आहार संस्कृति: क्या आप जानते हैं मछली पुदीना के फायदे?

अपनी विशिष्ट मछली जैसी गंध और स्वाद के कारण यह पौधा पुदीना या धनिया जितना लोकप्रिय नहीं है, खासकर उन लोगों में जो इसके औषधीय गुणों से अनभिज्ञ हैं

By Vibha Varshney

On: Wednesday 01 November 2023
 
मछली पुदीना का इस्तेमाल सलाद या चटनी बनाने में किया जाता है और इसके बहुत से औषधीय उपयोग भी हैं (फोटो: विकास चौधरी / सीएसई)

अगर आप जानना चाहते हैं कि खूबसूरत सफेद फूलों और हृदय के आकार की पत्तियों वाले पौधे को मछली से क्यों जोड़ा जा रहा है तो आपको इसे एक बार चखकर देखना होगा। मछली पुदीना (फिश मिंट) में ठीक मछली जैसी गंध आती है।

वैसे इस पौधे को गिरगिट पौधा (चमेलियन प्लांट) भी कहा जाता है क्योंकि ये सोरूरासियाई अथवा लीजार्ड टेल फैमिली का पौधा है। वैज्ञानिक इसको हॉट्यूनिया कोर्डाटा नाम से जानते हैं।

यह पौधा मूलरूप से दक्षिण पूर्व एशिया का है और पत्तेदार सब्जी के रूप में इसकी खेती होती है। यह नम मिट्टी में आसानी से उगता है और बाढ़ से अप्रभावित रहता है। भारत में यह पौधा उत्तर पूर्वी राज्यों में अधिक उगता है और यहां इसकी पत्तियों और जड़ों का सलाद या चटनी के रूप में उपयोग किया जाता है। मेघालय में स्थानीय स्तर पर इसे जा मरदोह के नाम से जाना जाता है और सलाद के रूप में अथवा अन्य सब्जियों के साथ इसे पकाकर खाया जाता है।

मणिपुर में इसे टोकनिंग-खोक के नाम से जाना जाता है और इसकी पत्तियों और जड़ों का उपयोग एरोम्बा और सिंगजू जैसी पारंपरिक रेपिसी में किया जाता है। असम में इसे मसुन्दुरी कहा जाता है और इसे कच्चा व पकाकर दोनों तरह से खाया जाता है। असम में गुवाहाटी स्थित पत्रकार रिनुस्मिता काकोटी लहकर बताती हैं कि राज्य में जड़ों की तुलना में पत्तियों का अधिक सेवन किया जाता है।

पत्तियां विटामिन से भरपूर होती हैं और इन्हें पीलिया, निमोनिया और यहां तक कि पेट के संक्रमण को कम करने के लिए मछली करी और गर्म शोरबे में मिलाया जाता है। वह बताती हैं कि इसकी जड़ों का इस्तेमाल सलाद या चटनी बनाने में भी किया जाता है और चावल के साथ इसका लुत्फ उठाया जाता है।

दोनों हिस्से लाभकारी
2012 में प्रकाशित हैंडबुक ऑफ हर्ब्स एंड स्पाइसेस के दूसरे संस्करण के अनुसार, इस पौधे में दो प्रकार के दो स्वाद होते हैं। चीन और वियतनाम में लोकप्रिय “चीनी किस्म” में धनिया जैसी तेज सुगंध होती है। इसकी जड़ों का उपयोग सब्जी के रूप में अधिक किया जाता है। वहीं दूसरी तरफ, नेपाल से जापान में मिलने वाली “जापानी किस्म” में नीबू और अदरक जैसी सुगंध होती है और पत्तियों का उपयोग सलाद व मछली व्यंजनों में अधिक किया जाता है।

चीन के शोधकर्ताओं ने पाया है कि जमीन के ऊपर वाले हिस्से में पोषक घटक हैं जो इसे खाने के लिए उपयोगी बनाते हैं। जून 2022 में जर्नल मॉलिक्यूल्स में प्रकाशित इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि पौधे के सबसे महत्वपूर्ण औषधीय घटक भूमिगत भागों में केंद्रित होते हैं और इसमें सूजन-रोधी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं।

पर अपनी विशिष्ट मछली जैसी गंध और स्वाद के कारण यह पुदीना या धनिया जितना लोकप्रिय नहीं है, खासकर उन लोगों में जो इसके औषधीय गुणों से अनभिज्ञ हैं। वैसे तो इसके औषधीय गुणों का उल्लेख चीनी पारंपरिक चिकित्सा, आयुर्वेद, सिद्ध और जापानी पारंपरिक चिकित्सा के प्राचीन ग्रंथों में भी किया गया है।

इन्हीं पारंपरिक गुणों को अब आधुनिक चिकित्सा के माध्यम से मान्यता मिल रही है। चीनी चिकित्सा में इसके एंटी-एलर्जी और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों को अस्थमा के इलाज में उपयोग किया जाता है। जब शोधकर्ताओं ने इस उपयोग का परीक्षण किया तो पाया कि पौधे के अर्क के साथ उपचार ने अस्थमा के विकास को कम कर दिया और सेल मॉडल में वायुमार्ग की संकीर्णता को रोका।

बायोमेडिसिन एंड फार्माकोथेरेपी जर्नल में 26 मई 2003 को ऑनलाइन प्रकाशित निष्कर्ष बताते हैं कि यह पौधा संभावित उपचार विकल्प है जो अस्थमा की गंभीरता को कम कर सकता है। अभी हाल की एक रिसर्च ने भी इस बात की पुष्टि की।

