टीबी रोगियों को ज्यादा है कोरोना से खतरा, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा सभी मरीजों की होने चाहिए जांच

जनवरी से जून 2020 के बीच टीबी के 26 फीसदी कम मामले सामने आए हैं, जिसके लिए कोविड-19 महामारी को जिम्मेवार माना है

By Lalit Maurya

On: Thursday 27 August 2020
 

बुधवार 26 अगस्त को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तपेदिक  (टीबी) पर जारी एक गाइडलाइन्स में सभी टीबी मरीजों के लिए कोरोनावायरस की जांच को महत्वपूर्ण बताया है। मंत्रालय के अनुसार जिन लोगों को कोरोना काल में टीबी हुआ है या फिर जो अभी भी टीबी के मरीज हैं उनमें इस वायरस की चपेट में आने की ज्यादा सम्भावना है।

गाइडलाइन्स के अनुसार टीबी रोगियों में कोरोना होने का खतरा अन्य लोगों से दोगुना अधिक होता है। जबकि इसके विपरीत कोरोना से ग्रस्त मरीजों में भी टीबी होने की सम्भावना अधिक होती है। मंत्रालय के अनुसार विभिन्न शोधों से पता चला है कि कोरोना से ग्रस्त 0.37 से 4.47 फीसदी मरीजों में टीबी के लक्षण पाए गए हैं।

कोरोना की तुलना में बहुत धीरे सामने आते हैं टीबी के लक्षण

टीबी और कोविड-19 दोनों ही संक्रामक रोग हैं, जो मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करते हैं। इन दोनों में ही खांसी, बुखार और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण सामने आते हैं। हालांकि टीबी का इन्क्यूबेशन अवधि ज्यादा होती है जिससे इस बीमारी के लक्षण बहुत धीरे-धीरे सामने आते हैं। जबकि इसके विपरीत कोरोनावायरस के लक्षण 2 से 14 दिनों में सामने आ जाते हैं।

टीबी से ग्रस्त जिन मरीजों का खान-पान सही नहीं है और जिन्हे सही से पोषण नहीं मिल रहा है। साथ में जो मरीज धूम्रपान भी करते हैं उनमें कोरोना का खतरा कहीं अधिक होता है। शोध से पता चला है कि इसके न केवल कोरोना के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है साथ ही इस बीमारी के लक्षण भी तेजी से दिखने लगते हैं। साथ ही टीबी रोगियों में अन्य बीमारियों जैसे कुपोषण, मधुमेह और एचआईवी की बीमारियां भी होती हैं। जिसकी वजह से उनमें मृत्यु का खतरा और बढ़ जाता है।

जनवरी से जून के बीच 26 फीसदी कम सामने आए हैं टीबी के मामले

गाइडलाइन्स से पता चला है जनवरी से जून 2020 के बीच टीबी के 26 फीसदी कम मामले सामने आए हैं। जिसके लिए कोविड-19 महामारी को वजह माना गया है। ऐसे में मंत्रालय ने सभी कोविड-19 मरीजों की टीबी जांच की सिफारिश की है साथ ही जिन लोगों में कोविड-19 नेगेटिव आया है उनमें भी टीबी जांच के लिए कहा है। इसके साथ ही गाइडलाइन्स में इन्फ्लुएंजा (आईएलआई) और सांस सम्बन्धी गंभीर बीमारियों (एसएआरआई) के लक्षण हैं उनके लिए भी कोविड-19 की जांच के लिए कहा है।  

जबकि यदि कोरोनावायरस को देखें तो देश में अब तक इसके 33 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं इस संक्रमण से अब तक 60,472 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। पिछले 24 घंटों में 75,760 नए मामले सामने आये हैं और 1,023 लोगों की मौत हुई है। जबकि देश भर में 25,23,770 मरीज इस महामारी से ठीक हो चुके हैं। वहीं वर्ल्डोमीटर.इन्फो द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में अब तक 38,576,510 नमूनों की जांच की जा चुकी है।

गाइडलाइन में साफ कर दिया है कि जिन टीबी रोगियों में कोविड-19 के लक्षण पाए गए हैं उनमें दोनों बीमारियों का उपचार किया जाएगा। इसी तरह कोविड-19 के मरीजों में टीबी के लक्षण मिले तो उनमें भी टीबी और कोरोना दोनों का इलाज साथ-साथ किया जाएगा। इसके साथ ही मंत्रालय ने दोनों ही संक्रमण से ग्रस्त मरीजों के बेहतर इलाज के लिए टीबी और कोविड-19 दोनों की सुविधाओं को जोड़ने के लिए कहा है। 

Subscribe to our daily hindi newsletter