ग्राउंड रिपोर्ट: बिपरजॉय का सामना करने की तैयारी कर रहे हैं गुजरात के कच्छ से भावनगर के लोग

बिपरजॉय की वजह से समुद्र तट पर बसे सरकारी व निजी बंदरगाहों, रिफाइनरी व मंदिरों को कम से कम नुकसान हो, इसकी तैयारी की जा रही है

By Himanshu Bhayani

On: Tuesday 13 June 2023
 
द्वारका के रूपेन बंदरगाह में मछली पकड़ने वाली कॉलोनी से लोगों को निकाला जा रहा है। फोटो: हिमांशु भयानी

गुजरात के कच्छ और सौराष्ट्र क्षेत्र में 15 जून, 2023 के लिए तैयारी चल रही हैं। इस दिन शक्तिशाली चक्रवात बिपरजॉय के पाकिस्तान में कराची और कच्छ में जखाऊ के बीच लैंडफॉल की उम्मीद है।

कच्छ, अमरेली, गिर-सोमनाथ, जूनागढ़, पोरबंदर, देवभूमि द्वारका और भावनगर जिले 15 जून को दोपहर में बिपरजॉय के टकराने की वजह से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं।

कई मौसम निगरानी एजेंसियों ने 12 मई, 2023 को सौराष्ट्र और कच्छ के समुद्र तट पर उच्च ज्वार की वजह से तेज लहरों की वजह बिपरजॉय को बताया था।

गुजरात के कच्छ, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, जामनगर, जूनागढ़, अमरेली और भावनगर जिलों में तेज हवाएं और हल्की से मध्यम बारिश हुई।

इस रिपोर्टर ने भावनगर से लेकर कच्छ तक पूरे तट पर लोगों से बात की और तैयारियों का जायजा लिया।

भावनगर जिले के अलंग शिपयार्ड में शिपिंग क्षेत्र की गतिविधियों पर नजर रखने वाले महबूब कुरैशी ने कहा कि अभी तक कोई बारिश नहीं हुई है, कोई हताहत नहीं हुआ है। तेज हवाओं को छोड़कर, भावनगर ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ।

जहाज तोड़ने के लिए मशहूर अलंग-सोसिया शिपयार्ड को लगभग खाली करा लिया गया है। शिपयार्ड में समुद्री संकेत एलसी3 तक बढ़ गया है, जो बताता है कि बंदरगाह को स्थानीय खराब मौसम जैसे तेज हवाओं, साथ ही समुद्र में चक्रवात से खतरा है, बाद में बंदरगाह को प्रभावित करने की आशंका है।

जिला प्रशासन अलर्ट पर है और शिपयार्ड के आसपास के निचले इलाकों, खासकर श्रमिक प्रतिष्ठानों को खाली कराने के लिए सभी आवश्यक सावधानी बरती गई है।

अमरेली जिले के निवासी अभी तक मई 2019 के चक्रवात तौकते की भयावह यादों को दूर नहीं कर पाए हैं। तौकते ने जिले में भारी तबाही मचाई थी।
जिले के सावरकुंडला शहर के निवासी महेंद्र बागड़ा ने कहा, " तौकते ने जब लैंडफॉल किया था, तब सौराष्ट्र में 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली थी। इससे सैकड़ों पेड़ उखड़ गए थे। अमरेली निवासी अभी तक उस बुरे सपने को भूल नहीं पाए हैं। ”

अधिकांश अमरेली निवासियों ने छत पर सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए राज्य सरकार की एक प्रोत्साहन योजना के तहत स्थापित सौर पैनलों को हटा दिया है।

अमरेली की एक शिक्षिका भावना मेहता कहती हैं कि हमें तौकते के दौरान भारी नुकसान उठाना पड़ाख् क्योंकि सौर पैनल उखड़ गए थे। इस बार, हमने सावधानी बरती है। ”

