कोरोनावायरस: अब केरल ने उठाया यह बड़ा कदम, आगे नहीं होगी खाने-पीने की दिक्कत
केरल ने खाद्य सामग्री में आत्मनिर्भर बनने के लिए बेकार पड़ी जमीन को खेती योग्य बनाना, किचन गार्डन को बढ़ावा देना, पशुपालन और मछली पालन को मजबूत करने का निर्णय लिया है
On: Thursday 30 April 2020
केरल की कैबिनेट ने 29 अप्रैल को 3,000 करोड़ रुपए के एक्शन प्लान को मंजूरी देते हुए इसके जरिए प्रदेश को कोविड-19 महामारी से लड़ने की वजह से जारी लॉकडाउन के बाद उपजे खाद्य सुरक्षा के खतरों को दूर करने का प्रयास किया है। इस लॉकडाउन के बाद यह खतरा बना हुआ है कि इससे प्रदेश की खाद्य सुरक्षा की स्थिति खराब हो सकती है। केरल में अनाज, फल, सब्जी के अलावा दूसरे खाने-पीने के जरूरी सामानों की सप्लाई की कमी कई दूसरे राज्य जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश पूरी कर रहे हैं। अगर सामानों की आपूर्ति हड़ताल या किसी और वजह से प्रभावित होती है तो केरल में दामों में वृद्धि से उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ जाती है।
ताजा मामले के बाद यह चिंता सबसे अधिक उभरी जब बॉर्डर के इलाके कासरगोड में कोविड-19 का हॉटस्पॉट बनने के बाद कर्नाटक ने अपनी सीमा बंद कर दी। इसके बाद फल-सब्जियों की आपूर्ति पर गहरा असर हुआ था और केरल में इसकी कमी होने लगी थी।
केरल के किसान बीते कुछ वर्षों में अनाज उगाने की बजाए कैश क्रॉप की तरफ बढ़े हैं जिसमें रबर और मसाले शामिल हैं। पिछले तीन वर्ष में केरल के किसानों ने धान की खेती का रकबा 70 प्रतिशत तक कम कर दिया है। इस दौरान कुछ किसानों ने खेती कम लाभ होने की वजह से छोड़ दी।
22 अप्रैल को हुए एक प्रेस वार्ता में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि प्रदेश छोटी अवधि के लिए तो खाद्य सुरक्षा को लेकर सुरक्षित है, लेकिन लंबे समय तक चलने वाले संकट के लिए इसे आत्मनिर्भर बनाना होगा। वह कहते हैं,“हमें अपनी खपत के मुताबिक उत्पादन बढ़ाना चाहिए और दूसरे राज्यों पर निर्भरता घटानी चाहिए। हमें अपने खाद्य सुरक्षा पर संकट से जूझने के लिए तैयार रहना चाहिए।”
29 अप्रैल को कैबिनेट मीटिंग में स्टेट एक्शन प्लान के तहत इसकी तैयारी पर काम होने लगा। इस बैठक में तय हुआ कि बेकार पड़ी जमीन को जमीन मालिकों से समन्वय स्थापित कर खेती के लिए तैयार किया जाए। किसानी का काम जारी रखने वाले जमीन मालिकों की उपज को बाजार प्रदान करने में सरकार मदद करेगी। अगर ऐसा नहीं हुआतो कुदुंमश्री जैसी संस्थाएं किसानों की खेती में मदद करेंगी।
धान का रकबा बढ़ेगा, घरों में बनेगा किचन गार्डेन
कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 1,09,000 हेक्टेयर बेकार जमीन खाली पड़ी है जिसमें धान के खाली खेत भी शामिल हैं।
इसके साथ, 1,40,000 हेक्टेयर जमीन पर जमीन की प्रकृति के मुताबिक सब्जियां लगाई जा सकती है। सरकार इस योजना के तहत किसानों के स्थानीय बाजार को बढ़ावा देने के साथ-साथ डिजिटल बाजार की तरफ भी ध्यान देने वाली है। छोटी अवधि के लिए एक योजना ओनम के समय सितंबर में सामने आ सकती है। मुख्यमंत्री के मुताबिक वे धान की खेती को अगले दो वर्ष में 25,000 हेक्टेयर तक बढ़ाना चाहते हैं। इसके अलावा कंद-मूल और केले की खेती को भी बढ़ावा दिया जाएगा। गांव स्तर पर डेयरी और पॉल्ट्री फार्म को बढ़ावा दिया जाएगा। उपयोग में नहीं आ रहे पानी का उपयोग मछली पालन के लिए होगा। मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की है कि लॉकडाउन का सदुपयोग कर वे अपने निवास के किसी हिस्से को किचन गार्डन के तौर पर विकसित करें।
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