलाई के महीनों में से एक था। जहां इस साल उत्तरी अमेरिका ने अपने रिकॉर्ड के दूसरे सबसे गर्म जुलाई को अनुभव किया था। वहीं एशिया में यह तीसरा सबसे गर्म और अमेरिका में चौथा सबसे गर्म जुलाई था।

यूरोप में पड़ती भीषण गर्मी और सूखा भी स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि इस बार जुलाई का महीना दूसरे जुलाई के महीनों से काफी अलग था। यही वजह है कि यूरोप में भी यह छठा सबसे गर्म जुलाई का महीना था।

99 फीसदी आशंका है कि 10 सबसे गर्म वर्षों में शुमार होगा 2022

यदि 2022 की बात करें तो एनसीईआई द्वारा जारी रिपोर्ट में इस बात की 99 फीसदी संभावना दर्ज की गई है कि यह साल इतिहास के 10 सबसे गर्म वर्षों में शुमार होगा, जबकि इस बात की केवल 11 फीसदी आशंका है कि यह साल शीर्ष पांच सबसे गर्म वर्षों में से एक हो सकता है।

वहीं यदि जनवरी से जुलाई के तापमान को देखें तो वो औसत रूप से इतिहास का छठा सबसे गर्म वर्ष होने की रहा पर है। इन सात महीनों का औसत तापमान सामान्य से 0.86 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है। इसी तरह एशिया ने दूसरी सबसे गर्म अवधि का अनुभव किया है जबकि यूरोप के लिए यह साल अब तक  पांचवा सबसे गर्म वर्ष रहा है। वहीं अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका सभी महाद्वीपों में यह साल 10 सबसे गर्म वर्षों में शुमार है।

यदि स्पेन और हांगकांग से जुड़े आंकड़ों को देखें तो न केवल इस साल जुलाई का महीना सबसे ज्यादा गर्म है बल्कि वो 1961 के बाद रिकॉर्ड का सबसे गर्म महीना भी है जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि यह देश गर्मी के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं।

दूसरी तरफ यदि नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर द्वारा साझा किए गए आंकड़ों को देखें तो यह तीसरा मौका है जब अंटार्कटिका में इतनी कम बर्फ जमा है। इससे पहले जुलाई 2019 और 2020 में इतनी कम बर्फ जमा थी। आंकड़े दर्शाते हैं कि इस साल जुलाई में 57.5 लाख वर्ग मील क्षेत्र में बर्फ जमा थी जोकि औसत से करीब 4.09 लाख वर्ग मील कम है। इसी तरह आर्कटिक में जमा समुद्री बर्फ भी रिकॉर्ड में 12वीं सबसे कम थी जब वो औसत से 471,000 वर्ग मील कम दर्ज की गई थी।

वहीं यदि चक्रवाती तूफानों की बात करें तो इस साल जुलाई में कुल नौ तूफान दर्ज किए गए थे, जोकि लगभग सामान्य ही हैं। इनमें से पांच उष्णकटिबंधीय चक्रवात 74 मील प्रति घंटा या उससे ज्यादा शक्तिशाली थे। वहीं दो तूफानों बोनी और डर्बी में हवा की रफ्तार 111 मील प्रति घंटा को पार कर गई थी। 

Subscribe to our daily hindi newsletter