त्वचा संबंधी बीमारियों से पीड़ित 42 फीसदी मरीज नींद की गड़बड़ी से पीड़ित पाए गए: अध्ययन

खुजली के 60 प्रतिशत और जलन या झुनझुनी के 17 प्रतिशत को त्वचा रोगों के रोगियों की नींद में बाधा डालने वाले प्रमुख लक्षणों के रूप में पहचाना गया

By Dayanidhi

On: Tuesday 17 October 2023
 
फोटो साभार : यूरोपियन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी एंड वेनेरोलॉजी (ईएडीवी)

त्वचा संबंधी रोग आपकी नींद में खलल डाल सकते हैं, ऐसा एक नए अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन से पता चला है। अध्ययन में मरीजों की नींद की गुणवत्ता और उनके पूरे स्वास्थ्य पर त्वचा रोगों के प्रभाव की जांच की गई। ऑल प्रोजेक्ट, जो कि, एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय शोध पहल है, इसके विभिन्न त्वचा संबंधी परिस्थितियों के नतीजों का आकलन करने के लिए 20 देशों में 50,000 से अधिक वयस्कों का सर्वेक्षण किया गया।

अध्ययन के निष्कर्ष बर्लिन में यूरोपियन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी एंड वेनेरोलॉजी (ईएडीवी) कांग्रेस में प्रस्तुत किए गए

अध्ययन का सबसे चौंकाने वाला रहस्योद्घाटन यह था कि, त्वचा रोगों से पीड़ित 42 प्रतिशत रोगी नींद की गड़बड़ी से पीड़ित हैं। इन गड़बड़ियों का जीवन की गुणवत्ता पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं, इनमें से लगभग आधे 49 प्रतिशत रोगियों को काम पर उत्पादकता में कमी का अनुभव होता है, जबकि केवल 19 प्रतिशत  लोगों को त्वचा संबंधी कोई समस्या नहीं होती है।

खुजली के 60 प्रतिशत और जलन या झुनझुनी के 17 प्रतिशत को त्वचा रोगों के रोगियों की नींद में बाधा डालने वाले प्रमुख लक्षणों के रूप में पहचाना गया

बिना त्वचा रोग वाले लोगों की तुलना में इन रोगियों में जागने पर थकान 81 प्रतिशत, दिन में नींद आना 83 प्रतिशत, आंखों में झुनझुनी के 58 प्रतिशत और बार-बार जम्हाई आना 72 प्रतिशत मामले अधिक देखे गए।

अध्ययन के हवाले से, प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ. चार्ल्स ताएब ने त्वचा संबंधी रोगों के रोगियों के लिए नींद की गड़बड़ी का शीघ्र पता लगाने और प्रभावी प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया, क्योंकि ये गड़बड़ी उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर भारी असर डालती है।

एक अन्य अध्ययनकर्ता डॉ ब्रूनो हलिओआ ने स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से त्वचा संबंधी रोगों वाले रोगियों की जांच में नींद की गड़बड़ी संबंधी पूछताछ को शामिल करने का सुझाव दिया।

ऑल प्रोजेक्ट ने हिड्राडेनाइटिस सुप्युराटाईवा के साथ जीने वाले लोगों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों का भी अध्ययन किया। हिड्राडेनाइटिस सुप्युराटाईवा एक दर्दनाक, लंबे समय तक चलने वाली त्वचा की समस्या है जिसके कारण शरीर में फोड़े और घाव हो जाते हैं।

इस तरह की परिस्थिति लगभग 100 लोगों में से एक को प्रभावित करती है और इसे प्रबंधित करना अक्सर मुश्किल होता है। अध्ययन में पाया गया कि हिड्राडेनाइटिस सुप्युराटाईवा के 77 फीसदी रोगियों ने अपनी स्थिति के कारण बहुत बुरा महसूस करने की जानकारी दी।

इसके अतिरिक्त, 58 प्रतिशत ने दूसरों से बहिष्कार या अस्वीकृति का अनुभव किया, आधे से अधिक रोगियों ने शारीरिक संपर्क (57 प्रतिशत) और सामाजिक संपर्क (54 प्रतिशत) से बचने की जानकारी दी।

इन अनुभवों का रोगियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे उनके आत्मसम्मान, रिश्ते और रोजमर्रा के जीवन पर असर पड़ता है। जिन मरीजों ने बुरी भावनाओं की जानकारी दी थी, उनमें सेल्फी लेने से बचने की अधिक आसार थे, जो 52 प्रतिशत थे और वे अक्सर (72 प्रतिशत) के पास से गुजरते समय अपनी उपस्थिति पर नजर रखते थे।

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