भारत में बाढ़ और चक्रवाती तूफान अम्फान से हुआ 1.70 लाख करोड़ का नुकसान

भारत में आई बाढ़ और चक्रवाती तूफान अम्फान को 2020 में आई दुनिया की 10 सबसे महंगी आपदाओं की सूची में शामिल किया गया है

By Lalit Maurya

On: Monday 28 December 2020
 

भारत में आई बाढ़ और चक्रवाती तूफान अम्फान को 2020 में आई दुनिया की 10 सबसे महंगी आपदाओं की लिस्ट में शामिल किया गया है। इन दोनों से करीब 1,69,208 करोड़ रुपए (2,300 करोड़ डॉलर) का नुकसान हुआ था। यह जानकारी क्रिश्चियन एड नामक संस्था द्वारा जारी रिपोर्ट 'काउंटिंग द कॉस्ट 2020' में सामने आई है। इस रिपोर्ट में दुनिया के 10 सबसे महंगी आपदाओं के बारे में बताया गया है जिनका सम्बन्ध जलवायु परिवर्तन से भी है।

'अम्फान' बंगाल की खाड़ी में आए सबसे शक्तिशाली तूफानों में से एक था। साथ ही यह 2020 का सबसे महंगा चक्रवाती तूफान भी है। इस तूफान में करीब 95,640 करोड़ रुपए (1,300 करोड़ डॉलर) का नुकसान हुआ था। बंगाल की खाड़ी में आए इस तूफान से भारत, श्रीलंका, भूटान और बांग्लादेश पर असर पड़ा था। इसमें करीब 128 लोगों की जान गई थी। इसके चलते 49 लाख लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा था।

इसके साथ ही भारत में मानसून के दौरान आई बाढ़ और भूस्खलन से करीब 73,569 करोड़ रुपए (1,000 करोड़ डॉलर) का नुकसान हुआ था। वहीं इसके चलते 2,067 लोगों की मौत हुई थी। साथ ही इसके चलते करीब 40 लाख लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा था। केरल में आए भूस्खलन में 49 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि असम में मई से अक्टूबर के बीच आई बाढ़ में करीब 60,000 लोग प्रभावित हुए थे, वहीं 149 लोगों की मौत हो गई थी। इसी तरह हैदराबाद में 24 घंटों के दौरान रिकॉर्ड 29.8 सेंटीमीटर बारिश दर्ज दी गई थी, जोकि पिछले रिकॉर्ड से 6 सेंटीमीटर ज्यादा है। जिससे आई बाढ़ में करीब 50 लोगों की जान गई थी।

यह लगातार दूसरा वर्ष है जब मानसून के दौरान सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। वहीं पिछले 65 वर्षों में अत्यधिक बारिश की इन घटनाओं में करीब तीन गुना वृद्धि दर्ज की गई है। जोकि स्पष्ट तौर पर जलवायु में आ रहे बदलावों का ही नतीजा है। इसके साथ ही बाढ़ की घटनाओं में भी दोगुनी वृद्धि होने का अनुमान है।

यदि समुद्री जलस्तर के बढ़ने की बात करें तो बढ़ते उत्सर्जन के चलते उसका स्तर 23 सेंटीमीटर से ज्यादा बढ़ चुका है। इसका असर तूफानों पर भी पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन के मामले में बंगाल की खाड़ी दुनिया के सबसे ज्यादा संवेदनशील क्षेत्रों में आती है। जिसके चलते वहां बाढ़, तूफान का खतरा बढ़ता जा रहा है। 

जलवायु परिवर्तन के चलते विकराल रूप लेती जा रही हैं आपदाएं

इन 10 आपदाओं में  कुल मिलकर 10,36,587 करोड़ रुपए (14,090 करोड़ डॉलर) का नुकसान हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक इनमें सबसे ज्यादा नुकसान ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग से हुआ था। इसमें करीब 500 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ था। इसके बाद पूर्वी अफ्रीका में आए टिड्डियों के हमले को रखा गया है जिसमें करीब 850 करोड़ डॉलर, यूरोप में आए तूफान सियारा और एलेक्स में 590 करोड़ डॉलर, एशिया में आए चक्रवात अम्फान में 1,300 करोड़ डॉलर, अमेरिका और मध्य अमेरिका में आए अटलांटिक तूफान जिसमें 4,000 करोड़ डॉलर, चीन में आई बाढ़ में 3,200 करोड़ डॉलर, भारत में आई बाढ़ में 1,000 करोड़ डॉलर, जापान की क्यूशू बाढ़ में 500 करोड़ डॉलर, पाकिस्तान में आई बाढ़ में 150 करोड़ डॉलर और अमेरिका के पश्चिमी तट पर लगी आग में 2,000 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ था।

इनसे होने वाले नुकसान का यह जो अनुमान है वो सिर्फ उस नुकसान को दिखाता है जिसका बीमा है। हालांकि इन आपदाओं से होने वाली त्रासदी इससे कहीं ज्यादा थी। इन आपदाओं में 3,500 से ज्यादा लोगों की जान गई थी, जबकि इनके चलते 1.35 करोड़ लोगों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा था। 

क्या आने वाले वक्त में आम हो जाएगा इन आपदाओं का आना          

इन आपदाओं से एक बार फिर यह साबित हो गया है कि दुनिया पर मंडराता जलवायु  परिवर्तन का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। जैसे-जैसे तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। यह आपदाएं और विकराल रूप लेती जा रही हैं। साथ ही इनके आने की सम्भावना भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में यदि हमने आज कुछ नहीं किया तो आने वाला कल इससे भी बदतर हो सकता है।

यूएन द्वारा प्रकाशित "एमिशन गैप रिपोर्ट 2020" से पता चला है कि यदि तापमान में हो रही वृद्धि इसी तरह जारी रहती है, तो सदी के अंत तक यह वृद्धि 3.2 डिग्री सेल्सियस के पार चली जाएगी। जिसके विनाशकारी परिणाम झेलने होंगे। तापमान में आ रही इस वृद्धि का सीधा असर आम लोगों के जनजीवन पर भी पड़ेगा। बाढ़, सूखा, तूफान जैसी आपदाओं का आना आम बात हो जाएगा। इनके चलते बड़े पैमाने पर विनाश होगा, साथ ही दुनिया के कई क्षेत्र रहने लायक नहीं रहेंगे। अनुमान है कि जिस तरह से समुद्र का जल स्तर में वृद्धि हो रही है उसके चलते आने वाले वक्त में 27.5 करोड़ लोगों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगेगा।  जिसका सबसे ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ेगा। जहां एक तरफ यह आपदाएं उनके जीवन पर असर डालेंगी वहीं दूसरी तरफ यह कृषि पर भी असर करेंगी जिसका सीधा असर आर्थिक क्षेत्र पर भी पड़ेगा। 

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