आहार संस्कृति: गुलाबी ठंड में सजती थाली

औषधीय और पौष्टिक गुणों से भरपूर पारिजात के फूल व पत्तियों के लाजवाब व्यंजन बनते हैं

By Sangeeta Khanna

On: Tuesday 07 December 2021
 

पारिजात या हरसिंगार के पौधे लगभग पूरे भारत में पाए जाते हैं। यह पौधा अपने सुंदर, सुगंधित सफेद और नारंगी फूलों के लिए जाना जाता है। इसमें शारदीय नवरात्र से पहले फूल आने लगते हैं और यह प्राकृतिक रूप से धार्मिक आस्था से जोड़कर देखा जाता है।

व्यक्तिगत रूप से कहूं तो हरसिंगार मेरे बचपन की उन यादों को ताजा करता है, जब पौधों से झड़े फूलों को सर्दियों के आगमन के रूप में देखा जाता था। हम सुबह-सुबह ओस से भरी घास से फूलों को इकट्ठा करते थे। उन दिनों सर्दियां आज के बदले मौसम से उलट थोड़ा जल्दी आ जाया करती थीं। मेरी दादी सभी फूलों को साफ करके उन्हें सूखने के लिए धूप में रखती थी। हम अपनी दादी को इस काम में मदद करते थे। इसके ताजा फूल खीर में डाले जाते थे। धूप में सुखाए गए फूलों को मिठाई में मिलाया जाता था। दादी अक्सर कहा करती थी कि ये फूल स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी हैं और हम उनकी बातों पर आंख मूंदकर भरोसा करते थे। बाद में पढ़ाई के दौरान मुझे इसके औषधीय गुणों की जानकारी मिली। मैं अपनी दादी को फूलों की उपयोगिता के बारे में बताती तो वह बड़े आश्चर्य से मेरी ओर देखती थी।

करिश्माई पत्तेे

शादी के बाद पहली बार मैंने पारिजात के पत्तों का उपयोग किया। मेरी सास इन्हें पानी में उबालकर अपने दर्द भरे जोड़ों के लिए काढ़ा बनाती थी। एक दोस्त की मां पत्तों को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाती थी। वह लिवर के सूजन को दूर करने के लिए हर दिन गर्म पानी से एक चम्मच इसका सेवन करती थी। स्थानीय स्तर पर इसके बीजों का गाढ़ा घोल फोड़ों और मुहासों को ठीक करने के लिए फेसपैक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।

बाद में जब मैंने कुछ बंगाली दोस्त बनाए जो अच्छे रसोइए थे, तब मुझे पता चला कि बंगाल में पारिजात की पत्तियों को शिउली कहा जाता है। इन पत्तियों को कड़वी सब्जियों के बदले शुक्तो (एक मिश्रित करी) में मिलाया जाता है।

पारिजात के नाजुक पत्ते फूल झड़ने के तुरंत बाद ही निकलने लगते हैं। शाखाओं पर सिक्के के आकार के बीज भी इस समय दिखने लगते हैं। इसका उपयोग सीताफल और बैंगन की सब्जी में भी किया जाता है। खाना पकाने के लिए मुलायम पत्तों को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि परिपक्व पत्तों को चबाना मुश्किल होता है। इन्हें सुखाकर चूर्ण बना लिया जाता है और इसका इस्तेमाल काढ़ा बनाने में किया जाता है।

स्वास्थ्य लाभ

पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में पारिजात के पत्तों को कड़वी औषधि के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसमें निहित विषनाशक गुण के कारण इसे यकृत टॉनिक माना जाता है। एक अध्ययन से पता चला है कि पत्तों के अर्क में टैनिन, सैपोनिन, टर्पेनॉइड, फ्लेवोनॉइड, स्टेरॉयड और ग्लाइकोसाइड्स होते हैं। इसका अर्क टाइफाइड रोग उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया साल्मोनेला टाइफी के खिलाफ एंटीमाइक्रोबियल की तरह काम करता है। यह अध्ययन 2013 में जर्नल ऑफ फार्माकोग्नोसी एंड फाइटोकेमिस्ट्री में प्रकाशित हुआ था। पौधे के विभिन्न हिस्सों में हेपेटोप्रोटेक्टिव (लिवर के लिए लाभकारी), एंटीहिस्टामिनिक (एंटी एलर्जिक), एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटीफिलारियल, एंटीऑक्सीडाइजिंग, एंटीडायबिटिक और इम्यूनोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं।

पौधे के प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले गुणों के कारण ही भारत में बहुत से लोगों ने सर्दियों की शुरुआत में अपने रोजमर्रा के भोजन में पारिजात के पत्तों का उपयोग शुरू कर दिया है। आमतौर पर इस मौसम में प्रतिरक्षा क्षमता कमजोर हो जाती है। असम, बंगाल, मणिपुर और मध्य भारतीय राज्यों में पारिजात के पत्तों से बने पकोड़े आम हैं (देखें: व्यंजन)। असम की स्थानीय भाषा में पारिजात के फूल को शेवाली के नाम से जाना जाता है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के पूरक और मुख्य आहार के रूप होता है। खार ऐसा ही एक असमिया व्यंजन है जिसमें सब्जियों या मछली के साथ-साथ प्राकृतिक सोडा का इस्तेमाल किया जाता है। कभी-कभी टूटे हुए चावल और पारिजात के फूलों का उपयोग खार बनाने के लिए मौसमी सब्जियों के बदले किया जाता है।

बंगाल के लोग पारिजात के फूल का इस्तेमाल बोरा पकौड़ा बनाने में करते हैं। बोरा बनाने में ताजे फूलों को बेसन, चावल के आटे, कलौंजी, मिर्च और नमक में मिलाकर तला जाता है। बंगाल में पुलाव बनाने के लिए सुगंधित मसालों और मेवों के साथ ताजे या धूप से सूखे फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। बंगाल के लोग फूल, कटे प्याज और हरी मिर्च के साथ चावल के आटे का स्वादिष्ट पैनकेक भी बनाते हैं। सर्दियों की शुरुआत में पारिजात का फूल बहुत से लोगों के भोजन की थाली सुसज्जित करता है।

व्यंजन 

पारिजात के पत्तों के पकौड़े

सामग्री:
परिजात के ताजा पत्ते: 20
बेसन: 1 कप
चावल का आटा: 3 बड़े चम्मच
अजवाइन बीज: 1 चम्मच
हल्दी पाउडर: 1 बड़ा चमचा
नमक : स्वादानुसार
मिर्च पाउडर : स्वादानुसार
सरसों का तेल

विधि: पारिजात के पत्तों को अच्छी तरह धो लें। तीन चौथाई कप पानी में बेसन और अन्य सामग्री घोलकर गाढ़ा पेस्ट बना लें। मध्यम लौ पर तेल गर्म करें और एक बूंद पेस्ट डालकर उसका तापमान जांच लें। तेल में डाले गए पेस्ट के चारों तरफ बुलबुले फूटने चाहिए। हर पत्ते को इस पेस्ट में डुबाएं और तेल में हल्का भूरा होने तक तलें। पकौड़े को छानकर चटनी के साथ परोसें।

यह पुस्तक एक पौराणिक, जादुई पेड़ के बारे में है जो एक राजकुमारी की राख से निकला था, इसकी छाल सुनहरी थी और इसमें सुगंधित फूलों के गुच्छे थे।

Subscribe to our daily hindi newsletter