अमरेली में पिपावाव में एक प्रमुख निजी क्षेत्र का बंदरगाह है। इसे चलाने वाली कंपनी, गुजरात पिपावाव पोर्ट लिमिटेड ने 29 मई को सौराष्ट्र के दक्षिणी तट पर तूफान के कारण बिजली आपूर्ति में व्यवधान की सूचना दी थी, जिस वजह से बंदरगाह का संचालन भी बाधित हुआ था।

बंदरगाह के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'बिपरजॉय के कारण बंदरगाह गतिविधियां लगभग ठप हो गई हैं।'

गुजरात के गिर-सोमनाथ जिले को सोमनाथ मंदिर और सासन गिर वन्यजीव अभयारण्य के लिए जाना जाता है। जिला प्रशासन ने पर्यटकों से 15 जून तक क्षेत्र में जाने से बचने का अनुरोध किया है।

जूनागढ़ निवासी भार्गवी जोशी ने इस रिपोर्टर को बताया कि पुलिस समुद्र के किनारे चौबीसों घंटे निगरानी रख रही है। निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को आश्रय घरों में ले जाया गया है। चोरवाड़, मांगरोल और मधुपुर घेड में भारी लहरें रिकॉर्ड की गई हैं और रिपोर्ट की गई हैं। निवासियों को भी कुछ दिनों के लिए समुद्र के किनारे से दूर रहने के लिए कहा गया है।

जिले के वेरावल बंदरगाह के मछुआरों को अगले निर्देश तक समुद्र में नहीं जाने को कहा गया है। मांगरोल के नाविकों ने भी अपनी नावों को खड़ा कर लिया है और वे बाहर नहीं निकलने के लिए तैयार हो गए हैं।

पोरबंदर जिला समुद्री गतिविधियों का केंद्र है। यह राज्य सरकार के स्वामित्व वाले बंदरगाह है, जहां भारतीय नौसेना सहित रक्षा प्रतिष्ठानों और भारतीय तट रक्षक के जिला मुख्यालय हैं।

बिपरजॉय के सौराष्ट्र-कच्छ तट रेखा के आगे बढ़ने से इलाके में हलचल मची हुई है।

पोरबंदर के स्थानीय निवासी जितेश चौहान ने कहा, "जिला प्रशासन, भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के बीच हाल ही में हुई एक समन्वय समिति की बैठक में, यह स्पष्ट रूप से अनिवार्य किया गया था कि जरूरत पड़ने पर जामनगर से भी सेना को जुटाया जाएगा।"

पोरबंदर के निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित निकाल कर शेल्टर होम में भेज दिया गया है।

पोरबंदर बंदरगाह पर सिग्नल नंबर जीडी10 प्रदर्शित किया गया है जिसका अर्थ है 'बंदरगाह के पास से शक्तिशाली चक्रवात गुजरने वाला है'।

चौहान ने कहा कि पोरबंदर चौपाटी (समुद्र तट) को आगंतुकों के लिए बंद कर दिया गया है। चौपाटी रोड पर भारी लहरें उठ रही हैं, जिसकी वजह से जल-जमाव हो सकता है।

देवभूमि द्वारका जिला, एक धार्मिक पर्यटन स्थल, द्वारकाधीश मंदिर, शिवराजपुर बीच, नागेश्वर, गोपी तालाब और बेट द्वारका का घर है। इन्हें भी पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है।

एक स्थानीय निवासी बुधभा भाटी ने इस रिपोर्टर को बताया कि ओखा और बेट द्वारका को जोड़ने वाली फेरी सेवाओं को रोक दिया गया है। अधिकारियों द्वारा पर्यटकों और आगंतुकों से अनुरोध किया गया है कि वे समुद्री मार्ग से यात्रा न करें।

द्वारका में शिवराजपुर समुद्र तट, ओखा समुद्र तट, सनसेट प्वाइंट और भड़केश्वर मंदिर को बंद कर दिया गया है। द्वारका निवासी दीपेश समानी ने कहा कि द्वारकाधीश मंदिर पर्यटकों के लिए खुला रहता है, लेकिन अन्य स्थानों को पर्यटकों और आगंतुकों के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।

