अफ्रीका का तीसरा मलेरिया मुक्त देश बना केप वर्डे

1973 में अफ्रीकी देश मॉरीशस और 2019 में अल्जीरिया को मलेरिया मुक्त देश का दर्जा मिल चुका है

By Lalit Maurya

On: Monday 15 January 2024
 
फोटो: आईस्टॉक

मलेरिया को जड़ से मिटाने की राह में दुनिया ने एक और कदम आगे बढ़ाया है। गत शुक्रवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अफ्रीकी देश केप वर्डे को मलेरिया मुक्त घोषित कर दिया है। इस तरह केप वर्डे मलेरिया से मुक्त होने वाला वाला अफ्रीका का तीसरा और दुनिया का 43वां देश बन गया है, जो मलेरिया उन्मूलन की दिशा में एक बड़ी सफलता है।

इससे पहले 1973 में अफ्रीकी देश मॉरीशस को और 2019 में अल्जीरिया को मलेरिया मुक्त देश होने का दर्जा दिया जा चुका है। गौरतलब है कि अफ्रीकी महाद्वीप के लिए मलेरिया कहीं ज्यादा घातक सिद्ध हो रहा है। यदि 2021 से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उस वर्ष में मलेरिया के सामने आए 95 फीसदी मामले केवल अफ्रीकी देशों में दर्ज किए गए। वहीं मलेरिया से होने वाली 96 फीसदी मौतें भी अफ्रीका में रिकॉर्ड की गई थीं। स्वास्थ्य संगठन ने इसे बीमारी के खिलाफ चल रही वैश्विक जंग में बड़ी सफलता बताया है।

बता दें कि केप वर्डे, मध्य अटलांटिक महासागर में 10 द्वीपों का एक समूह है, जो कभी मलेरिया से बुरी तरह प्रभावित था। 1950 के दशक से पहले, मलेरिया ने इसके सभी द्वीपों को प्रभावित किया था। कीटनाशक छिड़काव जैसे लक्षित हस्तक्षेपों ने इस देश से मलेरिया को दो बार सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया था।

लेकिन 1967 और फिर 1983 में मलेरिया मुक्त होने के बावजूद, दुर्भाग्य से वेक्टर नियंत्रण में चूक के चलते यह बीमारी दोबारा से फैल गई। वहीं 80 के दशक के उत्तरार्द्ध  में मलेरिया के मामलों के चरम पर होने के बाद से यह बीमारी दो द्वीपों सैंटियागो और बोआ विस्टा तक ही सीमित रह गई।

हालांकि 2017 से इन दोनों द्वीपों में मलेरिया का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। इसके बाद केप वर्डे को मलेरिया मुक्त घोषित कर दिया गया है। इससे पहले मार्च 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अजरबैजान और तजाकिस्तान को मलेरिया मुक्त घोषित किया था। इससे पहले 2021 में चीन और अल सल्वाडोर को मलेरिया मुक्त प्रमाणित किया गया था।

केप वर्डे, अन्य देशों के लिए बन सकता है प्रेरणा स्रोत

केप वर्डे के लिए मलेरिया मुक्त देश बनने का सफर आसान नहीं रहा। लेकिन यह सफलता उन देशों के लिए प्रेरणा स्रोत है, जो अभी भी इस बीमारी से जूझ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मलेरिया उन्मूलन का यह प्रमाणन काबो वर्डे के लिए कई मोर्चों पर सकारात्मक विकास को बढ़ावा देगा।

मलेरिया उन्मूलन के लिए स्थापित प्रणालियों और संरचनाओं ने देश में न केवल स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत किया है, बल्कि साथ ही डेंगू बुखार जैसी मच्छरों से फैलने वाली अन्य बीमारियों से निपटने में भी इनका उपयोग किया जाएगा। डब्ल्यूएचओ ने मलेरिया के खिलाफ केप वर्डे के प्रयासों को भी मान्यता दी है, जिसमें नीतिगत पहल, निदान और उपचार में प्रगति के साथ रिपोर्टिंग को बढ़ावा देना शामिल है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार अब संक्रमण की चिंता किए बिना लोग केप वर्डे की यात्रा कर सकते हैं। अधिक संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने से देश में सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पर्यटन देश के जीडीपी में करीब 25 फीसदी का योगदान देता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस का कहना है कि, "मैं मलेरिया मुक्त होने की यात्रा में उनकी अटूट प्रतिबद्धता और मुसीबतों के बावजूद इस बीमारी से निपटने के प्रयासों के लिए केप वर्डे की सरकार और लोगों का अभिनंदन करता हूं।" उनका आगे कहना है कि यह उपलब्धि हमें आशा देती है कि मौजूदा उपकरणों के साथ-साथ टीकों और नए उपकरणों के साथ, हम मलेरिया मुक्त दुनिया का सपना देखने का साहस कर सकते हैं।

अफ्रीका में डब्ल्यूएचओ की निदेशक डॉक्टर मात्शिदिसो मोएती का कहना है, “यह सफलता अन्य देशों के लिए एक उदाहरण है।“ उनके मुताबिक यह उपलब्धि ने केवल अफ्रीका बल्कि अन्य के लिए भी आशा का स्रोत है। यह दर्शाता है कि दृढ़ राजनीतिक प्रतिबद्धता, प्रभावी नीतियों, सामुदायिक भागीदारी और विभिन्न क्षेत्रों के बीच आपसी सहयोग की मदद से मलेरिया को खत्म किया जा सकता है।

जलवायु में आते बदलावों से बढ़ रहा है मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2022 के दौरान दुनिया के 85 देशों में मलेरिया के करीब 24.9 करोड़ मामले सामने आए थे। इतना ही नहीं इस दौरान  608,000 लोगों की जिंदगियां इस बीमारी ने लील ली थी। “वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट 2022” के मुताबिक, 2021 में मलेरिया के जितने मामले आए थे उनमें से 95 फीसदी यानी करीब 23.4 करोड़ मामले अकेले अफ्रीका में दर्ज किए गए थे। इसी तरह मलेरिया से हुई करीब 96 फीसदी मौतें भी अफ्रीका में ही दर्ज की गई थी। 

वैज्ञानिकों के मुताबिक, वैश्विक तापमान में होती वृद्धि और जलवायु में आता बदलाव मच्छरों से होने वाली बीमारियों के खतरे को और बढ़ा रहा है। अनुमान है कि सदी के अंत तक करीब 840 करोड़ लोगों पर डेंगू और मलेरिया का खतरा मंडराने लगेगा।

द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक आज जिस तरह से जलवायु में बदलाव आ रहे हैं, उसकी वजह से यह मच्छर उन स्थानों पर भी पनपने लगे हैं, जहां पहले नहीं पाए जाते थे।

वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट 2022 के अनुसार, यह वैश्विक प्रयासों का ही नतीजा है कि दुनिया भर में 2000 से 2021 के बीच मलेरिया के संभावित 200 करोड़ मामलों और 1.2 करोड़ मौतों को टाला जा सका है। केप वर्डे, अजरबैजान और ताजिकिस्तान ने जिस तरह से मलेरिया उन्मूलन के प्रयास किए हैं वो दुनिया के अन्य देशों के लिए मिसाल बन सकता है।

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