बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर कोई भी राज्य 100 फीसदी खरा नहीं: रिपोर्ट

देश में बच्चों में खुशहाली को लेकर इंडिया चाइल्ड वेल-बीइंग रिपोर्ट 2019 जारी की गई, जिसमें 24 संकेतकों को आधार बनाया गया 

By Raju Sajwan

On: Tuesday 27 August 2019
 
Photo: Creative commons

भारत में कोई भी राज्य ऐसा नहीं है, जहां बच्चों की सेहत के मामले में 100 फीसदी काम हो रहा है। 27 अगस्त 2019 को देश में बच्चों में खुशहाली को लेकर इंडिया चाइल्ड वेल-बीइंग रिपोर्ट 2019 जारी की गई। यह रिपोर्ट वर्ल्ड विजन इंडिया और आईएफएमआर लीड ने तैयार की है। इन संस्थाओं ने देश में उपलब्ध सबसे ताजा आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की  है।

यह रिपोर्ट 24 संकेतकों के आधार पर तैयार की गई है। इन्हें तीन कैटेगिरी व्यक्तिगत तौर पर स्वास्थ्य विकास, सकारात्मक संबंध और सुरक्षात्मक संदर्भ में बांटा गया।  यह रिपोर्ट इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत की कुल आबादी में 40 फीसदी 1 से 18 आयुवर्ग के हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, जिन राज्यों में सबसे अधिक वेल-बीइंग स्कोर हासिल किया, उनमें केरल सबसे ऊपर है, उसके बाद तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश है, जबकि मेघालय, झारखंड और मध्यप्रदेश सबसे नीचे है।

आंकड़े बताते हैं कि बेशक बच्चों की खुशहाली के मामले में कई राज्यों में बेहतर काम हो रहा है, लेकिन इन राज्यों में बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा काम नहीं हो रहा है। जो राज्य चाइल्ड वेल-बीइंग स्कोर हासिल करने में ओवरऑल बेहतर रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य संकेतकों में इन राज्यों की स्थिति बेहतर नहीं है। जैसे कि, तमिलनाडु वेल-बीइंग स्कोर में दूसरे नंबर पर है, लेकिन हेल्थ इंडिकेटर्स की बात करें तो यह राज्य पांचवे स्थान पर है। इसी तरह केरल और हिमाचल प्रदेश की स्थिति भी काफी बेहतर नहीं है।

दूसरी तरफ, पश्चिम बंगाल ओवरऑल परफॉरमेंस में 11 वें नंबर पर है, लेकिन हेल्थ इंडिकेटर के मामले में उसकी स्थिति बेहतर है और उसका रेंक सातवां है।

इसी तरह आंध्रप्रदेश वेल-बीइंग के ओवरऑल परफॉरमेंस में 26वें स्थान पर रहा, जबकि बच्चों के स्वास्थ्य संकेतकों में 12वें नंबर पर है।

ओवरऑल परफॉरमेंस में सबसे अव्वल केरल को 0.76 अंक मिले हैं, जबकि तमिलनाडु को 0.67 और हिमाचल प्रदेश को 0.67 अंक मिले हैं। वहां सबसे खराब परफॉरमेंस वाले राज्य मेघालय (0.53), झारखंड (0.50) और मध्यप्रदेश (0.44) अंक हासिल किए हैं।

रिपोर्ट जारी करने के बाद यूनिसेफ इंडिया के पोषण एवं बाल विकास विभाग के मुखिया अर्जन डे वगत ने ने कहा कि रिपोर्ट बताती है कि राज्यों में बच्चों को लेकर काफी काम हुआ है और वे बेहतर भी साबित हुए हैं, लेकिन फिर भी 100 फीसदी खरे साबित नहीं हुए हैं।

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