2021 में रिकॉर्ड की गई इतिहास की 7वीं और अफ्रीका की सबसे गर्म जनवरी
इस वर्ष जनवरी का औसत तापमान सदी के औसत तापमान से 0.8 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था| वहीं अफ्रीका में यह अब तक की सबसे गर्म जनवरी थी
On: Monday 15 February 2021
जनवरी 2021 इतिहास की 7वीं सबसे गर्म जनवरी थी। यह जानकारी एनओएए के नेशनल सेंटर्स फॉर एनवायर्नमेंटल इनफार्मेशन द्वारा जारी रिपोर्ट में सामने आई है। आंकड़ों से पता चला है कि इस वर्ष जनवरी का औसत तापमान सदी के औसत तापमान से 0.8 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था।
वहीं यदि अफ्रीका की बात करें तो उसके लिए जनवरी 2021, इतिहास की सबसे गर्म जनवरी थी, जबकि उत्तरी अमेरिका में यह दूसरी सबसे गर्म जनवरी थी। इससे पहले जनवरी 2006 में वहां सबसे ज्यादा तापमान रिकॉर्ड किया गया था। हालांकि इस वर्ष की शुरुआत ला नीना के साथ हुई थी। इसके बावजूद तापमान में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई। अफ्रीका में जनवरी 2021 का औसत तापमान 1910 से 2010 के औसत से 1.67 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया। इससे पहले 2010 में जनवरी का तापमान औसत से 1.62 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया था। जहां उत्तरी एशिया के ज्यादातर भागों में तापमान सामान्य से कम था वहीं दक्षिण एशिया में यह सामान्य से ज्यादा रिकॉर्ड किया गया है।
गौरतलब है कि जनवरी 2020 इतिहास में अब तक की सबसे गर्म जनवरी थी, जब तापमान में आने वाली विसंगति सबसे ज्यादा 1.15 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड की गई थी। इसके बाद जनवरी 2016 में 1.12 डिग्री सेल्सियस, 2017 में 0.98 डिग्री सेल्सियस, जनवरी 2019 में 0.94 डिग्री सेल्सियस, जनवरी 2007 में 0.92 डिग्री सेल्सियस, 2015 में 0.83 डिग्री सेल्सियस और जनवरी 2021 में 0.8 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था।
यदि आर्कटिक में जमी बर्फ की बात करें तो इस वर्ष जनवरी में उसका विस्तार 83.7 लाख वर्ग किलोमीटर आंका गया है, जोकि 1981 से 2010 के औसत से 6.5 फीसदी कम है। यह 43 वर्षों के इतिहास में छठी बार ऐसा हो रहा है जब जनवरी में इसका इतना कम विस्तार है। वहीं जनवरी 2021 में अंटार्कटिक में बर्फ का विस्तार करीब 29 लाख वर्ग किलोमीटर था, जोकि 1981 से 2010 के औसत से करीब 6.6 फीसदी कम है।
तापमान में हो रही इस वृद्धि से भारत भी अछूता नहीं है। हाल ही में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा जारी रिपोर्ट से पता चला है कि 2020 भारतीय इतिहास का आठवां सबसे गर्म वर्ष था। इस वर्ष तापमान सामान्य से 0.29 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया था। गौरतलब है कि 2016 में अब तक का सबसे अधिक तापमान रिकॉर्ड किया गया था। जब तापमान 1980 से 2010 के औसत की तुलना में 0.71 डिग्री सेल्सियस अधिक था। यह स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि जलवायु में आ रहे बदलावों के चलते देश में तापमान लगातार बढ़ रहा है। यदि देश में तापमान के बढ़ने की रफ्तार को देखें तो अब तक के 12 सबसे गर्म साल हाल के पंद्रह वर्षों (2006 से 2020) के दौरान रिकॉर्ड किए गए थे।
क्या होंगे इसके परिणाम
हाल ही में यूएन द्वारा प्रकाशित "एमिशन गैप रिपोर्ट 2020" से पता चला है कि यदि तापमान में हो रही वृद्धि इसी तरह जारी रहती है, तो सदी के अंत तक यह वृद्धि 3.2 डिग्री सेल्सियस के पार चली जाएगी। जिसके विनाशकारी परिणाम झेलने होंगे। तापमान में आ रही इस वृद्धि का सीधा असर आम लोगों के जनजीवन पर पड़ेगा।
जिस रफ्तार से तापमान में यह बढ़ोतरी हो रही है, उसके चलते बाढ़, सूखा, तूफान, हीट वेव, शीत लहर जैसी घटनाओं का आना आम बात होता जा रहा है। जिसका सबसे ज्यादा असर आम जन पर ही पड़ रहा है। कभी दशकों में पड़ने वाला विकराल सूखा आज हर साल पड़ रहा है। इसी तरह बाढ़ और तूफानों का आना भी आम होता जा रहा है। हम इन आपदाओं का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं, पर इसके असर को टाल नहीं सकते। डर है कि जिस तरह से तापमान में यह वृद्धि हो रही है, उसके कारण कहीं इंसानी महत्वाकांक्षा ही उसके विनाश का कारण तो नहीं बन जाएगी।