30 लाख वर्षो में वातावरण में कार्बन का सांद्रण सबसे ज्यादा : डब्ल्यूएमओ

विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने अपने ताजा ग्रीन हाउस गैस बुलेटिन में कहा है कि वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की उपस्थिति ने हाल-फिलहाल के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

By Vivek Mishra

On: Monday 25 November 2019
 
Photo : Srikant Chaudhary

विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने अपने ताजा बुलेटिन में कहा है कि 2018 में वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की सांद्रता के आंकड़े ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इसका मतलब है वैश्विक तापमान भविष्य में न सिर्फ और बढ़ेगा बल्कि तापमान को बढाने में जलवायु परिवर्तन मुख्य कारक बना रहेगा। इसके चलते अतिशय मौसमी घटनाएं और समुद्र स्तर में बढ़ोत्तरी जैसे दुष्परिणाम भी बढ़ेंगे। 

डब्ल्यूएमओ ने अपना ग्रीन हाउस गैस बुलेटिन 25 नवंबर को जारी किया है। इसमें कहा गया है कि 2018 में कार्बन डाइ ऑक्साइड का वैश्विक औसत सांद्रण 2017 में 405 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) था जबकि 2018 में यह बढ़कर 407.8 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) पर पहुंचा।  

डब्ल्यूएमओ के महानिदेशक पेट्टरी तालस ने कहा है कि यह याद रखने योग्य है कि पृथ्वी ने पिछली बार कार्बन डाई ऑक्साइड की सांद्रता का उच्च अनुभव 30 से 50 लाख वर्ष पहले किया गया था। उस वक्त तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस गर्म, समुद्री स्तर 10 से 20 मीटर अधिक था।

Source: WMO

2015 के दौरान वातावरण में  कार्बन डाई ऑक्साइड की सांद्रता 400 पीपीएम को पार कर गई थी। प्रतीकात्मक तौर पर इस स्तर को पार करना एक खतरनाक स्तर को तोड़ने जैसा है। तब से लेकर अब तक यह बढ़ रही है।

कार्बन डाई ऑक्साइड एक ग्रीन हाउस गैस है जो कि गर्मी को अपने भीतर समाहित करती है और वैश्विक तापमान में वृद्धि करती है। कार्बन डाई ऑक्साइड का जीवनकाल बहुत ही लंबा है एक बार उत्सर्जित होने के बाद यह वातावरण में मौजूद रहती है और ताप में वृद्धि करती रहती है। वातावरण में मौजूद सभी ग्रीन हाउस गैसों में कार्बन डाई ऑक्साइड की हिस्सेदारी 80 फीसदी है। 

Source: WMO

फिलहाल इसके कम होने का कोई निशान दिखाई नहीं देता है।  तालस कहते हैं कि पेरिस समझौते की सभी तरह की प्रतिबद्धिताओं के बावजूद ग्रीन हाउस गैसों की सांद्रता में कोई कमी नहीं है। हमें अपनी प्रतिबद्धताओं को एक्शन में बदलने की जरूरत है और मानवता के कल्याण व भविष्य की खातिर अपनी महात्वकांक्षाओं के स्तर को भी बढ़ाना होगा।    

Source: WMO

डब्ल्यूएमओ बुलेटिन के मुताबिक जीवाश्म ईंधन का जलाया जाना वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड  की सांद्रता बढ़ाने का प्रमुख कारक है। लाखों वर्ष पहले जीवाश्म ईंधन को प्लांट मैटेरियल से हासिल किया गया था। यह रेडियोकार्बन मुक्त होते हैं, जिसकी वजह से रेडियोकार्बन मुक्त कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर बढ़ता और और रेडियोकार्बन तत्व घटता है। बुलेटिन में इसी बात पर खासा जोर दिया गया है।

मौजूदा समय में कार्बन डाई ऑक्साइड का सांद्रण 1750 में पूर्व औद्योगिक काल के स्तर से 147 फीसदी ज्यादा है। 2017-18 में कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर औसत वृद्धि दर बीते दशक से अधिक चला गया था। सीओटू का लगातार तीन दशक (1985-1995, 1995-2000 और 2005-2015) तक ग्रोथ रेट क्रमश: 1.42 पार्ट्स प्रति मिलियन / वर्ष 1.86 पार्ट्स प्रति मिलियन / वर्ष और 2.06 पार्ट्स प्रति मिलियन / वर्ष था, जो कि एल नीनो इवेंट के दौरान सालाना उच्च ग्रोथ रेट आंका गया था।  

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