झीलों से प्लास्टिक प्रदूषण को प्राकृतिक तरीके से दूर कर सकते हैं बैक्टीरिया

बैक्टीरिया प्लास्टिक को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं, क्योंकि इसे तोड़ना आसान है

By Dayanidhi

On: Thursday 28 July 2022
 

दुनिया भर में मीठे पानी के स्रोतों में बढ़ता प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर समस्या की तरह उभर कर सामने आ रही है। इन समस्याओं का समाधान भी इन्हीं ताजे पानी के स्रोतों में छुपा हुआ है। इनमें प्लास्टिक को भोजन के रूप में उपयोग करने वाले बैक्टीरिया पाए गए हैं, जो पानी से प्लास्टिक प्रदूषण को दूर करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

इस बात का पता 29 झीलों पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है, झील में कुछ प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले बैक्टीरिया प्लास्टिक की थैलियों तथा इसके अवशेषों, पत्तियों और टहनियों जैसे प्राकृतिक पदार्थों की तुलना में तेजी से और अधिक कुशलता से बढ़ते पाए गए हैं।

बैक्टीरिया अपने विकास के लिए भोजन के रूप में उपयोग करने के लिए प्लास्टिक को कार्बन यौगिकों में तोड़ते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि पर्यावरण से प्लास्टिक प्रदूषण को दूर करने के लिए बैक्टीरिया की विशेष प्रजातियों के साथ पानी को समृद्ध करने का एक प्राकृतिक तरीका हो सकता है।

इस बात के प्रभाव स्पष्ट दिखाई दिए जब बैक्टीरिया के विकास की दर दोगुनी से अधिक हो गई, तथा प्लास्टिक प्रदूषण ने झील के पानी में समग्र कार्बन स्तर को केवल 4 फीसदी तक बढ़ाया। 

परिणाम बताते हैं कि झीलों में प्लास्टिक प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है, बैक्टीरिया न केवल प्लास्टिक को तोड़ रहे हैं बल्कि झील में ये अन्य प्राकृतिक कार्बन यौगिकों को भी तोड़ने में सक्षम हैं।

झील के बैक्टीरिया प्राकृतिक यौगिकों की तुलना में प्लास्टिक से उत्पन्न कार्बन यौगिकों के पक्ष में देखे गए। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि बैक्टीरिया द्वारा प्लास्टिक के कार्बन यौगिक को तोड़ने और भोजन के रूप में उपयोग करने में ये आसान होते हैं।

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के डॉ. एंड्रयू टैनेंटजाप ने कहा जब प्लास्टिक अधिक मात्रा में होता है तो इसके कुछ यौगिकों का पर्यावरण पर खतरनाक प्रभाव हो सकता है। यह लगभग ऐसा है जैसे प्लास्टिक प्रदूषण बैक्टीरिया की भूख को बढ़ा रहा है। बैक्टीरिया पहले प्लास्टिक को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं, क्योंकि इसे तोड़ना आसान है और फिर वे कुछ और अधिक कठिन भोजन को तोड़ने में सक्षम हैं। 

उन्होंने आगे कहा इससे पता चलता है कि प्लास्टिक प्रदूषण झीलों में पूरे खाद्य जाल को उत्तेजित कर रहा है, क्योंकि अधिक बैक्टीरिया का मतलब बत्तख और मछली जैसे बड़े जीवों के लिए अधिक भोजन है।

झील के पानी में मौजूद जीवाणु प्रजातियों की विविधता के आधार पर प्रभाव अलग-अलग होता है, अधिक विभिन्न प्रजातियों वाली झीलें प्लास्टिक प्रदूषण को तोड़ने में बेहतर होती हैं।

जब प्लास्टिक टूटता है तो वे साधारण कार्बन यौगिक छोड़ते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि ये कार्बनिक पदार्थ जैसे पत्तियों और टहनियों के टूटने के रूप में जारी कार्बन यौगिकों से रासायनिक रूप से अलग होता है।

