खेती पर बुरा असर डाल रहा है मुला नदी के किनारे किया गया अवैध सड़क निर्माण

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Monday 17 April 2023
 

मुला नदी के किनारे उसके साथ-साथ निर्मित रोड नदी की नीली और लाल रेखा के अंदर है। पता चला है कि इस सड़क का निर्माण मैसर्स अर्बन लाइफ वेंचर्स द्वारा किया गया है, जिसकी कुल लम्बाई 401 मीटर है। इसमें से करीब 321 मीटर नदी की नीली और लाल रेखा में है। यह जानकारी संयुक्त समिति ने 13 अप्रैल, 2023 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सबमिट अपनी रिपोर्ट में दी है।

इस बारे में आवेदक महेश काशीनाथ रानावाडे का कहना है कि यह मामला नदी तट पर अवैध सड़क निर्माण से जुड़ा है, जो कृषि क्षेत्र पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है। आवेदक पुणे में मुलशी तालुका के नंदे मौजे के रहने वाले हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह निर्माण मुला नदी की नीली रेखा के भीतर किया गया है, जहां कानूनी रूप से निर्माण की आज्ञा नहीं है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह लाल और नीली वो कृत्रिम रेखाएं हैं, जो नदी क्षेत्र में बाढ़ का सीमांकन करती हैं। लाल रेखा ऐसी सीमा को दर्शाती है जहां 100 वर्षों में कभी कोई ऐसा मौका आता है जब जलस्तर उसके ऊपर चला जाता है। इसी तरह नीली रेखा 25 वर्षों में आई अधिकतम बाढ़ को सीमांकित करती है।

कुछ बदलावों के साथ कंपोस्टिंग तकनीक को वेस्ट प्रोसेसिंग के लिए किया जा सकता है उपयोग

इकोमैन एनवायरो सॉल्यूशंस द्वारा अपनाई गई कंपोस्टिंग तकनीक बहुत ज्यादा ऊर्जा का उपयोग करती है। यह बात केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी 17 अप्रैल 2023 को जारी रिपोर्ट में कही है। रिपोर्ट में यह भी कहा है कि मैसर्स इकोमैन एनवायरो सॉल्यूशंस द्वारा कुछ उपायों को अपनाने के बाद इस कंपोस्टिंग तकनीक को वेस्ट प्रोसेसिंग के लिए उपयोग किया जा सकता है। 

रिपोर्ट के मुताबिक इसका उपयोग उन क्षेत्रों में किया जा सकता है, जहां उचित तरीके से अलग किए ठोस अपशिष्ट को उपलब्ध कराया जा सकता है और प्रक्रिया का उचित संचालन और रखरखाव सुनिश्चित किया जा सकता है।

एक विशेषज्ञ समूह ने पुणे में गोल्ड क्लिफ, आनंद इंफ्राकॉन में उक्त तकनीक का उपयोग करके खाद बनाने की तकनीक का मूल्यांकन किया है। रिपोर्ट में यह भी कहा है कि इकोमैन की यह कंपोस्टिंग मशीन पूरी तरह से स्वचालित और आकार में कॉम्पैक्ट है। साथ ही यह कचरे को प्रभावी रूप से कम्पोस्ट बनाने में भी सक्षम है।

इसी तरह प्रक्रिया के दौरान निगरानी किया गया उत्सर्जन का स्तर तय मानकों के भीतर था। हालांकि, खाद बनाने वाली मशीन के आसपास से दुर्गंध आने की सूचना मिली थी। लेकिन वहां जल प्रदूषण नहीं हुआ था, क्योंकि खाद बनाने की प्रक्रिया में सारा अतिरिक्त जल वाष्पित हो जाता है।

एनजीटी ने कोलकाता में कचरे के निपटान के लिए दिए निर्देश

एनजीटी की पूर्वी खंडपीठ ने निर्देश दिया है कि बायोडिग्रेडेबल कचरे के निपटान के लिए कोलकाता के पाटिपुकुर मछली बाजार के आसपास जैविक अपशिष्ट खाद संयंत्र तुरंत स्थापित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरे के पुनर्चक्रण के लिए भी जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।

चूंकि थर्माकोल के बक्सों का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है, ऐसे में एनजीटी ने पश्चिम बंगाल सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि मछली के परिवहन के लिए क्षेत्र में थर्माकोल के बक्सों का कोई उपयोग या आपूर्ति नहीं होनी चाहिए। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि मछली बाजार में केले के पत्तों से ढकी बेंत की टोकरियों में मछलियों का परिवहन किया जाए।

इसके अलावा, अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश किया है कि वहां पर्याप्त ढलान के साथ उचित नालियों का निर्माण किया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वहां कचरे का जमाव न हो।

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