कोविड-19 के बाद भी जारी रहेगी ग्लोबल वार्मिंग: रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि वायुमण्डल में कार्बन डाईऑक्साइड (सीओ2) की सघनता अपने उच्चतम स्तर पर अभी नहीं पहुंची है और लगातार वृद्धि के रिकॉर्ड बना रही है

By DTE Staff

On: Friday 11 September 2020
 
Photo: Pixabay


नोवल कोरोनावायरस से होने वाली बीमारी (कोविड-19) के बाद लागू लॉकडाउन की वजह से कार्बन उत्सर्जन में कमी जरूर आई थी, लेकिन कुछ समय बाद फिर से वही हालात बन गए हैं। 10 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी "यूनाइटेड इन साइंस" रिपोर्ट में कहा गया कि फिर से वैश्विक तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) में वृद्धि हो रही है। ऐसे में पेरिस समझौते को लागू कर पाना मुश्किल सा है।

इस रिपोर्ट में कोविड-19 की पृष्ठभूमि में जलवायु परिवर्तन से ग्लेशियरों, महासागरों, प्रकृति, अर्थव्यवस्थाओं और मानवजाति के जीवन पर होने वाले असर के बारे में बताया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि अकसर गर्म हवाएं चलना, जंगलों में आग लगना, सूखा पड़ना और बाढ़ आने की घटनाएं बढ़ रही हैं।

रिपोर्ट जारी करने के बाद यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि अगर वाकई दुनिया जलवायु परिवर्तन को रोकना चाहती है और तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री से कम करना चाहती है तो उसके पास अब गंवाने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं बचा है। इसके लिए दुनिया को विज्ञान पर भरोसा बढ़ाना होगा और एकजुटता के साथ निर्णायक समाधान ढूंढ़ने होंगे। उन्होंने सलाह दी कि कोविड-19 का संदेश है कि अगर हम टिकाऊ मार्ग अपनाते हैं तो कुछ हद तक लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वायुमण्डल में कार्बन डाईऑक्साइड (सीओ2) की सघनता अपने उच्चतम स्तर पर अभी नहीं पहुंची है और लगातार वृद्धि के रिकॉर्ड बना रही है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के ‘ग्लोबल एटमोसफेयर वाच’ नैटवर्क के मुताबिक साल 2020 के पहले छह महीनों में कार्बन डाईऑक्साइड की सघनता 410 पार्ट्स प्रति मिलियन से ज्यादा मापी गई। जुलाई 2020 में अमेरिका में हवाई के मॉना लोआ और ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया के केप ग्रिम में यह क्रमश: 414.38 पार्ट्स प्रति मिलियन और 410.04 पार्ट्स प्रति मिलियन थी। जबकि इन दोनों स्थानों पर सघनता का आंकड़ा पिछले वर्ष क्रमश: 411.74 और 407.83 था।

यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी के महासचिव पेटेरी टालस ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा है कि ग्रीनहाउस गैसों की सघनता 30 लाख वर्षों के इतिहास में अपने सबसे उच्चतम स्तर पर है और लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2020 की पहली छमाही में साइबेरिया के इलाकों में अधिक अवधि तक गर्म हवाओं चली और वर्ष 2016 से 2020 तक सबसे गर्म पांच सालों के रूप में मापे गये हैं।

रिपोर्ट बताती है कि कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से कार्बन उत्सर्जन में चार से सात फ़ीसदी की गिरावट होने का अनुमान है। अप्रैल 2020 में जब कोविड-19 की वजह से बंदिशें अपने चरम पर थीं, तब पिछले वर्ष की तुलना में सीओ2 उत्सर्जन में 17 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, लेकिन जून महीने में यह घटकर पांच फीसदी के स्तर पर रह गई।

‘यूनाइटेड इन साइंस 2020’ रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र की मौसम विज्ञान संस्था ने ‘ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट’, जलवायु परिवर्तन पर अन्तर-सरकारी पैनल आईपीसीसी), यूनेस्को, यूएन पर्यावरण संस्था और ब्रिटेन के मौसम विभाग की मदद से तैयार किया गया।

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