चिंताजनक: पृथ्वी के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में भी पनप रहे हैं दवा-प्रतिरोधी कवक

हर साल 30 से 40 लाख लोग कवक ए. फ्यूमिगेटस के कारण होने वाले रोग से पीड़ित होते हैं, इससे फेफड़े खराब हो सकते हैं यहां तक की मृत्यु भी हो सकती है

By Dayanidhi

On: Friday 23 June 2023
 
फोटो: आईस्टॉक

कनाडा स्थित मैकमास्टर यूनिवर्सिटी ने अपने शोध के द्वारा बीमारी फैलाने वाले एक कवक या फंगल के बारे में पता लगाया है। कवक को दुनिया के सबसे दूरदराज के क्षेत्रों से एकत्र किया गया है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि, संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक आम एंटीफंगल दवा का इस पर असर नहीं होता है।

शोध से पता चला है कि चीन के युन्नान में थ्री पैरेलल रिवर क्षेत्र से एकत्र किए गए एस्परगिलस फ्यूमिगेटस नमूनों में से सात प्रतिशत दवा प्रतिरोधी थे।

समुद्र तल से 6,000 मीटर ऊपर और पूर्वी हिमालय की चौंका देने वाली हिमाच्छादित चोटियों द्वारा संरक्षित, यह क्षेत्र बहुत कम आबादी वाला और अविकसित है, जहां ए. फ्यूमिगेटस के रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी वेरिएंट पाया गया।

मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में जीव विज्ञान के प्रोफेसर तथा संक्रामक रोग अनुसंधान के माइकल जी. डीग्रोट संस्थान के जू बताते हैं कि, सात प्रतिशत केवल एक छोटी संख्या प्रतीत हो सकती है, लेकिन ये दवा प्रतिरोधी वेरिएंट बहुत तेजी से फैलने और इस प्रजाति की स्थानीय और क्षेत्रीय आबादी पर कब्जा करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के वातावरण में दवा प्रतिरोध की निगरानी को बढ़ाने की जरूरत है।

यह तीसरा अध्ययन है जो जू और उनके सहकर्मियों द्वारा किया गया है। पहले अध्ययन में पाया गया कि युन्नान ग्रीनहाउस से लगभग 80 प्रतिशत ए. फ्यूमिगेटस नमूने आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली एंटीफंगल दवाओं के प्रति प्रतिरोधी थे, जबकि दूसरे अध्ययन ने पता लगाया कि युन्नान कृषि वाले इलाकों में, झील के तलछट और जंगलों से लगभग 15 प्रतिशत नमूने इसी तरह के दवा प्रतिरोधी थे।

जू का कहना है कि पर्यावरण में प्रतिरोध के प्राकृतिक तरीके से बढ़ने के सबूत बढ़ रहे हैं, ग्रीनहाउस से प्रतिरोध के बाहरी क्रम से पता चलता है कि ये ए. फ्यूमिगेटस के प्रतिरोधी हिमालयी वेरिएंट हैं। हो सकता है ये अन्य कवकों के बीजाणुओं से पैदा हुए थे जो अन्य परिस्थितियों में कृषि कवकों के नष्ट करने वालों  के ज्यादा संपर्क में थे।

जू के मुताबिक,ये दवा-प्रतिरोधी बीजाणु संभावित रूप से ऐसे दूरदराज के इलाकों में फैल सकते हैं, जो दुनिया भर के लिए चिंताजनक है।

उन्होंने बताया कि, यह कवक हर जगह हो सकते हैं, यह हर समय हमारे आसपास रहते हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि हम सभी प्रतिदिन इस प्रजाति के सैकड़ों बीजाणुओं को ग्रहण करते हैं। हालांकि यह हमेशा ध्यान देने योग्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण नहीं बनता है।

हर साल 30 से 40 लाख लोग ए. फ्यूमिगेटस के कारण होने वाले रोग से पीड़ित होते हैं। यह बहुत खतरनाक हो सकता है, इससे फेफड़े खराब हो सकते हैं यहां तक की मृत्यु भी हो सकती है। चिंता का सबब यह है कि, अब इनमें से कई संक्रमणों पर दवा का असर नहीं हो रहा है।

पहले से ही, अन्य शोध में, जू ने उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों और भारत में  लगभग 10,000 किलोमीटर दूर पाए जाने वाले कवक के वेरिएंटों में दवा प्रतिरोध की जांच की है।

जू बताते हैं, कोविड-19 जैसे वायरस के विपरीत, कवक को फैलने के लिए किसी अन्य जीव की आवश्यकता नहीं होती है। वे इंसानों पर, व्यापार के जरिए और यहां तक कि तेज हवाओं से भी फैल सकते हैं।

जू ने बताया कि वे जल्द ही हवा से कवक के बीजाणुओं के नमूने लेने के लिए चीन के पहाड़ी क्षेत्रों में वापस जाएंगे, जिससे उन्हें उम्मीद है कि यह स्पष्ट हो जाएगा कि ये प्रतिरोधी वेरिएंट ऐसे दूरदराज के क्षेत्रों में कैसे पहुंच रहे हैं और बढ़ रहे हैं। यह शोध आज एम स्फीयर नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। 

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