दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण रोकने को बनी नई नीति, जानिए किन मुद्दों पर होगा फोकस

इस नीति में उद्योगों, वाहनों/परिवहन, सी एंड डी, सड़कों और खुले क्षेत्रों में पैदा हो रही धूल, ठोस कचरे एवं पराली जलाने आदि के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित और कम करने पर ध्यान दिया

By Lalit Maurya

On: Thursday 14 July 2022
 

दिल्ली-एनसीआर और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने बड़ा कदम उठाते हुए एक व्यापक नीति तैयार की है। इस नीति में उद्योगों, वाहनों/परिवहन, निर्माण और विध्वंस (सी एंड डी), सड़कों और खुले क्षेत्रों में पैदा हो रही धूल, ठोस कचरे एवं पराली जलाने आदि के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित और कम करने पर ध्यान दिया जाएगा। इस नीति में भौगोलिक सीमा के साथ-साथ समय सीमा में प्रदूषण को कम करने के लिए कदम उठाए जाएंगें।

इस नीति में सीएक्यूएम ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और एनसीआर के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के साथ-साथ केन्द्र सरकार, एनसीआर राज्य सरकारों और जीएनसीटीडी की एजेंसियों और विभागों के लिए क्षेत्रवार सिफारिशों को भी शामिल किया है।

इस नीति में थर्मल पावर प्लांट (टीपीपी), स्वच्छ ईंधन, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, सड़क यातायात प्रबंधन, डीजल जनरेटरों, पटाखों आदि को भी शामिल किया गया है। साथ ही इसमें हरियाली और वृक्षारोपण की मदद से भी प्रदूषण को कम करने के उपाय किए जाएंगें।

सीएक्यूएम द्वारा बनाई इस व्यापक योजना का दायरा मुख्य रूप से दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करना है। एनसीआर के उप-क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और प्रणालियों में कमी के कारण, आधारभूत कार्यों में व्यापक बदलाव और शहरीकरण के विभिन्न स्तरों के कारण, विभिन्न उप-क्षेत्रों के लिए एक अलग दृष्टिकोण और समय-सीमा का सुझाव दिया गया है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित क्षेत्रों को शामिल किया गया है:

  • दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) ।
  • दिल्ली के आसपास एनसीआर जिले - गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, झज्जर, रोहतक, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और बागपत।
  • अन्य एनसीआर जिले।
  • पंजाब और हरियाणा के गैर-एनसीआर जिलों में, मुख्य रूप से पराली जलाने की घटनाओं का समाधान करने पर ध्यान दिया जाएगा।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आदित्य दुबे (नाबालिग) बनाम एएनआर/यूओआई एवं अन्य के मामले में 16 दिसंबर 2021 को सीएक्यूएम को दिल्ली एनसीआर में हर साल होने वाले वायु प्रदूषण के खतरे का स्थायी समाधान खोजने निर्देश दिया था। इसके लिए आम जनता के साथ-साथ क्षेत्र विशेषज्ञों से भी सुझाव लेने की बात कोर्ट ने कही थी।

इस मामले में कोर्ट के आदेश पर आयोग ने 07 जनवरी 2022 को एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया था। इस समूह ने प्राप्त सुझावों पर विचार करने के साथ हस्तक्षेपकर्ताओं और विशेषज्ञों के साथ-साथ विभिन्न हितधारकों और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ भी बातचीत की थी। इसके आधार पर प्राप्त सुझाव को ध्यान में रखते हुए समूह ने विभिन्न क्षेत्रों में केंद्र और राज्य सरकारों के मौजूदा वैज्ञानिक साहित्य, प्रासंगिक नीतियों, विनियमों, कार्यक्रमों और वित्त पोषण रणनीतियों, कार्रवाई की वर्तमान स्थिति की समीक्षा और जांच की थी। यह सुझाव वायु गुणवत्ता प्रबंधन, निगरानी ढांचे और कार्यान्वयन के लिए संस्थागत सुदृढ़ीकरण के प्रमुख क्षेत्रों में शमन से संबंधित थे।

किन मुद्दों को किया गया है शामिल

इस बहु-क्षेत्रीय मूल्यांकन के दायरे में उद्योग, बिजली संयंत्र, वाहन और परिवहन, डीजल जनरेटर सेट, निर्माण एवं विध्वंस परियोजनाएं/सड़कें और खुले क्षेत्रों में पैदा होने वाली धूल, ठोस कचरे/ बायोमास/ पराली जलाना, पटाखे छोड़ना, और धूल के स्रोतों को शामिल किया था। 

हितधारकों से किए परामर्श और उनसे प्राप्त इनपुट और सुझावों को संबंधित वर्गों में उचित रूप से शामिल किया गया था। इस भागीदारी ने ही दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए एक व्यापक नीति की जरुरत पर बल दिया था। विशेषज्ञ समूह ने शामिल मुद्दों और जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए, अल्पकालिक (एक वर्ष), मध्यम अवधि (एक से तीन वर्ष), और दीर्घकालिक (तीन से पांच वर्ष) के लिए कार्यों का सुझाव दिया है।

इस समय-सीमा को विभिन्न उप-क्षेत्रों/क्षेत्रों/जिलों/शहरों के लिए अलग-अलग किया गया है ताकि सभी को वायु गुणवत्ता लक्ष्य को हासिल करने के लिए पर्याप्त समय दिया जा सके। देखा जाए तो राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को हासिल करने के लिए जिन क्षेत्रों पर काम करने की जरुरत हैं उनमें उद्योग, परिवहन, घरों में किफायती स्वच्छ ईंधन और प्रौद्योगिकी तक व्यापक पहुंच शामिल है। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर आवागमन, इलेक्ट्रिक वाहन, पैदल और साइकिल यात्रा के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण और व्यक्तिगत वाहनों के उपयोग को कम करना शामिल है।

वहीं कचरे की डंपिंग और जलाने से रोकने के लिए सर्कुलर इकोनॉमी पर बल दिया गया है। इसके साथ ही सी एंड डी कार्यों, सड़कों/मार्गों के अधिकार, उपयुक्त प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे, वृक्षारोपण के साथ खुले क्षेत्रों में धूल के प्रबंधन पर भी ध्यान देने की बात कही है। साथ ही आयोग ने इसके सख्त समयबद्ध कार्यान्वयन, बेहतर निगरानी और अनुपालन की बात कही है। 

इस नीति के विषय में ज्यादा जानकारी और दस्तावेज़ों को आयोग की वेबसाइट से प्राप्त किया जा सकता है। इसके साथ ही शहरों में वायु गुणवत्ता की ताजा स्थिति को जानने के लिए आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर पर जा सकते हैं।

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