दिल्ली विधानसभा चुनाव: साफ हवा पर हवा-हवाई वादे!

दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण है, लेकिन चुनाव लड़ रहे राजनीतिक दल इसकी कम हीे बात कर रहे हैं

By Raju Sajwan

On: Friday 07 February 2020
 
Photo: Vikas Chowdhary

आठ फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव है। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने जनता से बड़े-बड़े वादे किए हैं। लेकिन दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या को लेकर तीनों ही पार्टियों के वादे हवा-हवाई जैसे हैं। यह वादा है साफ हवा का। हालांकि किसी भी पार्टी ने इस समस्या को नजरअंदाज नहीं किया है, लेकिन इस समस्या से निजात दिलाने के लिए किसी भी पार्टी के ठोस योजना का अभाव दिख रहा है।

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भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए केंद्र के साथ मिलकर सभी प्रयासों को प्राथमिकता से लिया जाएगा। हवा को साफ करने के लिए वायु उपकरण लगाए जाएंगे और नीरी की मदद से एयर प्यूरीफायर लगाए जाएंगे। वहीं, आम आदमी पार्टी ने कहा है कि वायु प्रदूषण के स्तर को कम से कम तीन गुणा घटाया जाएगा। दो करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाकर दिल्ली को ग्रीन बनाया जाएगा।

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वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि हर साल दिल्ली के बजट का 25 फीसदी हिस्सा प्रदूषण को रोकने और ट्रांसपोर्ट को मजबूत करने पर खर्च किया जाएगा। कांग्रेस ने दावा किया है कि 1999 से 2013 के दौरान कांग्रेस ने दिल्ली का फोरेस्ट कवर 6 फीसदी से बढ़ा कर 20 फीसदी किया था। अब इसे बढ़ा कर 30 फीसदी किया जाएगा। कांग्रेस ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करने के लिए 15 हजार इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का भी वादा किया है। कांग्रेस ने पावर प्लांट में पराली का इस्तेमाल करने के लिए फंड बनाने की बात कही है और इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी भी बनाने का वादा किया है।

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घोषणा पत्र के हिसाब से देखा जाए तो कांग्रेस के वादे कुछ हद तक कारगर लगते हैं, लेकिन दिल्ली की सबसे बड़ी दिक्कत निजी वाहन हैं। दिल्ली में 80 फीसदी वायु प्रदूषण के लिए वाहन हैं। यही वजह है कि सु्प्रीम कोर्ट ने 2001 में दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन सेवा को मजबूत करने के लिए डीटीसी के बेड़े में 10 हजार बसों को शामिल करने का निर्देश दिया था। तब से लगातार तारीखें बढ़ रही हैं, लेकिन दिल्ली सरकार बार-बार वादा करने के बाद भी बसों की संख्या 10 हजार तक नहीं पहुंचा पाई है।

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अगस्त 2019 में दिल्ली सरकार ने दावा किया कि उसके प्रयासों से दिल्ली में वायु प्रदूषण में 25 फीसदी की कमी आई है, जबकि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने एक रिपोर्ट में कहा कि सीएसई ने प्रदूषण में इस कमी के दावे के बाद आगाह किया है कि दिल्ली को स्वच्छ हवा हासिल करने के लिए मौजूदा बेसलाइन से करीब 65 फीसदी प्रदूषण को कम करना होगा। इसके लिए पेटकोक और फर्नेस ऑयल जैसे प्रदूषणकारी ईंधन को चरणबद्ध हटाने का फैसला हो या फिर दिल्ली में कोयला आधारित प्लांट को बंद किया जाना साथ ही ईंट-भट्ठों की चमनियों को जिग-जैग बनाने व कचरे से जैसे कदमों ने भी प्रदूषण की स्थिति में सुधार होगा। सीएसई की कार्यकारी निदेशक (रिसर्च एंड एडवोकेसी) अनुमिता रॉय चौधरी  ने 25 फीसदी की कमी को लेकर कहा है कि प्रदूषण में यह रुकावट विभिन्न क्षेत्रों में हस्तक्षेप के बाद संभव हुआ है। मसलन वाहनों से लेकर औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण का यह परिणाम है।

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