आर्कटिक में 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा तापमान, नए रिकॉर्ड की हुई पुष्टि

यह तापमान जून 2020 में साइबेरिया के वर्खोयान्स्क शहर में दर्ज किया गया था, जोकि आर्कटिक सर्किल से उत्तर में 115 किलोमीटर दूर स्थित है

By Lalit Maurya

On: Wednesday 15 December 2021
 

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने आर्कटिक क्षेत्र में तापमान के 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की पुष्टि की है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। वहां इससे पहले कभी भी तापमान में इतनी वृद्धि दर्ज नहीं की गई है। जानकारी मिली है कि यह तापमान जून 2020 में साइबेरिया के वर्खोयान्स्क शहर में दर्ज किया गया था, जोकि आर्कटिक सर्किल से उत्तर में 115 किलोमीटर दूर स्थित है। 

यह आंकड़ें एक बार फिर जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को दर्शाते हैं। जिस तेजी से बदलती जलवायु हमारी धरती पर हावी होती जा रही है, यह एक बड़ी चिंता का विषय है। इस बारे में एक बयान जारी करते हुए संयुक्त राष्ट्र की संस्था डब्लूएमओ ने कहा है कि ऐसा तापमान भूमध्यसागर में देखा जाना तो आम है पर आर्कटिक में इसका दर्ज किया जाना हैरानी की बात है।

डब्ल्यूएमओ के अनुसार यह यहां पर चल रहे हीटवेव का उच्चतम स्तर था। जब गर्मियों के दौरान आर्कटिक साइबेरिया में तापमान सामान्य से 10 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था। यूएन एजेंसी की प्रवक्ता क्लेयर नुलिस ने 2020 का जिक्र करते हुए बताया कि गर्मियों के दौरान साइबेरिया में लम्बे समय तक हीटवेव दर्ज की गई थी। जिनके कारण व्यापक स्तर पर विनाशकारी रूप से आग लगने की घटनाएं दर्ज की गई थी। इतना ही नहीं इनके चलते आर्कटिक सागर में जमा विशाल मात्रा में बर्फ को नुकसान पहुंचा था।

ला नीना के बावजूद अब तक का सबसे गर्म वर्ष था 2020

गौरतलब है कि ला नीना के बावजूद 2020 अब तक का सबसे गर्म वर्ष था, जब तापमान में हो रही वृद्धि 2016 और 2019 के बराबर रिकॉर्ड की गई थी। यदि 2020 के दौरान तापमान में हुई औसत वृद्धि को देखें तो वो पूर्व औद्योगिक काल से 1.28 डिग्री सेल्सियस ज्यादा थी। इतना ही नहीं पिछला दशक (2011 से 20) इतिहास का अब तक का सबसे गर्म दशक भी था।

वहीं संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित ‘एमिशन गैप रिपोर्ट 2020’ को देखें तो उसमें सम्भावना व्यक्त की गई है कि यदि तापमान में होती वृद्धि इसी रफ्तार से जारी रहती है, तो सदी के अंत तक वो 3.2 डिग्री सेल्सियस के पार चली जाएगी, जिसके विनाशकारी परिणाम झेलने होंगे।

यदि तापमान में होती वृद्धि को देखें तो आर्कटिक दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में दोगुना तेजी से गर्म हो रहा है। आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड 2021 के अनुसार पिछले साल अक्टूबर 2020 से सितंबर 2021 के बीच हवा का औसत तापमान रिकॉर्ड में 7वां सबसे गर्म था। गौरतलब है कि 2014 के बाद से यह लगातार आठवां साल है जब हवा का तापमान औसत से एक डिग्री सेल्सियस से ज्यादा दर्ज किया गया है।  

गौरतलब है कि आर्कटिक में जमा समुद्री बर्फ में पिछले 30 वर्षों के दौरान हर दशक लगभग 13 फीसदी की दर से गिरावट आ रही है। वहीं नासा की एक रिपोर्ट के से पता चला है कि आर्कटिक में जमा सबसे पुरानी और मोटी बर्फ में करीब 95 फीसदी की गिरावट आई है।

वैश्विक स्तर पर तापमान में होती वृद्धि के बारे में जानकारी बताते हुए डब्लूएमओ के महासचिव पेटेरी तालस ने कहा है कि आर्कटिक में दर्ज किया गया रिकॉर्ड तापमान वैश्विक स्तर पर तापमान में होती वृद्धि का ही नतीजा है, जो सारी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है। 2020 में अंटार्कटिक का औसत तापमान भी रिकॉर्ड 18.3 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था। 

इसके तरह वर्ष 2020 और 2021 दोनों वर्षों में दुनिया के सबसे गर्म स्थान ‘डैथ वैली’, कैलिफ़ोर्निया में भी तापमान 54.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। वहीं सिसिली के इतालवी द्वीप में भी तापमान 48.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जिसकी समीक्षा की जा रही है।

आर्कटिक में जिस तरह से तापमान में वृद्धि हो रही है उसके चलते वहां के पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं, जिसके चलते वहां के जीवों और वनस्पति पर व्यापक असर होने की सम्भावना है। इतना ही नहीं इन बदलावों का असर पूरी दुनिया में महसूस किया जाएगा। 

Subscribe to our daily hindi newsletter