प्लास्टिक से कार्बन यौगिकों को चिपकने वाले और सॉफ़्नर सहित प्लास्टिक उत्पादों के लिए अनोखे एडिटिव्स से प्राप्त किया गया था।

नए अध्ययन में यह भी पाया गया कि बैक्टीरिया उन झीलों में अधिक प्लास्टिक प्रदूषण को हटाते हैं जिनमें कम प्राकृतिक कार्बन यौगिक होते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि झील के पानी में बैक्टीरिया के पास अन्य खाद्य स्रोत कम थे।

परिणाम उन झीलों को प्राथमिकता देने में मदद करेंगे जहां प्रदूषण नियंत्रण सबसे जरूरी है। यदि झील में बहुत अधिक प्लास्टिक प्रदूषण है, लेकिन कम जीवाणु विविधता और बहुत सारे विभिन्न प्राकृतिक कार्बनिक यौगिक हैं, तो पारिस्थितिकी तंत्र नुकसान होने के लिए अधिक संवेदनशील होगा।

प्रोफेसर डेविड एल्ड्रिज ने कहा दुर्भाग्य से, प्लास्टिक दशकों तक हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करेगा। अच्छा पक्ष यह है कि, हमारा अध्ययन उन बैक्टीरिया की पहचान करने में मदद करता है जिनका उपयोग प्लास्टिक कचरे को तोड़ने और पर्यावरण प्रदूषण को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद के लिए किया जा सकता है।

अध्ययन में अगस्त और सितंबर 2019 के बीच यूरोप के स्कैंडिनेविया में 29 झीलों का नमूना लेना शामिल था। कई स्थितियों का आकलन करने के लिए, ये झीलें अक्षांश, गहराई, क्षेत्र, औसत सतह के तापमान और कार्बन-आधारित अणुओं की विविधता भी अलग-अलग पाई गई थी।

वैज्ञानिकों ने ब्रिटेन की चार प्रमुख खरीदारी श्रृंखलाओं से प्लास्टिक की थैलियों को छोटे भागों में काटकर इन्हें तब तक पानी में डुबो कर हिलाया जब तक कि उनके कार्बन यौगिक नहीं निकल गए।

प्रत्येक झील में कांच की बोतलों में झील का पानी भरा हुआ था। इनमें से आधे में 'प्लास्टिक के पानी' की एक छोटी मात्रा डाली गई थी, जो प्लास्टिक से पर्यावरण में ली गई कार्बन की मात्रा का प्रतिनिधित्व करती है, उतनी ही मात्रा में आसुत जल को दूसरों में मिलाया जाता है। अंधेरे में 72 घंटे के बाद, प्रत्येक बोतल में बैक्टीरिया की गतिविधि को मापा गया।

अध्ययन में बैक्टीरिया के विकास को मापा गया, द्रव्यमान में वृद्धि और बैक्टीरिया के विकास की दक्षता तथा  बढ़ने की प्रक्रिया में जारी कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा से है।

प्लास्टिक से चलने वाले कार्बन यौगिक वाले पानी में, बैक्टीरिया संख्या में दोगुने हो गए थे। इस कार्बन का लगभग 50 फीसदी 72 घंटों में बैक्टीरिया में शामिल हो गया था।

अध्ययनकर्ता एलेनोर शेरिडन ने कहा हमारे अध्ययन से पता चलता है कि जब प्लास्टिक के थैले झीलों और नदियों में प्रवेश करते हैं तो वे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर अप्रत्याशित प्रभाव डाल सकते हैं। उम्मीद है कि हमारे परिणाम लोगों को प्लास्टिक कचरे के निपटान के बारे में और भी सावधान रहने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। शेरिडन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्लांट साइंसेज विभाग के अध्ययनकर्ता है। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ हैं।

Subscribe to our daily hindi newsletter