भारत में सभी सरकारी अस्पतालों और उसके आसपास प्रदूषण से निपटने की योजना बने: एनजीटी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Tuesday 04 July 2023
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी), तीन जुलाई, 2023 को दिए अपने आदेश में कहा है कि भारत के सभी सरकारी अस्पतालों और उसके आसपास प्रदूषण और उसके सभी स्रोतों से निपटने के लिए एक पर्यावरण प्रबंधन योजना होनी चाहिए।

इस मामले में न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की पीठ ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है। इस समिति में पर्यावरण मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जो संयुक्त सचिव के पद से नीचे नहीं होने चाहिए, जबकि सीपीसीबी द्वारा नामांकित व्यक्ति निदेशक के पद से नीचे का नहीं होना चाहिए।

आदेश के मुताबिक, समिति इस मामले से जुड़े सभी लोगों से बातचीत करने और समिति द्वारा निर्दिष्ट सरकारी जिला अस्पतालों, बड़े अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों और उसके आसपास प्रदूषण के सभी स्रोतों के लिए पर्यावरण प्रबंधन योजनाओं की स्थिति पर जानकारी एकत्र करने के लिए स्वतंत्रता होगी।

इसके एक महीने के भीतर संयुक्त समिति बैठक करेगी। इस बैठक में विशिष्ट जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रश्नावली को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके बाद एकत्र किए गए आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए, उचित मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को तीन महीने के भीतर अंतिम रूप दिया जाएगा और उसे स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर रखा जाएगा।

एनजीटी ने दिए गाजियाबाद-बागपत में होते अवैध खनन की जांच के आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने संयुक्त समिति को बागपत के साथ-साथ गाजियाबाद में होते अवैध खनन की जांच के निर्देश दिए हैं। अवैध खनन की इन घटनाओं के बागपत में सुभानपुर और गाजियाबाद के नौरसपुर में सामने आई हैं। इस समिति में राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ-साथ बागपत और गाजियाबाद के जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे।

यह संयुक्त समितियां साइट का दौरा करेंगी, मामले से जुड़े लोगों से बातचीत करेंगी और अगले दो महीने के भीतर इस बारे में एक तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेंगी। गौरतलब है कि ग्रीन ट्रिब्यूनल तीन जुलाई 2023 को अवैध खनन से जुड़े दो मामलों की सुनवाई कर रहा था।

इनमें से एक मामला अंजनीसुत इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बागपत की खेकड़ा तहसील के सुभानपुर में किए अवैध खनन से जुड़ा है। आवेदक के अनुसार अंजनीसुत इंफ्रास्ट्रक्चर पहले ही 20,000 क्यूबिक मीटर से ज्यादा मिट्टी निकाल चुका है। जो उत्तर प्रदेश लघु (रियायतें) नियमावली, 2021 के तहत भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय, उत्तर प्रदेश द्वारा जारी खनन परमिट की शर्तों का उल्लंघन है।

वहीं दूसरा मामला गाजियाबाद की लोनी तहसील के नौरसपुर गांव का है। जहां मैसर्स वैभवराज एंटरप्राइजेज ने 1.81 हेक्टेयर क्षेत्र में अवैध खनन किया है। यह क्षेत्र यमुना के आसपास है।

सोलानी नदी फ्लड प्लेन पर अतिक्रमण का मामला, जिला मजिस्ट्रेट ने दायर किया हलफनामा

यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं कि दिसंबर 2024 तक रूड़की में सोलानी नदी के फ्लड प्लेन क्षेत्र को उत्तराखंड फ्लड प्लेन जोनिंग एक्ट 2012 के अनुसार आधिकारिक तौर पर नामित किया जाए। यह बात हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा कोर्ट में दायर हलफनामे में कही गई है। इस हलफनामे को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा 18 अप्रैल, 2023 को दिए आदेश का पालन करते हुए दायर किया गया है।

मामला सोलानी नदी के फ्लड प्लेन पर अतिक्रमण से जुड़ा है। जानकारी दी गई है कि सिंचाई विभाग द्वारा सोनाली नदी के फ्लड प्लेन से सभी अवैध अतिक्रमण हटा दिए हैं। वहीं परियोजना प्रबंधक, निर्माण एवं अनुरक्षण इकाई (गंगा) और उत्तराखंड पेयजल निगम का कहना है कि नदी में डाले जा रहे दूषित पानी की माप के साथ सीवेज उपचार संयंत्र के लिए सर्वेक्षण का कार्य पहले ही पूरा किया जा चुका है।

संयुक्त निरीक्षण के बाद, एसटीपी के निर्माण के लिए जमीन की मांग उठाई गई है। तीन जुलाई, 2023 को दायर रिपोर्ट के अनुसार, जमीन की उपलब्धता की पुष्टि होने के तुरंत बाद अंतिम अनुमान और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने से संबंधित कार्य शुरू किया जाएगा।

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