सुप्रीम कोर्ट ने कृष्णशिला कोयला डंपिंग मामले में कार्रवाई के दिए आदेश, लगाया दो करोड़ का जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मध्य रेलवे से उन उपायों का भी जायजा मांगा है जो उन्होंने रेलवे पटरियों के आसपास कोयले के ढेर को रोकने के लिए लागू किए हैं

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Tuesday 19 September 2023
 

सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर, 2023 को नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (बीना प्रोजेक्ट) और पूर्व मध्य रेलवे को कोयले के कथित खरीदार के बारे में एक हलफनामे के माध्यम से विवरण देने का निर्देश दिया है। इस खरीदार ने कृष्णशिला में आवासीय क्षेत्र के आसपास कोयला डंप किया था। मामला उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में शक्तिनगर का है।

इसके साथ ही कोर्ट ने नॉर्दर्न कोलफील्ड्स को क्षेत्र की उपग्रहों और हवाई तस्वीरों को भी कोर्ट से साझा करने को कहा है। इसके अलावा, अदालत ने नॉर्दर्न कोलफील्ड्स (बीना प्रोजेक्ट) और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित संबंधित अधिकारियों को क्षेत्र में की जा रही प्रदूषण की निगरानी से संबंधित आंकड़ों को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

इसके अतिरिक्त, पूर्व मध्य रेलवे से उन उपायों का भी जायजा मांगा है जो उन्होंने रेलवे पटरियों के आसपास कोयले के ढेर को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए लागू किए हैं जिससे क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता अच्छी बनी रहे। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नॉर्दर्न कोलफील्ड्स को संबंधित अधिकारियों के पास दो करोड़ रुपए जमा करने का भी निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि यदि नॉर्दर्न कोलफील्ड्स इस राशि का भुगतान करता है और अदालत के निर्देशों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले का पालन करता है, तो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पिछले फैसले में जो नॉर्दर्न कोलफील्ड्स को 10 करोड़ रुपए का भुगतान करने को कहा गया था, उसपर रोक लगा दी जाएगी।

गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी), चार अप्रैल, 2023 को दिए आदेश में नॉर्दर्न कोलफील्ड्स को कृष्णशिला रेलवे साइडिंग और आवासीय क्षेत्र के आसपास कोयला डंप करने के लिए पर्यावरण सम्बन्धी नियमों का दोषी पाया था, और उसके लिए उसे 10 करोड़ रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया था। जानकारी मिली है कि यह कोयला अवैध रूप से लाया गया और इस क्षेत्र में बिना किसी अनुमति के डंप किया गया था। 

चरखी दादरी में वायु गुणवत्ता नियमों की अनदेखी करने पर 40 स्टोन क्रशर किए गए बंद

हरियाणा के चरखी दादरी जिले में 343 स्टोन क्रशिंग इकाइयां हैं। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने उनमें से दोषी इकाइयों के खिलाफ जुर्माना लगाने से लेकर पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के लिए बंद करने तक की करवाई की है। इनमें से 40 स्टोन क्रशर 1981 के वायु अधिनियम का उल्लंघन करते पाए गए और जिन्हें बाद में एसपीसीबी द्वारा बंद कर दिया गया है।

वहीं 56 स्टोन क्रशिंग इकाइयों पर छह करोड़ का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया गया है। एसपीसीबी इनमें से 44 इकाइयों से करीब चार करोड़ रुपये इकट्ठा करने में कामयाब रहा है। यह जानकारी संयुक्त समिति ने 18 सितंबर 2023 को एनजीटी में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में दी है।

रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी है कि जिले में 239 इकाइयां एसपीसीबी से संचालन की वैध सहमति लेकर काम कर रही थीं। इस क्षेत्र में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा कुल पांच वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (सीएएक्यूएमएस) स्थापित किए जाएंगे। एक बार जब जिले के सभी क्रशिंग क्षेत्रों से वायु गुणवत्ता के बारे में पर्याप्त आंकड़े और जानकारी होगी तो प्रत्येक क्लस्टर का संचालन इन वायु गुणवत्ता सम्बन्धी आंकड़ों के आधार पर किया जाएगा। साथ ही स्टेशनों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार कार्ययोजना भी तैयार की जाएगी।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 27 सितंबर, 2021 की जारी रिपोर्ट और एनजीटी के 15 नवंबर, 2021 के आदेश पर एक संयुक्त समिति द्वारा दी गई सिफारिश के अनुसार किसी भी क्षमता की नई स्टोन क्रशिंग इकाई को इस क्षेत्र में स्थापित और संचालित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए एचएसपीसीबी ने आज तक किसी भी नई स्टोन क्रशिंग यूनिट को संचालित करने या मौजूदा इकाइयों में वृद्धि या विस्तार करने की अनुमति नहीं दी है। चरखी दादरी  के जिला प्रशासन ने और हरियाणा वन विभाग ने मानसून में 2.63 लाख पेड़ों के रोपण और वितरण के लिए एक विशेष अभियान भी चलाया था।

मुजफ्फरनगर में बंद करने का नोटिस दिए जाने के बावजूद  पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर रही चीनी मिल

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि कोर्ट ने मुजफ्फरनगर में तितावी चीनी मिल को बंद करने के लिए नोटिस जारी किया था, इसके बावजूद यह मिल 31 जनवरी को संयुक्त समिति द्वारा की गई सिफारिशों का पालन किए बिना 2023 में चालू पेराई सत्र के दौरान भी चल रही थी। मामला  उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में तितावी गांव से का है।

एनजीटी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि अकेले जुर्माना लगाने से पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती, जब तक कि पैसे का इस्तेमाल वास्तव में नुकसान को संबोधित करने के लिए नहीं किया जाता। ऐसे में एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी और तितावी चीनी मिल को इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देने का निर्देश दिया है।

इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने मुजफ्फरनगर के जिला मजिस्ट्रेट के साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी और चीनी मिल के महाप्रबंधक को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का भी निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 10 अक्टूबर, 2023 को होगी।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर के तितावी गांव में मेसर्स तितावी शुगर मिल द्वारा हवा और पानी में किए जा रहे प्रदूषण को लेकर शिकायत की गई थी। जानकारी दी गई थी कि मिल रासायनिक कचरे को पानी में छोड़ रही है और फ्लाई ऐश उत्सर्जित कर रही है, जो पर्यावरण नियमों के खिलाफ है। साथ ही इसकी वजह से स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के वकील का कहना है कि बोर्ड ने छह सितंबर, 2023 को कंपनी पर करीब 76.2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। 

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