द्वारका में निचले इलाकों में रहने वालों को पास के सरकारी स्कूल भवनों में अस्थायी आश्रय गृहों में स्थानांतरित कर दिया गया है।

सभी दिशाओं से समुद्र से घिरा हुए भड़केश्वर मंदिर के चारों ओर समुद्री लहरों के कारण पास की एक दीवार क्षतिग्रस्त हो गई।

द्वारका नगर निकाय के सदस्य परेश झाखरिया ने कहा, "यह शायद पहली बार है कि समुद्री लहरों ने भड़केश्वर मंदिर के पास निर्मित ढांचे को नुकसान पहुंचाया है।"

कच्छ की खाड़ी के साथ-साथ, जामनगर जिला, जिसमें दो प्रमुख तेल रिफाइनरियां हैं - नायरा एनर्जी और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड - भी चक्रवात से पहले की तैयारियां कर रही हैं।

नायरा एनर्जी एक इंडो-रूस ऑयल रिफाइनिंग और मार्केटिंग वेंचर है, जो भारत में दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी वडीनार में स्थित रिफाइनरी का मालिक है और इसका संचालन करता है।

जामनगर रिफाइनरी में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड समूह के स्वामित्व वाली एक कच्चे तेल की रिफाइनरी है, जो 1.24 मिलियन बैरल की वर्तमान स्थापित क्षमता के साथ दुनिया में सबसे बड़ी है।

दोनों रिफाइनिंग इकाइयों में पहले से ही आवश्यक एहतियाती उपाय किए गए हैं। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बंदरगाह के साथ-साथ कच्चे तेल की निकासी और प्रसंस्करण का शोधन कार्य जारी है। रिफाइनरी पूरी तरह से बंद नहीं हुई है।

तेज हवाओं के कारण जामनगर के बेदी बंदरगाह पर बंदरगाह संचालन पूरी तरह से निलंबित कर दिया गया है।

12 जून की सुबह बेदी पोर्ट पर सिग्नल नंबर जीडी10 प्रदर्शित किया गया था, जिसका अर्थ है बंदरगाह के ऊपर या उसके पास से शक्तिशाली चक्रवात गुजरने वाला है। इसे दोपहर में सिग्नल संख्या जीओ9 तक घटाया गया था।

कच्छ जिले में, बिपरजॉय के मांडवी या जखाऊ के आसपास पहुंचने की उम्मीद के साथ तैयारी तेज गति से चल रही है।

मांडवी कच्छ जिले का एक पारंपरिक समुद्री केंद्र है और पारंपरिक अरब जहाजों के निर्माण का केंद्र भी है। जखाऊ घनी आबादी वाला बंदरगाह है, जहां मछली पकड़ने वाले रहते हैं। जिला प्रशासन इन दोनों स्थानों के निचले इलाकों में रहने वाले निवासियों की निकासी की निगरानी कर रहा है।

गांधीधाम-कांडला में रहने वालों के बीच 1998 के चक्रवात की यादें आज भी ताजा हैं। कांडला पोर्ट के अधिकारियों के आवासीय परिसर गोपालपुर में पंडित दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट (कांडला पोर्ट ट्रस्ट) के तत्वावधान में संचालित निचले इलाकों के निवासियों को सुरक्षित आश्रय गृह प्रतिष्ठानों में स्थानांतरित कर दिया गया है।

निजी स्वामित्व वाले मुंद्रा बंदरगाह और सरकार के स्वामित्व वाले कांडला बंदरगाह पर सिग्नल संख्या जी10 लगाया जा रहा है।

कच्छ के अधीक्षक करणराज वाघेला ने व्यक्तिगत रूप से अडानी समूह के स्वामित्व वाले मुंद्रा बंदरगाह का दौरा किया और जायजा लिया। पोर्ट गतिविधियों को पूरी तरह से निलंबित कर दिया गया है। मुंद्रा में पुराने मुंद्रा बंदरगाह और मछुआरों के इलाके को खाली करा लिया गया है।

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