मानवजनित गतिविधियां बाढ़ के मैदानों का विनाश कर, बाढ़ के खतरे बढ़ा रही हैं: अध्ययन

27 वर्षों में दुनिया भर में मानवीय गड़बड़ी के कारण 6,00,000 वर्ग किलोमीटर बाढ़ के मैदान गायब हो गए हैं, जिसमें बुनियादी ढांचे का विकास, उद्योग और व्यवसाय निर्माण तथा कृषि का विस्तार किया गया है।

By Dayanidhi

On: Tuesday 12 September 2023
 
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, रणजीथसीजी

एक नए अध्ययन में प्राकृतिक बाढ़ के मैदानों के मानवजनित विनाश का पहला वैश्विक अनुमान लगाया है। अध्ययन में कहा गया है कि, यह भविष्य के विकास को सही मार्गदर्शन करने में मदद कर सकता है। यह वन्यजीवों, पानी की गुणवत्ता और लोगों के लिए बाढ़ के खतरों को कम करने के लिए बाढ़ के मैदानी आवासों को बहाल और संरक्षित करने में मदद कर सकता है।  

यह अध्ययन, आर्लिंगटन विश्वविद्यालय के जल विज्ञानी, अदनान राजीव की अगुवाई में किया गया है तथा नेचर साइंटिफिक डेटा नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। 

अध्ययन के हवाले से राजीव ने कहा कि, लब्बोलुआब यह है कि हमने जितना सोचा था, दुनिया में उससे कहीं अधिक बाढ़ का खतरा है, खासकर यह देखते हुए कि बाढ़ के मैदानों पर मानव विकास का क्या प्रभाव पड़ा है।

27 वर्षों में, 1992 से 2019 के बीच, दुनिया भर में मानवीय गड़बड़ी के कारण 6,00,000 वर्ग किलोमीटर बाढ़ के मैदान गायब हो गए हैं, जिसमें बुनियादी ढांचे का विकास, उद्योग और व्यवसाय निर्माण और कृषि का विस्तार हो गया है।

टीम ने दुनिया के 520 प्रमुख नदी घाटियों का अध्ययन करने के लिए उपग्रह आधारित रिमोट सेंसिंग आंकड़ों और भू-स्थानिक विश्लेषण का उपयोग किया, जिससे पहले अज्ञात स्थानीय पैटर्न और बाढ़ के मैदान में मानवजनित बदलाव के रुझानों की खोज की गई।

अध्ययनकर्ता राजीव ने कहा कि,  दुनिया के बाढ़ के मैदानों का मानचित्रण अपेक्षाकृत नया है। जबकि बाढ़ के मैदानों का सटीक मानचित्रण करने और बाढ़ के खतरों को समझने के लिए जागरूकता बढ़ रही है। दुनिया भर में बाढ़ के उन मैदानों में मानवजनित गड़बड़ी का मानचित्रण करने का प्रयास कभी अस्तित्व में नहीं था। यह दुनिया भर के छोटे क्षेत्रों में और निश्चित रूप से अमेरिका और यूरोप में किया गया है, लेकिन दुनिया के गरीब क्षेत्रों में नहीं।

अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया है कि, आर्द्रभूमि वाले आवास खतरे में हैं और बाढ़ के मैदानी आर्द्रभूमि के कुल वैश्विक नुकसान का एक तिहाई उत्तरी अमेरिका में हुआ। राजीव ने कहा कि बाढ़ के मैदानों के लिए खतरे की भयावहता पहले समझी गई तुलना में कहीं अधिक बड़ी है। उन्होंने और टीम ने पिछले 27 वर्षों में ली गई उन बाढ़ क्षेत्रों की उपग्रह तस्वीरों की जांच पड़ताल की।

अध्ययनकर्ता ने कहा कि, हम पड़ोस के स्तर पर बाढ़ के मैदानों को देखना चाहते थे। हम किसी ऐसे व्यक्ति पर विकास के प्रभाव को देखना चाहते थे जो बाढ़ के मैदान के निकट या उसके निकट रहता है। इन तस्वीरों में कुछ बदलाव अच्छे हैं, जैसे जब पेड़ लगाए जाते हैं या पार्क बनाए जाते हैं। लेकिन कई तस्वीरें परेशान करने वाले भी होते हैं। उदाहरण के लिए, हमने पार्किंग स्थल के विकास या पर्याप्त तूफानी जल अपवाह के बिना भवनों के निर्माण में नाटकीय वृद्धि देखी है।

सह-अध्ययनकर्ता तथा द नेचर कंजरवेंसी के क्रिस जॉनसन ने कहा कि, दुनिया भर में, बाढ़ के मैदान जैव विविधता के हॉटस्पॉट हैं जो लोगों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला भी प्रदान करते हैं। हमें उम्मीद है कि यह अध्ययन इस महत्वपूर्ण आवास पर प्रकाश डालेगा जिसे हम खो रहे हैं। साथ ही उन तरीकों से भी जिनसे हम इस प्रवृत्ति पहले जैसा बना सकते हैं।

अध्ययनकर्ता ने कहा कि इस अध्ययन से योजनाकारों को लोगों के लिए बाढ़ के खतरों को कम करने तथा निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण मिलेगा।

अध्ययनकर्ता के मुताबिक, बदलती जलवायु में बाढ़ के खतरों को कम करने के लिए भविष्य के विकास को निर्देशित करने में यह अध्ययन महत्वपूर्ण हो सकता है। कुछ मामलों में, हमें उम्मीद है कि यह अध्ययन हमें पिछले विकास निर्णयों के दौरान की गई गलतियों को सुधारने में मदद कर सकता है।

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