6.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है समुद्र का तापमान, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

अध्ययनकर्ताओं ने पता लगया कि पिछले 40 वर्षों में, उत्तरी प्रशांत के कुछ क्षेत्रों में समुद्र की सतही परत लगभग 3 मीटर तक पतली हो गई है। सन 2100 तक मिश्रित परत 4 मीटर पतली होने का अनुमान लगाया है।

By Dayanidhi

On: Friday 29 January 2021
 

अमेरिका स्थित कोलोराडो विश्वविद्यालय बोल्डर के एक नए अध्ययन से पता चलता है कि समुद्र की सतह की "मिश्रित परत" हर साल पतली होती जा रही है। यह जितनी पतली होगी उतनी ही अधिक गर्म होगी। यह अध्ययन हाल के चरम समुद्री हीटवेव के बारे में विस्तार से बताता है और भविष्य में अधिक लगातार और विनाशकारी महासागरीय गर्म होने की घटनाओं की ओर इशारा करता है क्योंकि वैश्विक तापमान लगातार बढ़ रहा है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता डिलन अमाया ने कहा भविष्य में समुद्री हीटवेव अधिक तीव्र और बार-बार होगें। अब हम इस प्रक्रिया को समझ रहे हैं कि कैसे जब मिश्रित परत पतली होती है, तो यह कम गर्मी को ग्रहण करती है जिससे समुद्र अधिक गर्म हो जाता है।

मिश्रित परत - पानी जिसमें तापमान लगातार स्थिर बना रहता है, जो समुद्र के शीर्ष 20-200 मीटर को आवरण देता है। इसकी मोटाई गर्मी की घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। यह जितनी अधिक मोटी होती है, इसकी उतनी ही अधिक परतें आने वाली गर्म हवा से नीचे के पानी के लिए ढाल के रूप में कार्य कर सकती है। लेकिन कवच के रूप में, मिश्रित परत तेजी से बढ़ते तापमान को ग्रहण कर लेती है।

अमाया ने कहा कि मिश्रित परत पानी को एक बर्तन में उबालने की तरह है। एक इंच पानी में उबाल आने में बिल्कुल भी समय नहीं लगेगा, लेकिन यदि बर्तन ज्यादा भरा हो तो गर्म होने, उबलने में अधिक समय लगेगा।

अमाया और उनकी टीम ने 1980 तक मिश्रित परत की गहराई का अनुमान लगाने के लिए समुद्र का अवलोकन और मॉडल का उपयोग किया और भविष्य के लिए भी परत के बारे में अनुमान लगाया। उन्होंने पता लगया कि पिछले 40 वर्षों में, उत्तरी प्रशांत के कुछ क्षेत्रों में समुद्र की सतह की परत लगभग 3 मीटर तक पतली हो गई है। सन 2100 तक मिश्रित परत 4 मीटर पतली होने का अनुमान लगाया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पतली मिश्रित परत दुनिया भर के तापमान के साथ-साथ समुद्र के तापमान में भारी बदलाव के लिए मंच तैयार करेगी। यह अध्ययन बुलिटन ऑफ़ द अमेरिकन मेट्रोलॉजिकल सोसाइटी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

हीटवेव की घटनाएं पहले से ही हो रही है, जिसमें पूर्वोत्तर प्रशांत के 2019 के हीटवेव को ही ले लो। कमजोर हवाओं और हवा के अधिक तापमान ने प्रशांत महासागर के पानी को लगभग 3 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया। शोधकर्ताओं ने बताया कि एक पतली मिश्रित परत ने पानी के गर्म होने  में अहम योगदान दिया है और यह बदतर होता जाएगा।

अमाया ने बताया कि यदि आप 2019 जैसी हवा और समुद्र की स्थिति लेते हैं और यदि उन्हें 2100 में अनुमानित मिश्रित परत पर लागू करते हैं, तो इससे एक समुद्री हीटवेव उत्पन्न होगी। इसका तापमान 2019 की तुलना में 6.5 डिग्री सेल्सियस अधिक होगा। इस तरह की घटना अमेरिका के पश्चिमी तट के साथ संवेदनशील समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों को पूरी तरह से तबाह कर देगी।

अमाया यह भी बताती है कि जैसे-जैसे जलवायु गर्म होती जा रही है और मिश्रित परत पतली होती जा रही है, वैज्ञानिकों को साल-दर-साल समुद्र की सतह के तापमान के बारे में अनुमान लगाना मुश्किल हो सकता है। समुद्र के तापमान का सटीक अनुमान लगाने की क्षमता के बिना, मत्स्य पालन और अन्य तटीय संचालन खतरे में आ सकते हैं।

अमाया ने कहा अन्य अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि भविष्य में समुद्री हीटवेव अधिक सामान्य हो जाएंगे, लेकिन कई ने महासागर की गतिशीलता और भौतिकी की मूल कारण की खोज नहीं की है। इन घटनाओं को मॉडल में अनुकरण करने और उन्हें भविष्यवाणी करने में मदद करने के लिए, हमें इसकी भौतिकी को समझना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है। 

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