सोन नदी अवैध खनन मामला: डाउन टू अर्थ में छपी रिपोर्ट पर एनजीटी ने अधिकारियों से तलब की रिपोर्ट

डाउन टू अर्थ ने अपनी रिपोर्ट में पटना के साथ-साथ बिहार के कई अन्य जिलों में सोन नदी पर चल रहे अवैध खनन को उजागर किया था

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Thursday 08 February 2024
 
सोन नदी पर चलता अवैध खनन का कारोबार; फोटो: मुहम्मद इमरान खान

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने डाउन टू अर्थ में 22 दिसंबर 2023 को छपी एक रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। मामला सोन नदी में अवैध बालू खनन से जुड़ा है। बता दें कि यह मामला पांच फरवरी, 2024 को एनजीटी के समक्ष सुनवाई के लिए आया था।

गौरतलब है कि इस खबर में सोन नदी पर हो रहे बालू खनन को उजागर किया गया था, जिसपर कार्रवाई करते हुए बिहार पुलिस के ऑपरेशन में 40 बड़ी नावें जब्त की गई थी। पुलिस ने इस मामले में 20 लोगों को भी गिरफ्तार किया है।

इस रिपोर्ट में पटना के साथ-साथ भोजपुर, रोहतास, औरंगाबाद, सारण और वैशाली सहित बिहार के कई अन्य जिलों में सोन नदी पर चल रहे अवैध खनन को उजागर किया गया था। बता दें कि पुलिस ने इससे पहले 20 दिसंबर 2023 को पटना के पास मनेर में रेत माफिया के दो गुर्गों को हथियार के साथ गिरफ्तार किया था।

रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इन अवैध गतिविधियों के पीछे जो आपराधिक सिंडिकेट है, उसने हिंसा का भी सहारा लिया है। आरोप है कि इस मामले में कार्रवाई करने वाले पुलिसवालों पर न केवल हमला किया गया, बल्कि उनकी हत्या तक कर दी गई थी।

खनन माफियाओं द्वारा पुलिस को भी बनाया गया निशाना

इस खबर के मुताबिक मानसून के मौसम में बिहार के पटना, भोजपुर, रोहतास, औरंगाबाद, सारण और वैशाली सहित कई जिलों में इन शक्तिशाली माफियाओं द्वारा अवैध बालू खनन किया जाता है। यह माफिया हथियारों से लैस होते हैं।

पुलिस महकमे में अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) रैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददाता को बताया है कि अक्सर उनकी संख्या पुलिस बल से ज्यादा होती है। हाल के महीनों में इन आपराधिक सिंडिकेटों ने कार्रवाई करने वाले पुलिस अधिकारियों पर हमला करने के साथ उनकी हत्या करके इलाके में आतंक फैलाया है।

एनजीटी की प्रधान पीठ ने माना है कि इस मामले में पर्यावरण नियमों के उल्लंघन से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया गया है।  ऐसे में मामले की गंभीरता को देखते हुए एनजीटी ने बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ-साथ पटना के जिला मजिस्ट्रेट और पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय को भी नोटिस भेजने का निर्देश दिया है।

अदालत का कहना है कि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) ने अग्रिम नोटिस के आधार पर जवाब दाखिल किया है। इस जवाब की समीक्षा करने पर समाचार रिपोर्ट की पुष्टि हुई है, क्योंकि इस जवाब से पता चला है कि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस मामले में कुछ कार्रवाई की है।

इस मामले में अगली सुनवाई 22 मार्च 2024 को एनजीटी की पूर्वी बेंच में होगी।

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