घग्गर बेसिन में बाढ़ को गंभीरता से नहीं ले रहे हरियाणा, पंजाब: सुप्रीम कोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Friday 11 November 2022
 

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 9 नवंबर, 2022 को दिए आदेश में कहा है कि पंजाब और हरियाणा घग्गर बेसिन में बाढ़ की समस्या और उससे निपटने के मुद्दे पर गंभीर नहीं हैं। ऐसे में इन दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को 15 नवंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है।

साथ ही पंजाब और हरियाणा को भी शीर्ष अदालत द्वारा 8 अगस्त, 2022 को दिए आदेश को ध्यान में रखते हुए स्थिति पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी कोर्ट ने दिया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि इस मुद्दे से जुड़े राज्यों को घग्गर बेसिन बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए "गंभीर और ईमानदार" होने की जरूरत है। यह बाढ़ हर साल 25 से अधिक गांवों को प्रभावित करती है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त, 2022 को एक आदेश जारी किया था जिसमें पंजाब और हरियाणा राज्य सरकारों को केंद्रीय जल और बिजली अनुसंधान स्टेशन (सीडब्ल्यूपीआरएस), पुणे द्वारा जारी रिपोर्ट में दी गई सिफारिशों के अनुसार समयबद्ध तरीके से कदम उठाने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि इससे पिछले कई वर्षों से घग्गर में आने वाली बाढ़ से त्रस्त 25 गांवों की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी।

उदयपुर के बलीचा डंपिंग ग्राउंड में डंप किया जा रहा है बायोमेडिकल वेस्ट: संयुक्त समिति निरीक्षण रिपोर्ट

रवींद्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज और अधिकांश ऐसी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं (एचसीएफ) जिनमें बेड नहीं हैं उन्होंने अभी भी वेस्ट ट्रैकिंग के लिए बार कोड प्रणाली को नहीं अपनाया है। इस प्रकार की स्थिति में उदयपुर के बलीचा डंपिंग ग्राउंड में डंप किए जा रहे बायोमेडिकल कचरे के स्रोत का पता लगाना बहुत मुश्किल है।

इतना ही नहीं घरों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट भी बलीचा डंपिंग ग्राउंड में डंप किया जा रहा है। इसलिए अन्य गैर-सदस्य स्वास्थ्य सुविधाओं (एचसीएफ) द्वारा जैव चिकित्सा अपशिष्ट की डंपिंग से इंकार नहीं किया जा सकता है। यह जानकारी संयुक्त समिति द्वारा 10 नवंबर, 2022 को सबमिट अपनी निरीक्षण रिपोर्ट दी है।

साथ ही रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि उदयपुर के रवींद्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज में जैव चिकित्सा अपशिष्ट को उचित तरीके से अलग नहीं किया जा रहा है। रिपोर्ट में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सूचित किया है कि पृथक्करण की कमी के चलते अस्पताल के कचरे को सामान्य कचरे के साथ मिला दिया जाता है।

हालांकि अस्पताल ने एक पृथक केंद्रीकृत जैव चिकित्सा अपशिष्ट भंडारण सुविधा प्रदान की है। यह देखा गया कि यहां जैव चिकित्सा अपशिष्ट और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट को अलग-अलग संग्रहीत किया जा रहा है, लेकिन एक सामान्य स्थान पर ऐसा किए जाने के कारण अपशिष्ट बैगों के बदलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

कॉमन बायो-मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी (सीबीडब्ल्यूटीएफ) द्वारा जारी कचरा संग्रहण के आंकड़ों के अनुसार यह देखा गया है कि प्लास्टिक कचरे की बहुत कम मात्रा यहां ट्रीटमेंट के लिए पहुंचती है, इसलिए वार्डों से इसकी चोरी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

हनुमानगढ़ में मृत पशुओं के निपटान के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट

राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी को अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि हनुमानगढ़ नगर परिषद को मृत पशुओं के निपटान के लिए शव प्रसंस्करण और उपयोग संयंत्र की स्थापना और संचालन करना चाहिए। साथ ही इस संयंत्र की स्थापना और संचालन के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का भी पालन होना चाहिए।

साथ ही जब तक  शव प्रसंस्करण और उपयोग संयंत्र चालू नहीं होता तब तक मृत पशुओं के निपटान के लिए उन्हें गहराई में दफनाया जाना चाहिए, जिससे इससे निकलने वाली बदबू को फैलने से रोका जा सके। साथ ही हनुमानगढ़ नगर परिषद के आयुक्त ने भी मृत पशुओं के निपटान के बेहतर प्रबंधन के लिए एक हलफनामा कोर्ट में प्रस्तुत किया है।

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