चूहों के मॉडल का उपयोग करके फेफड़ों पर इस पौधे के लाभों का अध्ययन करने वाले ताइवान के शोधकर्ताओं ने इन चूहों का पहले शरीर का तापमान बढ़ाने वाली दवाएं दीं और फिर उन्हें पौधे का अर्क पिलाया गया। जब चूहों का अध्ययन किया गया, तो शोधकर्ताओं ने पाया कि पौधे का अर्क हृदय, यकृत, श्वसन प्रणाली और गुर्दे पर बुखार के बुरे प्रभाव को दबाता है। 25 मई, 2023 को जर्नल ऑफ एथनोफार्माकोलॉजी में ऑनलाइन प्रकाशित अपने पेपर में लेखकों का कहना है कि ऊपरी श्वसन पथ में अधिकतम लाभ देखा गया।

इसके अलावा इस जड़ी-बूटी का पारंपरिक रूप से इसके रोगाणुरोधी प्रभाव के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। जापान में तो पौधे की सूखी पत्तियों का काढ़ा अक्सर स्वास्थ्यवर्धक हर्बल चाय के रूप में किया जाता है। यह साधारण सा अभ्यास दंत बायोफिल्म को नियंत्रित करता है जो दंत क्षय, पेरियोडोंटल रोग और मौखिक कैंडिडिआसिस सहित संक्रामक मौखिक रोगों का कारण बनता है।

शोधकर्ताओं ने 2017 में जर्नल एविडेंस-बेस्ड कॉम्प्लिमेंटरी एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन में बताया कि चाय का अर्क मेथिसिलिन प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस (एमआरएसए) और अन्य मुंह के सूक्ष्मजीवों के खिलाफ काम करता है। चाय ने प्लाक निर्माण से होने वाली पेरियोडोंटल बीमारी को रोका।

लेखकों का सुझाव है कि चूंकि चाय आसानी से तैयार की जा सकती है, इसलिए यह दांतों को बचाने का एक प्रभावी तरीका है। हालांकि, पौधे के रोगाणुरोधी लाभ केवल मौखिक रोगजनकों तक ही सीमित नहीं हैं। यह भी पाया गया है कि यह पौधा कोविड-19 के निमोनिया और एक्यूट रेस्पीरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम जैसे लक्षणों को दूर करता है।

दिसंबर 2022 में फूड बायोसाइंस में प्रकाशित एक लेख में असम के शोधकर्ताओं का कहना है कि सार्स कोविड-2, एचआईवी, एचएसवी (हरपीज सिंप्लेक्स वायरस) और इन्फ्लूएंजा जैसी वायरस बीमारियों के उपचार में पौधे को संभावित न्यूट्रास्युटिकल एजेंट के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

वैसे इस पौधे के और भी बहुत फायदे हैं। पौधे के सेवन से मोटापा, वसा, इंसुलिन प्रतिरोध, प्लाज्मा और यकृत लिपिड को कम करने और हेपेटिक मैलिक एंजाइम और फैटी एसिड सिंथेज (एफएएस) को बढ़ाने की क्षमता शामिल है। पौधे की पत्तियां त्वचा के मुंहासे कम करने में मददगार हैं। कुल मिलाकर, इस पौधे को अपने आहार में शामिल करने के फायदे ही फायदे हैं।

व्यंजन : मछली पुदीना का सलाद या चटनी

सामग्री
  • मछली पुदीना: 100 ग्राम
  • टमाटर: 1 बड़ा
  • प्याज: 1 बड़ा
  • नीबू: 1
  • हरी मिर्च: 1
  • नमक स्वादानुसार

विधि : पत्तियों और जड़ों को साफ करके छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। प्याज, टमाटर और हरी मिर्च को भी काट लें। इन सबको एक साथ मिलाएं और नमक डालें। इस पर नीबू का रस निचोड़कर सलाद तैयार कर लें। इसे सरसों का तेल और लहसुन की कुछ कलियां डालकर चटनी में बदला जा सकता है और मिश्रण को केले के पत्ते से लपेटकर और फिर भाप देकर, मोटा-मोटा मसलकर पकाया जा सकता है

ईटिंग द प्रेजेंट, टेस्टिंग द फ्यूचर: एक्सप्लोरिंग इंडिया थ्रू हर चेंजिंग फूड  पुस्तक

ईटिंग द प्रेजेंट, टेस्टिंग द फ्यूचर: एक्सप्लोरिंग इंडिया थ्रू हर चेंजिंग फूड
लेखक: शारमेन ओ’ब्रायन
प्रकाशक: पेंगुइन
मूल्य: £R399 पृष्ठ: £392

भारत की सबसे उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक है यहां के अनगिनत स्वाद और शैलियां, जो कि देश के इतिहास, परंपराओं और लोगों व स्थानों की विविधताओं को दर्शाती हैं। ईटिंग द प्रेजेंट, टेस्टिंग द फ्यूचर उद्यम भारत के समसामयिक खाद्य परिदृश्य के माध्यम से उन असंख्य ताकतों की खोज करता है जो भारतीय भोजन के उत्पादन, व्यापार और खाद्य आदतों में हो रहे बदलावों का कारण बन रहे हैं।

Subscribe to our daily hindi newsletter