यमुना में अवैध रेत खनन पर हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लगाया 24.5 करोड़ का जुर्माना

गन्नौर में अल्टीमेट ग्रुप की एक खनन इकाई को पर्यावरण नियमों की अनदेखी के मामले में दोषी पाया गया है। हरियाणा खनन विभाग ने नोटिस जारी करते हुए इस इकाई पर करीब 24.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Tuesday 31 October 2023
 

गन्नौर में अल्टीमेट ग्रुप की एक खनन इकाई को पर्यावरण नियमों की अनदेखी के मामले में दोषी पाया गया है। हरियाणा खनन विभाग ने 25 अगस्त 2023 को नोटिस जारी करते हुए इस इकाई को करीब 24.5 करोड़ रुपये का जुर्माना भरने का भी निर्देश दिया है। मामला हरियाणा में सोनीपत का है।

इस राशि में खनन अनुबंध की आड़ में तय क्षेत्र से बाहर अवैध रूप से किए गए रेत खनन की एवज में लगाया रॉयल्टी शुल्क और जुर्माना दोनों शामिल है। इसके साथ ही हरियाणा खनन एवं भूविज्ञान निदेशक द्वारा इस  इकाई का खनन अनुबंध भी रद्द कर दिया गया है।

इस बारे में सोनीपत के खनन अधिकारी द्वारा सबमिट सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चला है कि इस इकाई ने ठेके की आड़ में निर्धारित क्षेत्र से परे, 59.4 एकड़ जमीन पर नौ फीट की गहराई तक अवैध रूप से खनन किया है। इसमें से 40.85 एकड़ क्षेत्र ग्यासपुर गांव में जबकि 18.55 एकड़ क्षेत्र में खनन पबनेरा गांव में किया गया है।

इस खनन क्षेत्र का सात जुलाई, 2023 को खान एवं भूविज्ञान विभाग, राजस्व विभाग और हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) के अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से निरीक्षण किया गया था।

रिपोर्ट से पता चला है कि यह यूनिट यमुना से तय सीमा से अधिक रेत खनन कर रही थी। उसके पास संचालन की अनुमति नहीं थी। साथ ही उसने न केवल जल अधिनियम, 1974 की धारा 33 (ए) के नियमों को तोड़ा साथ ही पर्यावरण मंजूरी (ईसी) की शर्तों का भी उल्लंघन किया है। यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा 21 जुलाई, 2023  को दिए आदेश पर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 27 अक्टूबर, 2023 को कोर्ट में सौंपी गई है।

हमीरपुर के जंगलों में फेंके गए पुराने कचरे को किया जा रहा है साफ: रिपोर्ट

एक रिपोर्ट के हवाले से पता चला है कि हिमाचल प्रदेश के जंगलों में फेंके लीगेसी वेस्ट यानी वर्षों पुराने कचरे के निपटान का काम जारी है। यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा 21 जुलाई, 2023 को दिए आदेश पर कोर्ट में सौपी गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई, अगस्त और सितंबर 2023 के दौरान 437 टन कचरे को छांटने और निपटाने में कामयाब रहे हैं, जबकि तीन अक्टूबर, 2023 तक इसमें से 3,461 टन कचरे की छंटाई का काम पूरा हो गया था। इतना ही नहीं हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा सबमिट इस रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि इस कचरे में से करीब 65 टन आरडीएफ ईंधन (रीफ्यूज डेराइव्ड फ्यूल) भी मिला है।

रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि शहर से निकलने वाले ठोस कचरे को हर दिन सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की मदद से प्रोसेस किया जा रहा है। साथ ही नगर पालिका परिषद ने वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनाने के लिए वनाधिकारी से 0.65 हेक्टेयर जमीन मांगी है। हालांकिअब तक आधिकारिक तौर पर यह जमीन शहरी विकास विभाग को हस्तांतरित नहीं की गई है, लेकिन वन विभाग ने इसके लिए अपनी प्रारंभिक मंजूरी दे दी है। वहीं हमीरपुर नगर परिषद ने स्पष्ट कर दिया है कि वो कूड़ा डंप करने के लिए वन भूमि का उपयोग नहीं कर रहा।

बलीचा में सालों से जमा कचरे के निपटान के लिए बनाए संयंत्र में सुधार की है आवश्यकता

राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि उदयपुर के बलीचा में वर्षों से जमा कचरे के निपटान के लिए बनाए संयंत्र में सुधार और विस्तार की आवश्यकता है। रिपोर्ट के मुताबिक शहरी सुधार ट्रस्ट और उदयपुर नगर निगम को शहरी कचरे के प्रबंधन के लिए नई जगहें ढूंढनी चाहिए। इससे कचरे को ले जाने के लिए लम्बी दूरी तक ट्रांसपोर्ट करे की आवश्यकता कम होगी। इससे कचरे को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकेगा और बलीचा साइट पर कम बोझ पड़ेगा।

रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया है कि निगम को सड़कों से कूड़ा इकट्ठा करने और छांटने के तरीके में सुधार करना चाहिए और साथ ही कचरे को इकट्ठा करने के लिए और ज्यादा केंद्र स्थापित करने चाहिए।

रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि बलीचा के जिला कलेक्टर ने उदयपुर में 'एकीकृत नगरपालिका ठोस अपशिष्ट निपटान सुविधा और लैंडफिल' का निरीक्षण करने के लिए एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने एक सितंबर, 2023 को बलीचा की इस एमएसडब्ल्यूडी साइट का दौरा किया था।

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