डब्ल्यूएचओ ने इस खांसी के सिरप को लेकर चेताया, इस्तेमाल न करने की सलाह

ऑस्ट्रेलिया में हुई जांच में सिरप में डायथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन क्लाइकोल अस्वीकार्य मात्रा में मिला है, जिससे खासकर बच्चों की मृत्यु हो सकती है

By Bhagirath Srivas

On: Thursday 27 April 2023
 
Photo: iStock

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 25 अप्रैल को जारी अपने अलर्ट में एक भारतीय दवा कंपनी के सिरप को दूषित बताया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मार्शल आइलैंड और माइक्रोनेशिया ने 6 अप्रैल 2023 को इसके बारे में रिपोर्ट किया। इस सिरप का नाम गुवाइफेनिसन सिरप टीजी सिरप है जिसे भारत के पंजाब स्थित क्यूपी फार्माकेम लिमिटेड ने बनाया है और इसकी मार्केटिंग हरियाणा की ट्रिलियम फार्मा करती है।

अलर्ट के अनुसार, इस सिरप का इस्तेमाल छाती की जकड़न और खांसी से आराम के लिए किया जाता है। सिरप के नमूनों की जांच ऑस्ट्रेलिया स्थित प्रयोगशाला में की गई और पाया गया कि इसमें डायथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन क्लाइकोल (विषैले केमिकल) अस्वीकार्य मात्रा में मिला।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अब तक न तो दवा निर्माता और न ही मार्केटर ने उत्पाद की सुरक्षा और गुणवत्ता की कोई जानकारी दी है। अलर्ट में यह भी कहा गया है कि यह उत्पाद वेस्टर्न पैसिफिक रीजन में मार्केटिंग के लिए अधिकृत हो सकते हैं। यह भी हो सकता है कि यह उत्पादन असंगठित मार्केटिंग के जरिए दूसरे देशों या क्षेत्रों में पहुंच गया हो।

कंपनी का पक्ष

इस संबंध में क्यूपी फार्माचेम के प्रबंध निदेशक सुधीर पाठक ने बीबीसी को बताया कि कंपनी ने सभी कानूनी अनुमतियों के बाद 18,346 बोतलों का बैच कंबोडिया निर्यात किया था। उन्होंने बताया कि वह नहीं जानते कि ये उत्पाद मार्शल आइलैंड और माइक्रोनेशिया कैसे पहुंचे। उन्होंने आगे यह भी बताया कि हम पैसिफिक क्षेत्रों में इन बोतलों को नहीं भेजते और वे इसे इस्तेमाल के लिए प्रमाणित भी नहीं हैं। पाठक के अनुसार, कंपनी ने उस फर्म को नोटिस भेजा है जिसने दवा का यह बैच कंबोडिया निर्यात किया था।

उत्पाद इस्तेमाल न करने की सलाह

डब्ल्यूएचओ ने चेताया है कि अगर आपके पास यह उत्पाद है तो उसका इस्तेमाल न करें। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अगर आपने या आपके किसी जानकार ने इसका इस्तेमाल किया है और दुष्प्रभावों को महसूस किया है तो तुरंत विशेषज्ञ से चिकित्सीय परामर्श लें। डायथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल मानवों के लिए विषैले हैं और ये खतरनाक साबित हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इनसे दूषित उत्पाद खासकर बच्चों के लिए सुरक्षित है। इसके सेवन से गंभीर रूप से जख्मी या मृत्यु तक हो सकती है। इस विष के प्रभाव से पेट में दर्द, उल्टियां, दस्त लगना, पेशाब करने में दिक्कत, सिरदर्द, मानसिक दशा का बिगड़ना और किडनी को गंभीर क्षति पहुंच सकती है।

डब्ल्यूएचओ ने इससे पहले भी 11 जनवरी 2023 को नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के दो सिरप एंब्रोनोल व डीओके 1 मैक्स को लेकर अलर्ट जारी किया था क्योंकि इसमें एथिलीन ग्लाइकोल पाया गया था। कंपनी डीओके 1 मैक्स सिरप पीने से 18 बच्चों की मौत हो गई थी। इससे पहले गांबिया भी 70 बच्चों की मौत के लिए भारत में बने खांसी के सिरप को जिम्मेदार बता चुका है। इस सिलसिले में डब्ल्यूएचओ ने 5 अक्टूबर 2022 को अलर्ट जारी किया था।

मृत्यु का इतिहास

डायथिलीन ग्लाइकोल एक बेहद खतरनाक रसायन है और भारत में भी इससे कई बच्चों की मृत्यु हो चुकी है। जर्नल ऑफ फार्माकोविलेंस एंड ड्रग रिसर्च में अक्टूबर-दिसंबर 2022 में प्रकाशित पोरुष राजपुरोहित, गणेश बोद्दू और अभिजीत मालवी का अध्ययन “डायथिलीन ग्लाइकोल प्वाइजिंग: पास्ट टु प्रेजेंट” बताता है कि 1986 में मुंबई के जेजे अस्पताल में 14 लोगों की मौत किडनी फेल होने से हो गई थी।

इन मरीजों के इलाज में दूषित डायथिलीन ग्लाइकोल का इस्तेमाल किया गया था। जनवरी 2020 में जम्मू-कश्मीर के उधमपुर के रामनगर में करीब 17 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इनमें से करीब 10 बच्चे 15 दिन के भीतर मर गए। जांच में पता चला कि मृत्यु की वजह डायथिलीन ग्लाइकोल था जो कोल्डबेस्ट पीसी नामक सिरप के जरिए बच्चों ने पिया था।

इससे पहले 1998 में दिल्ली के अस्पतालों में 36 बच्चे इस विषैले रसायन के इस्तेमाल के चलते जान गंवा बैठे।

अध्ययन के अनुसार, डायथिलीन ग्लाइकोल 1937 से 2022 तक अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, नाइजीरिया, बांग्लादेश, अर्जेंटीना, हैती, चीन, पनामा, नाइजीरिया, ब्राजील और गांबिया में सैकड़ों लोगों, खासकर बच्चों की मौत की वजह बन चुका है।

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