क्या टिहरी महोत्सव में हुआ पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन, कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

एनजीटी ने आवेदक के वकील से टिहरी महोत्सव के दौरान पर्यावरण संबंधी नियमों के हुए उल्लंघन को उजागर करने वाली एक रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Tuesday 26 December 2023
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 21 दिसंबर, 2023 को टिहरी महोत्सव के दौरान पर्यावरण संबंधी नियमों के हुए उल्लंघन को उजागर करने वाली एक रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। पूरा मामला उत्तराखंड में टेहरी जिले के टिहरी लेकफ्रंट का है। 

कोर्ट ने आवेदक के वकील कमल सक्सेना से यह रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई दो जनवरी 2024 को होगी।

एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगा पहलवान ईंट भट्ठे का जायजा

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 21 दिसंबर 2023 को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) से पहलवान ईंट भट्ठे की स्थिति का खुलासा करने का निर्देश दिया है। मामला फतेहपुर के अजमतपुर बिंदकी में अवैध रूप से चल रहे ईंट भट्ठों से जुड़ा है। कोर्ट के निर्देशानुसार यह रिपोर्ट अगली सुनवाई की तारीख 12 फरवरी, 2024 से पहले दाखिल करनी होगी।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) द्वारा दायर एक रिपोर्ट के मुताबिक फतेहपुर में 490 ईंट भट्टों की पहचान की गई है, जिनमें से दो को नष्ट कर दिया गया है। वहीं 212 को यूपीपीसीबी द्वारा बंद कर दिया गया है, जबकि शेष 276 ईंट भट्टों के पास संचालन के लिए वैध सहमति है।

एनजीटी ने बॉटलिंग उद्योग को वायु और जल प्रदूषण को कम करने के लिए कदम उठाने का दिया निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 22 दिसंबर, 2023 को मेसर्स अमृत बॉटलर्स प्राइवेट लिमिटेड से 300 केएलडी क्षमता की नैनो-फिल्ट्रेशन यूनिट स्थापित करने को कहा है। कोर्ट के मुताबिक यह नैनो-फिल्ट्रेशन यूनिट 28 फरवरी, 2024 तक चालू हो जानी चाहिए। गौरतलब है कि कोका कोला से जुड़ी यह बॉटलिंग यूनिट अयोध्या में इलाहाबाद रोड पर डाभर सेमर गांव में स्थित है। कोर्ट ने इस यूनिट के संचालन के सम्बन्ध में एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

इसके साथ ही अदालत ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और उत्तर प्रदेश भूजल विभाग को 25 स्थानों पर कुल 4,98,999 घन मीटर क्षमता की वर्षा जल संचयन परियोजनाओं का निरीक्षण करने का निर्देश दिया है।

साथ ही एनजीटी ने अमृत बॉटलर्स के इस दावे की भी पुष्टि करने को कहा है, जिसमें उसने कहा है कि वो जितने भूजल की निकासी कर रहा है, उसके 150 फीसदी से अधिक बारिश के पानी का संचयन कर रहा है। कोर्ट ने इस बाबत एक रिपोर्ट भी सौंपने को कहा है।

कोर्ट ने अयोध्या के प्रभागीय वनाधिकारी से इस उद्योग द्वारा 2022-23 में  लगाए 11,000 पौधों के दावे की भी जांच करने को कहा है। साथ ही उद्योग को इन बागानों के अस्तित्व और रखरखाव पर एक रिपोर्ट भी कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी। उद्योग के मुताबिक उसके द्वारा तैयार यह जंगल फैक्ट्री परिसर से 25 किमी दूर गोसाईगंज में स्थित है।

अदालत की राय है कि इस इकाई के कारण होने वाले वायु और जल प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए कारखाने के परिसर के आसपास इस तरह के वृक्षारोपण की आवश्यकता है। ऐसे में कोर्ट ने उद्योग से अपने आसपास के क्षेत्रों में वृक्षारोपण करने को कहा है।

एनजीटी ने उद्योग को अयोध्या के जिला मजिस्ट्रेट और प्रभागीय वन अधिकारी के नेतृत्व वाली जिला पर्यावरण समिति के परामर्श से कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) गतिविधियों का संचालन करने को भी कहा है। ऐसा परियोजना के आसपास के क्षेत्र में निवासियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए। अदालत के निर्देशानुसार उद्योग को तीन महीनों के भीतर इस पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट जमा करनी होगी।

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