रीसाइक्लिंग के नाम पर यूरोप के प्लास्टिक कचरे को एशिया में किया जा रहा है डंप

यूरोप अपने करीब 46 फीसदी प्लास्टिक कचरे को रीसाइक्लिंग के लिए बाहर निर्यात कर देता है| जिसमें से 31 फीसदी को कभी रिसाइकल ही नहीं किया जाता

By Lalit Maurya

On: Wednesday 01 July 2020
 

हाल ही में जारी एक शोध से पता चला है कि यूरोप से निर्यात किये गए 31 फीसदी प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल नहीं किया जाता| जबकि उसे रिसाइकल करने के लिए ही निर्यात किया जाता है| शोधकर्ताओं ने पहली बार यूरोपियन यूनियन, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड और नॉर्वे से निर्यात किये गए प्लास्टिक कचरे की मात्रा का पता लगाया है, जो रीसाइक्लिंग के नाम पर समुद्र में फेंका जा रहा है|

इसमें कोई शक नहीं कि दुनिया भर में यूरोपीय देशों ने कचरा प्रबंधन के लिए सबसे बेहतर बुनियादी ढांचे का विकास किया है| जोकि अपने आप में एक मिसाल हैं| पर इसके बावजूद यूरोप से करीब 46 फीसदी प्लास्टिक कचरे का निर्यात कर दिया जाता है| इस कचरे का एक बड़ा हिस्सा हजारों किलोमीटर दूर उन देशों को भेज दिया जाता है, जहां कचरा प्रबंधन के लिए पर्याप्त व्यवस्था ही नहीं है| इसमें से ज्यादातर देश दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित हैं| इन देशों में पहले से ही घरेलु कचरे के निपटान का भारी बोझ है| ऐसे में यहां का वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम इस कचरे को रिसाइकल नहीं कर पाता| जिस वजह से उसे ऐसे ही समुद्रों में फेंक दिया जाता है|

समुद्रों में होता है निर्यात की गई करीब 180,558 टन पॉलीइथिलीन का अंत

यह शोध साइंटिफिक जर्नल एनवायरनमेंटल इंटरनेशनल में प्रकाशित हुआ है| जिसमें 2017 के दौरान निर्यात किये गए उस कचरे का हिसाब लगाया है, जिस रीसाइक्लिंग के लिए निर्यात किया गया था| पर उसे रीसाइक्लिंग करने की जगह समुद्र में उसका निपटान कर दिया गया| शोधकर्ताओं ने तीन अलग-अलग परिदृश्यों के आधार पर इसकी गणना की है| जिसमें सबसे बेहतर स्थिति, औसत और सबसे ख़राब स्थिति के आधार पर गणना की गई है| इसके निष्कर्ष से पता चला है कि यूरोप से रिसाइकल के लिए निर्यात की गई करीब 1 से 7 फीसदी पॉलीइथिलीन अंत में समुद्रों में फेंक दी जाती है| जोकि करीब 32,115 से 180,558 टन के बराबर होती है|

पॉलीइथिलीन यूरोप के साथ-साथ दुनियाभर में सबसे लोकप्रिय और आम प्लास्टिक है। यह एक तरह का पॉलिमर है, जो प्लास्टिक की पन्नियों, शैम्पू की बोतल, बच्चों के खिलौने और यहां तक कि बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है।

इस शोध से पता चला है कि यूनाइटेड किंगडम, स्लोवेनिया और इटली जैसे देश भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरे को यूरोप से बाहर निर्यात कर रहे हैं| जिसकी वजह से रिसाइकिल किया जा सकने वाले प्लास्टिक कचरे एक एक बड़ा हिस्सा मलबे के रूप में समुद्रों में मिल रहा है|

इस शोध के प्रमुख लेखक जॉर्ज बिशप ने बताया कि, “इस शोध से पता चला है किस तरह और किस रास्ते से प्लास्टिक, कचरे के रूप में समुद्रों तक पहुंच रहा है| जिसकी वजह से समुद्री इकोसिस्टम दूषित हो रहा है| साथ ही इसके चलते तट के आसपास रहने वाले लोगों पर भी असर पड़ रहा है|” शोधकर्ताओं ने इसके लिए इंटरनेशनल ट्रेड डाटा और कचरा उत्पन्न कर रहे देशों के वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया है| साथ ही यूरोप से रिसाइकिल करने के लिए निर्यात किये गए पॉलीइथिलीन के आंकड़ों का भी अध्ययन किया है|

जरुरी है पारदर्शिता

इस शोध से जुड़े एक अन्य लेखक डेविड स्टाइल्स ने बताया कि चूंकि यूरोप के कई देश रीसाइक्लिंग के नाम पर कचरे की एक बड़ी मात्रा निर्यात कर देते हैं| जिसके बारे में सही-सही जानकारी उपलब्ध नहीं रहती| ऐसे में इन देशों द्वारा जो अपने कचरे की रीसाइक्लिंग दर बताई जाती है, उसमें भी काफी अंतर हो सकता है| इस शोध से पता चला है कि रीसाइक्लिंग के नाम पर निर्यात किया गया 31 फीसदी कचरा कभी रिसाइकल नहीं होता|"

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार हर साल करीब 80 लाख टन प्लास्टिक समुद्रों में पहुंच जाता है| जबकि पहले से ही करीब 15 करोड़ टन समुद्रों में प्लास्टिक कचरे के रूप में मौजूद है| ऐसे में कोरोनावायरस के कारण सिंगल यूज़ उत्पादों जैसे दस्ताने और पीपीई का कचरा बढ़ता जा रहा है| बड़ी मात्रा में मास्क और यह पीपीई समुद्रों में पाए गए है| यूके में ही हर दिन लाखों दस्ताने और मास्क फेंक दिए जाते है| तो पूरी दुनिया में इसकी मात्रा कितनी होगी आप इस बात का अंदाजा लगा सकते है| एक अन्य अध्ययन के अनुसार यदि अकेले ब्रिटेन में ही प्रत्येक व्यक्ति एक वर्ष के लिए प्रतिदिन एक सिंगल- यूज़ फेस  मास्क का उपयोग करता है तो इससे 66,000 टन दूषित अपशिष्ट और करीब 57,000 टन प्लास्टिक पैकेजिंग का निर्माण होगा|

शोधकर्ताओं के अनुसार यदि सच में सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ाना है, तो यूरोपीय नगरपालिकाओं और अपशिष्ट प्रबंधन कंपनियों को कचरे के पूरी तरह रिसाइकिल होने तक की जवाबदेही उठानी होगी| वो अपने कचरे को निर्यात करके अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते| यह शोध स्पष्ट तौर से दिखाता है कि दुनिया भर में आज भी प्लास्टिक कचरे से जुड़े आंकड़ें पूरी तरह उपलब्ध नहीं है| साथ ही प्लास्टिक वेस्ट से जुड़े व्यापार को विनियमित करने के लिए सही तरीके से ऑडिट करने की जरुरत है| पर्यावरण के दृष्टिकोण से कचरे का उचित प्रबंधन अति महत्वपूर्ण है| जिस पर जोर दिया जाना चाहिए| साथ ही प्लास्टिक कचरे को रिसाइकिल करने की यह जो चेन है उसे भी दुरुस्त करने की जरुरत है| जिससे इसके विषय में सही जानकारी मिल सके|

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