पर्यावरण मंत्रालय दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने और कम करने के लिए उठा रहा है कदम: रिपोर्ट

ग्रेडेड रिस्‍पॉन्‍स एक्‍शन प्‍लान यानी ग्रैप, आपातकालीन उपायों का एक सेट है, जो दिल्ली-एनसीआर में तय सीमा पर पहुंचने के बाद वायु गुणवत्ता में गिरावट को रोकने के लिए लागू किया जाता ह

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Tuesday 02 January 2024
 

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा 2023 में दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) प्रोग्राम की समीक्षा की गई थी। इस बारे में छह अक्टूबर, 2023 को निर्देश संख्या 77 भी जारी की गई।

अपने इस निर्देश में आयोग ने कहा कि हवा को बेहतर बनाने के लिए तत्काल प्रभाव से दिल्ली-एनसीआर में जब भी जरूरी हो विभिन्न चरणों में इस योजना पर अमल करने की जरूरत है। यह जानकारी दो जनवरी, 2024 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) द्वारा सौंपी गई कार्रवाई रिपोर्ट में कही गई हैं। यह रिपोर्ट दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और कम करने के लिए उठाए कदमों के बारे में है।

बता दें कि ग्रेडेड रिस्‍पॉन्‍स एक्‍शन प्‍लान यानी ग्रैप, आपातकालीन उपायों का एक सेट है, जो दिल्ली-एनसीआर में तय सीमा पर पहुंचने के बाद वायु गुणवत्ता में गिरावट को रोकने के लिए लागू किए जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इसमें अक्टूबर 2023 में कुछ बदलाव किए गए थे।

इसके साथ ही दिल्ली एनसीआर सहित देशभर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं। इनमें से एक राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम नामक योजना है। साथ ही उद्योगों  और पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय करना, वाहनों से होते उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाना और कचरे का बेहतर प्रबंधन जैसे कार्य इसमें शामिल हैं।

यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा जारी निर्देशों के बाद सौंपी गई है, ताकि कोर्ट को यह बताया जा सके कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के दौरान ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) नामक एक विशेष योजना लागू की जाती है। यह योजना वायु गुणवत्ता की स्थिति कितनी खराब है, इसके आधार पर विशिष्ट कदम उठाने के बारे में बताती है।

वायु प्रदूषण को कम करने के इन उपायों को लागू करने के लिए विभिन्न एजेंसियां जिम्मेवार होती हैं। बता दें कि खासकर सबसे ठंडे महीनों के दौरान पूरे दिल्ली-एनसीआर में हवा आमतौर पर सबसे ज्यादा प्रदूषित रहती है।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए क्या कुछ उठाए जाएंगें कदम

यह तय करने के लिए कि नए वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (सीएएक्यूएमएस) कहां लगाए जाएं और उन्हें कहां स्थानांतरित किया जाए, इसके लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नोडल एजेंसियां होंगी।

बता दें कि 30 जून, 2024 तक कुछ स्टेशनों को स्थानांतरित करने 31 दिसंबर, 2024 तक योजनानुसार सभी नए स्टेशन स्थापित करने की योजना है। यह स्टेशन भूमि उपयोग, आबादी के घनत्व, शहरीकरण आदि कारकों को ध्यान में रखते हुए स्थापित किए जाएंगें।

यह जानकारी एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए बनाए आयोग ने अपनी एक जनवरी 2023 को जारी रिपोर्ट में दी है। रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), डीपीसीसी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) इस बारे में जानकारी अपडेट करेंगे कि प्रदूषण कहां से आता है और साथ ही वो पूरे एनसीआर क्षेत्र में इसके स्रोतों का पता लगाने के लिए अध्ययन करेंगे।

उनकी योजना दिल्ली और आसपास के जिलों जैसे गुरुग्राम, फरीदाबाद, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद के लिए 30 जून, 2024 तक और एनसीआर के अन्य जिलों के लिए 31 दिसंबर, 2024 तक यह काम पूरा करने की है।

वहीं उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए, कुछ अन्य उपाय किए जाएंगें, इनमें औद्योगिक क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले सामान्य बॉयलरों के लिए मानक और दिशानिर्देश बनाना, एनसीआर में गैस संबंधी बुनियादी ढांचे को तैयार करना और आपूर्ति शुरू करना शामिल है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना कि एनसीआर में हमेशा बिजली की आपूर्ति बनी रहे ताकि जनरेटर की जरूरत न पड़े।

एन्नोर क्रीक और बकिंघम नहर से हटाया गया है दूषित पानी और कीचड़: एसपीसीबी रिपोर्ट

हाल ही में मिचौंग चक्रवात के दौरान एन्नोर क्रीक और बकिंघम नहर में तेल का रिसाव हुआ था। इसके बाद वन विभाग के दल ने विशेष रूप से एन्नोर, अड्यार और कोसाथलाई क्षेत्रों में पक्षियों पर तेल रिसाव के प्रभावों की जांच की थी। इस बारे में तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि टीम द्वारा किए सर्वेक्षण के दौरान कोई मृत पक्षी नहीं पाया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार 20 दिसंबर, 2023 तक कुल 105,280 लीटर तेल युक्त पानी और 393.7 टन तैलीय कीचड़ को वहां से निकाल दिया गया है। इस पानी और कीचड़ को आगे के उपचार और निपटान के लिए सीपीसीएल परिसर ले जाया गया है।

बता दें कि एक निजी समाचार चैनल ने बकिंघम नहर में तेल फैलने से हो रहे प्रदूषण के बारे में जानकारी दी थी। चैनल के मुताबिक बकिंघम नहर में बहुत सारा तेल फैल चुका है और वो एन्नोर क्रीक तक पहुंच गया है। इसके अंश मछुआरों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली नावों पर भी चिपके पाए गए हैं, जिससे उनकी गतिविधियों पर असर पड़ा है।

वहीं 16 दिसम्बर 2023 को सोशल मीडिया से पुलिकट क्षेत्र के समुद्र तटों पर तेल युक्त कचरा फैलने की खबर के आधार पर अधिकारियों द्वारा उक्त क्षेत्रों का निरीक्षण किया था। टीम ने कोराईकुप्पम और कूननकुप्पम मछुआरों की बस्तियों से सटे समुद्र तटों पर भी टार बॉल्स देखे थे। वहां से दल ने सफलतापूर्वक टार बॉल्स को हटा दिया है और करीब 12 किलोग्राम कचरा एकत्र किया है।

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