देश के 239 में से महज 19 शहरों में साफ है हवा, जानिए क्या आपका शहर भी हैं उनमें शामिल

आंकड़ों से पता चला है कि पालकालाइपेरुर देश का सबसे साफ शहर है, जहां एक्यूआई 32 दर्ज किया गया। हालांकि वहां भी वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित नहीं कही जा सकती

By Lalit Maurya

On: Thursday 18 January 2024
 

देश के 239 शहरों में से महज 19 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'बेहतर' है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे कम दर्ज किया गया है। आंकड़ों से पता चला है कि पालकालाइपेरुर देश का सबसे साफ शहर है, जहां एक्यूआई 32 दर्ज किया गया। हालांकि वहां भी वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित नहीं कही जा सकती। इसी तरह 18 अन्य शहरों में भी वायु गुणवत्ता 'बेहतर' बनी हुई है। हालांकि इसके विपरीत देश के 12 शहरों में स्थिति जानलेवा बनी हुई है।

प्रदूषण का आलम यह है कि बद्दी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 358 पर पहुंच गया है। इसी तरह आरा (324), बालासोर (309), बीकानेर (319), राजगीर (341), सीकर (311) आदि शहरों में भी जानलेवा बनी हुई है। कुल मिलाकर देखें तो 55 शहरों में प्रदूषण से हालात खराब हैं, जहां वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं है। वहीं अहमदाबाद सहित 112 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'मध्यम' बना हुआ है। दिल्ली की बात करें तो कल के मुकाबले प्रदूषण के स्तर में गिरावट जरूर आई है, लेकिन इसके बावजूद वहां हालात जानलेवा बने हुए हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 18 जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 239 में से महज 19 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 53 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 112 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

जयपुर-करनाल सहित 43 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि मुजफ्फरपुर-राजगीर सहित 12 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 अंक गिरकर 318 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 220, गाजियाबाद में 282, गुरुग्राम में 190, नोएडा में 204, ग्रेटर नोएडा में 210 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'संतोषजनक' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 131, चेन्नई में 76, चंडीगढ़ में 315, हैदराबाद में 74, जयपुर में 224 और पटना में 284 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 19 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 40, अरियालूर 41, बागलकोट 47, चामराजनगर 45, चित्तूर 49, कुड्डालोर 33, गंगटोक 40, कडपा 39, कलबुर्गी 50, खुर्जा 44, मदिकेरी 40, नगांव 33, पालकालाइपेरुर 32, रामनाथपुरम 44, थूथुकुडी 38, तिरुपति 42, उडुपी 43, विजयपुरा 39, और वृंदावन 43 शामिल रहे।

वहीं आगरा, अमरावती, अनंतपुर, बारां, बरेली, बठिंडा, बेलगाम, बेतिया, चेंगलपट्टू, चेन्नई, चिक्कामगलुरु, दमोह, दावनगेरे, धारवाड़, एलूर, फिरोजाबाद, गडग , गोरखपुर, हुबली, हैदराबाद, कन्नूर, कोलार, कोल्हापुर, कोरबा, कुंजेमुरा, मैहर, मांडीखेड़ा, मंगलौर, मंगुराहा, मिलुपारा, मुरादाबाद, मुंबई, मैसूर, नाहरलगुन, पुदुचेरी, पुणे, राजमहेंद्रवरम, रामानगर, ऋषिकेश, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, शिवसागर, सूरत, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुपुर, वाराणसी, वातवा, और यादगीर आदि 53 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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