पर्यावरण नियमों की अनदेखी पर एनजीटी ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी पर लगाया 45 करोड़ का जुर्माना

एनएचएआई को यह राशि अगले तीन महीनों के भीतर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) के पास जमा करनी होगी

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Thursday 15 February 2024
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को पर्यावरण मुआवजे के रूप में 45 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। यह आदेश एनजीटी के जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और सुधीर अग्रवाल की बेंच ने दिया है।

गौरतलब है कि कोर्ट ने यह जुर्माना तीन गांवों: पारोली (पलवल जिला), हाजीपुर (गुरुग्राम जिला), और किरंज (नूंह जिला) में साढ़े तीन किलोमीटर की दूरी में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने के लिए लगाया है। एनएचएआई को यह राशि अगले तीन महीनों के भीतर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) के पास जमा करनी होगी।

कोर्ट के निर्देशानुसार यदि एनएचएआई इस जुर्माने का भुगतान नहीं करता है, तो उसे क्षतिग्रस्त तालाब, चारागाह और नालों को उनकी मूल स्थिति में बहाल करना होगा। इसके लिए वो जो भी कदम आवश्यक हैं उन्हें कानून के दायरे में रहते हुए कोर्ट ने उठाने का निर्देश दिया है। हरियाणा के मुख्य सचिव इस प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। 

वहीं यदि एनएचएआई पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का भुगतान कर देता है, तो इस राशि का उपयोग पर्यावरण की बहाली के लिए किया जाएगा। मुआवजे के जमा होने के तीन महीनों के भीतर एक संयुक्त समिति इसके लिए योजना बनाएगी। उसके बाद मुआवजा जमा होने के छह महीनों के भीतर इसे इस्तेमाल करना होगा।

एनजीटी ने हरियाणा के मुख्य सचिव और हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव से एक रिपोर्ट 15 नवंबर, 2024 तक एनजीटी में सौंपने को कहा गया है। इस रिपोर्ट में इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि इन निर्देशों का पालन किया गया है।

दिल्ली के कुछ क्षेत्रों के भूजल में तय सीमा से अधिक है फ्लोराइड: डीजेबी

दिल्ली सरकार की ओर से 14 फरवरी को दायर दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के कुछ क्षेत्रों के ट्यूबवेलों में फ्लोराइड का स्तर तय सीमा से अधिक है।

इस पर कार्रवाई करते हुए डीजेबी ने अपने रखरखाव विभागों को निर्देश दिया है कि वो या तो इन ट्यूबवेलों से पानी की आपूर्ति रोक दे या पानी का उपयोग पीने को छोड़कर अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाए। इसके साथ ही रिपोर्ट में दिल्ली के विभिन्न ट्यूबवेलों से एकत्र किए नमूनों में आर्सेनिक के स्तर की जांच के लिए अधिक समय देने का अनुरोध किया गया है।

अवैध ईंट भट्टों के बारे में एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांगी जानकारी

उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वाले वकील ने अवैध ईंट भट्टों के बारे में जानकारी देने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) से चार सप्ताह का समय मांगा है। गौरतलब है कि अवैध ईंट भट्टों के मामले में कोर्ट ने उन ईंट भट्टों के बारे में स्थिति रिपोर्ट देने को कहा था, जिन्हें बंद करने का आदेश दिया गया था, और वास्तव में उनमें से कितने ईंट भट्ठे बंद हो चुके हैं।

इस मामले में अगली सुनवाई 22 अप्रैल 2024 को होगी।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने नौ फरवरी, 2024 को इस मामले में एक रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में 31 दिसंबर, 2023 तक की जानकारी साझा की गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 19,718 ईंट भट्टों में से 12,728 के पास संचालन के लिए अनुमति (सीटीओ) है, जबकि 6,990 ईंट भट्टों के पास 1981 के वायु अधिनियम के तहत वैध सीटीओ नहीं है। ऐसे में नियमों का पालन न करने वाले इन 6,990 ईंट भट्टों को बंद करने के आदेश जारी किए गए थे।

रिपोर्ट के मुताबिक नियमों का पालन न करने वाले ईंट भट्टों को बंद करने के आदेश जारी किए गए थे। इन आदेशों को लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेटों और पुलिस जिला प्रमुखों को भी निर्देश दिए गए थे। हालांकि अदालत के अनुसार इस रिपोर्ट में यह जानकारी नहीं दी गई है कि इस मामले में आगे क्या हुआ और इन आदेशों के चलते वास्तव में कितने ईंट भट्टे बंद कर दिए गए हैं।

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